By Satish Pandey
www.webpostguru.com
Image:freepik
टाइप-1 डायबिटीज जेनेटिक या ऑटो इम्यून रिएक्शन के कारण होती है। जबकि, टाइप 2 मुख्य रूप से गलत लाइफस्टाइल और खान-पान के कारण होती है।
Image:freepik
टाइप 2 डायबिटीज के अन्य कारण आपका पारिवारिक इतिहास, आपकी बढ़ती उम्र या आपका अधिक वजन होना भी है।
Image:freepik
Image:freepik
टाइप 1 डायबिटीज में हमारा इम्यून सिस्टम इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को खत्म कर देती है। जिससे शरीर शुगर कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन हॉर्मोन नहीं बना पाता है।
Image:pexels
जबकि, टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में इंसुलिन प्रतिरोध होती है। यानी शरीर इंसुलिन का उत्पादन तो करता है, लेकिन इसका प्रभावी ढंग से उपयोग करने में असमर्थ रहता है।
Image:freepik
टाइप 1 डायबिटीज बहुत कम उम्र में या कभी-कभी जन्म से भी हो सकती है। जबकि, टाइप 2 डायबिटीज समय के साथ विकसित होती है यानी ये ज्यादा उम्र की बीमारी है।
Image:pexels
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं जैसे- बार-बार पेशाब आना, बहुत प्यास लगना, हाथों और पैरों में सुन्नता, बहुत भूख लगना, बहुत थकान महसूस होना, साफ न दिखना, कट या घाव होना जो जल्दी ठीक न होना, शुष्क त्वचा का होना या, सामान्य से अधिक संक्रमण होना है ।
Image:pexels
टाइप 1 डायबिटीज को रोका नहीं जा सकता। जबकि, टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम जरूर किया जा सकता है।
Image:pexels
टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम से बचने के लिए - स्वस्थ वजन बनाए रखें, संतुलित आहार लें, शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें, प्रोसेस्ड फूड्स ना खाएं या कम खाएं।
Image:pexels
टाइप 2 मधुमेह टाइप 1 की तुलना में एक हल्का रूप है। पर तब भी, टाइप 2 डायबिटीज टाइप 1 की तरह एक बड़ी स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है, खासकर आंखों, नसों, गुर्दे और हृदय के लिए।
Video:pexels
टाइप 1 डायबिटीज का नियंत्रण इंसुलिन इंजेक्शन लेकर किया जाता है। जबकि, टाइप 2 डायबिटीज का नियंत्रण दवा, व्यायाम और डाइट में बदलाव कर के किया जाता है।
webpostguru.com
इस तरह की अन्य जानकारी के लिए क्लिक करें-
Disclaimer : यहां दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए।