गिलोय एक बेल है, जो मुख्य रूप से खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों और जंगलों पर पाई जाती है। इसके फल मटर के बीज जैसे दिखते हैं। इसका तना हरा और देखने में किसी रस्सी-सा लगता है।
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आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की पत्तियां, जड़ें और तना तीनो ही भाग हमारे स्वास्थ के लिए बहुत गुणकारी हैं लेकिन बीमारियों के इलाज में सबसे ज्यादा उपयोग गिलोय के तने या डंठल का ही होता है।
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गिलोय में एंटी-पायरेटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑर्थरिटिक और एंटीऑक्सिडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। गिलोय की तासीर गर्म होती है। इसलिए इसका उपयोग सर्दियों में ज्यादा करना चाहिए। सर्दी में गिलोय के फायदे इस प्रकार हैं।
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टाइप-2 डायबिटीज के लिए गिलोय सत्व फायदेमंद है। गिलोय में काफी मात्रा में हाइपोग्लाईकैमिक एजेंट पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।
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एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए गिलोय का रस काफी फायदेमंद हो सकता है। गिलोय में आयरन होता है जो ब्लड सेल्स बनाने में मदद कर सकता है।
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टाइफाइड एक बैक्टीरिया संक्रमण है जिससे तेज बुखार, दस्त और उल्टी हो सकती है। टाइफाइड में गिलोय का सेवा फायदेमंद हो सकता है। गिलोय में एंटीपायरेटिक गुण और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और आपको निरोग रखते हैं।
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गिलोय लिवर के लिए बहुत ही प्रभावी औषधि है जो पीलिया जैसे रोग के उबरने में मदद कर सकती है। गिलोय में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।पीलिया के मरीजों को गिलोय के ताजे पत्तों का रस पिलाने से पीलिया जल्दी ठीक हो सकता है।
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यदि आप कब्ज़, एसिडिटी या अपच से परेशान रहते हैं तो गिलोय आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है। इसके अलावा गिलोय के सेवन से डायरिया और दस्त से उबरने में भी मदद मिल सकती है।
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गिलोय में एंटीपायरेटिक गुण होते हैं जो डेंगू जैसे तेज बुखार को जल्दी ठीक करने में मदद कर सकती है। इसके अलावा गिलोय इम्युनिटी बूस्टर की तरह भी काम करती है।
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गठिया रोग में गिलोय फायदेमंद हो सकती है। विशेषज्ञों की मानें, तो गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी यानी सूजन को कम करने वाला प्रभाव होते हैं। इसके अलावा इसमें एंटी-अर्थराइटिक और एंटी-ऑस्टियोपोरोटिक यानी जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत दिलाने वाले गुण भी होते हैं।
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गिलोय में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीएलर्जिक जैसे गुण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं।
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गिलोय में एंटीएलर्जिक गुण होने के कारण यह खांसी से जल्दी आराम दिलाने में मदद कर सकती है। खांसी दूर करने के लिए गिलोय के काढ़े का सेवन करें। इसके सेवन से सीने का कड़ापन, गले में घरघराहट, कफ आना और सांस से जुड़ी समस्याओं से भी राहत मिल सकती है।
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जिन लोगों को पाइल्स यानि बवासीर की बीमारी है उनके लिए गिलोय फायदेमंद हो सकती है। इसके औषधीय गुण खूनी बवासीर के इलाज में सहायक हो सकते हैं।
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गिलोय त्वचा के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है। शहद और गिलोय का इस्तेमाल कर त्वचा को जवां बनाया जा सकता है। इसमें एंटीएजिंग गुण पाये जाते हैं जिससे चेहरे पर झुर्रियां नहीं दिखतीं। इसके अलावा पिंपल, डार्क स्पोट्स और चेहरे पर पड़ने वाली लकीरों से निजात मिलती है और चेहरे में प्राकृतिक रूप से निखार आता है।
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गिलोय में एंटी ऑक्सीडेंट्स और एंटी इंफ्लेमेटरी जैसी प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, जो बालों के झड़ने को रोकता है और इसके विकास की गति को बढ़ाता है। बालों पर गिलोय लगाने से डैंड्रफ, ड्राई स्कैल्प के साथ ही तनाव कम कर बालों का झड़ना भी रोकता है।
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गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय से परहेज करने की सलाह दी जाती है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान गिलोय के नुकसान के प्रमाण मौजूद नहीं है फिर भी बिना डॉक्टर की सलाह लिए गर्भावस्था में गिलोय का सेवन ना करें।
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बाजार में गिलोय कई रूप में उपलब्ध है। आप बाजार से गिलोय चूर्ण या इसकी गोलियां खरीद सकते हैं। इसके अलावा गिलोय का काढ़ा या गिलोय का जूस बनाकर भी सेवन किया जा सकता है। इसका सेवन करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।
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