Harpies Skin Disease: हरपीज बीमारी (जनेऊ रोग) के लक्षण, कारण और इलाज

हरपीज बीमारी त्वचा में होने वाला संक्रमण (Harpies Skin Disease in Hindi) है, जो दर्दनाक दाद का कारण बनता है। आमतौर पर हर्पीस बीमारी (संक्रमण) कोई गंभीर स्वास्थ्य स्थिति पैदा नहीं करता है। परन्तु, कुछ लोगों में हर्पीस वायरस उनकी त्वचा पर गंभीर प्रभाव डालता है और वह ताउम्र इस वायरस से संक्रमित रहते हैं। इस पोस्ट में हम आपको हरपीज बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में बता रहे हैं। 

आइये अब इस पोस्ट को शुरू करते हैं।

हरपीज बीमारी (जनेऊ रोग) क्या है? | Herpes skin Disease in hindi meaning

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हर्पीस रोग

हरपीज बीमारी (Harpies Disease in Hindi) एक वायरस संक्रमण है जो हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस (एचएसवी) के कारण होती है। ज्यादातर हर्पीस वायरस त्वचा को संक्रमित (Harpies Skin Disease in Hindi) करते हैं। जिससे त्वचा की बाहरी सतह पर द्रव से भरे फफोले, चकत्ते या घाव पैदा हो जाते हैं। इस बीमारी में होंठ, आंख, जननांग, गुदा क्षेत्र, श्‍लेष्मिक सतहों और शरीर के अन्‍य भाग की त्‍वचा संक्रमित होते हैं।

हर्पीस बीमारी का खतरा उन लोगों में ज्यादा देखा जाता है जो लोग इस बीमारी से संक्रमित लोगों के संपर्क में आते हैं। इसके अलावा ब्राह्मणों के जनेऊ पहनने से कभी-कभी शरीर में फुंसिया निकल जाती हैं और उनमें जलन होने लगती है जो बाद में फैलकर हर्पीस बीमारी का रूप ले लेती है। जिस कारण हर्पीस बीमारी को जनेऊ रोग (Janeu rog in Hindi) भी कहते हैं।

हर्पीस संक्रमण (Herpes infection in Hindi) ज्यादातर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों में देखा जाता है, विशेष रूप से जिन्हें एचआईवी (HIV) संक्रमण होता है। हालांकि, आजकल नवजात शिशुओं और नौजवानों में भी इसका बीमारी का संक्रमण देखा जा रहा है। 

हर्पीस रोग शरीर में लंबी अवधि तक रहने वाला संक्रमण है। कुछ लोगों में संक्रमण होने के बावजूद भी हरपीज बीमारी के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, जबकि कुछ लोगों में हर्पीस वायरस उनकी त्वचा पर गंभीर प्रभाव डालता है और वह ताउम्र इस वायरस से संक्रमित रहते हैं।

हरपीज बीमारी (जनेऊ रोग) के प्रकार | Types of Harpies Skin Disease in Hindi         

हर्पीस वायरस (Herpes virus in Hindi) मुख्य्तः दो प्रकार के होते हैं –

Herpes Simplex Virus-1 (HSV-1)

Herpes Simplex Virus-2 (HSV-2)

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हर्पीस बीमारी

1. हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस (एचएसवी) टाइप 1  – Herpes Simplex Virus-1 (HSV-1) in Hindi

HSV-1, आमतौर पर मुंह और नाक के आसपास के क्षेत्रों को प्रभावित करता है और मुँह की लार द्वारा दूसरों को संक्रमित करता है। 

2. हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस (एचएसवी) टाइप 2  – Herpes Simplex Virus-2 (HSV-2) in Hindi

HSV-2, आमतौर पर जननांग दाद (Genital herpes) का कारण बनता है और यौन संपर्क (Sexual contact) के माध्यम से दूसरों को संक्रमित करता है। 

हालांकि, एचएसवी-1 और एचएसवी-2 के बीच अंतर करना मुश्किल है क्योंकि कभी-कभी HSV-2, मुंह के दाद के लिए और HSV-1, जननांग को संक्रमित करने लिए भी जिम्मेदार हो सकता है। 

क्या हैं हर्पीस बीमारी (जनेऊ रोग) के लक्षण? | Symptoms of Herpes Skin Disease in Hindi

इस वायरस से संक्रमित होने पर हरपीज बीमारी के लक्षण 8 से 20 दिन के भीतर दिखाई देते हैं। हरपीज बीमारी के लक्षणों में शामिल हैं – 

हर्पीस के लक्षण –

  • बुखार, 
  • फ्लू जैसे लक्षण (जैसे सिर दर्द, थकान और भूख में कमी),
  • सूजी हुई ग्रंथियां (बढ़े हुए लिम्फ नोड्स),
  • प्रभावित क्षेत्रों में झुनझुनी महसूस होना,
  • त्वचा में जलन,
  • द्रव से भरे स्पष्ट फफोलों का एक समूह (आमतौर पर एक से अधिक)। ये फफोले दर्दनाक हो सकते हैं या नहीं भी,
  • छालों और घावों का होना और उनमें खुजली लगना,
  • मलमूत्र करने में दर्द होना,
  • जननांगो पर घाव होना।

क्या हैं हर्पीस बीमारी (जनेऊ रोग) के कारण? | Harpies Skin Disease Causes in Hindi

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हर्पिस बीमारी के कारण

हर्पिस बीमारी (जनेऊ रोग) का मुख्य कारण हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना है। जिसका मतलब है यदि स्वस्थ व्यक्ति संक्रमण से ग्रस्त किसी व्यक्ति की कोई चीज साझा करता है तो स्वस्थ व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है

1. हर्पीस टाइप 1 के कारण (Causes of Herpes simplex 1)

  • संक्रमित व्यक्ति से खाना या पानी साझा करना, 
  • संक्रमित व्यक्ति का टूथ पेस्ट साझा करना,
  • संक्रमित व्यक्ति की मेकअप किट साझा करना,
  • संक्रमित व्यक्ति का तौलिया साझा करना,
  • आँख की दवाई को साझा करना, 
  • होंठ में लगाने वाले बाम साझा करना,
  • चुंबन करना आदि।

2. हर्पीस टाइप 2 के कारण (Causes of Herpes simplex 2)

HSV-2 संक्रमण, संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क (sexual contact) बनाने से फैलता है। जिसमें ओरल (Oral) और वेजाइनल (vaginal), दोनों सेक्स शामिल हैं। 

हरपीज वायरस (Herpes disease in Hindi) का संक्रमण उस समय सबसे अधिक संक्रमित होता है जब लक्षण पहली बार दिखाई देते हैं।  

हालांकि लक्षण मौजूद न होने पर भी संक्रमित व्यक्ति वायरस को फैला सकते हैं। इसके आलावा डिलीवरी (प्रसव) के समय यदि महिला का जननांग, वायरस (HSV-2) से संक्रमित हो जाए तो यह वायरस शिशु को भी संक्रमित कर उसे नुकसान पंहुचा सकता है। 

कैसे करें हर्पीस बीमारी (जनेऊ रोग) से बचाव? । Prevention of Herpes skin disease in Hindi

1. हर्पीस टाइप 1 के बचाव – Protection from Herpes simplex 1 in Hindi

  • शरीर को साफ रखें, 
  • संक्रमित व्यक्ति के साथ खाना साझा ना करें 
  • होंठ में लगाने वाले बाम, आँख की दवाई या टूथ पेस्ट को साझा ना करें।
यानी संक्रमित व्यक्ति की ऐसी कोई भी चीज साझा ना करें जो उस वायरस से संक्रमित हो। 

2. हर्पीस टाइप 2 के बचाव – Protection from Herpes simplex 2 in Hindi

  • संक्रमित वाले व्यक्ति से कुछ समय तक यौन सम्बन्ध ना बनाएं,
  • सेक्स के समय कंडोम का इस्तेमाल करें।

क्या है हरपीज (जनेऊ रोग) का इलाज? | Treatment of Harpies skin disease in Hindi 

फिलहाल हर्पीस बीमारी (Harpies Disease in Hindi) का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ एंटी-वायरल दवाइयां हैं जो हर्पिस संक्रमण (Harpies skin disease) के इलाज के लिए काफी असरदार होती हैं।

एंटी-वायरल दवाइयां संक्रमित व्यक्ति के संक्रमण को कम कर उसकी त्वचा के घाव को भरने में मददगार करती हैं। 

इसके अलावा डॉक्टर कुछ एंटीबैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटीसेप्टिक पदार्थ का उपयोग करने के लिए बोल सकते है, जो नहाते समय उपयोग में लाया जाता है।

हर्पिस संक्रमण की दवा (हर्पीस जोस्टर ट्रीटमेंट क्रीम) – Harpies skin disease medicine in Hindi

हर्पिस बीमारी से संक्रमित व्यक्ति निम्नलिखित एंटी-वायरल दवाएं ले सकता है-

1. ऐसाइक्लोवीट (Acyclovir Cream),

2. क्लोवीडरम (Cloderm Cream),

3. असिहरपीन (Aciherpin cream) आदि प्रमुख हैं।

इसके अलावा डॉक्टर दर्द से राहत दिलाने के लिए नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी (nonsteroidal anti-inflammatory) दवाइयां भी दे सकते हैं। 

हर्पीस (जनेऊ रोग) के घरेलू उपाय | Home remedies of Herpes Disease in Hindi

इस रोग को घरेलू उपचार द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। जिसमें निम्नलिखित तरीके शामिल हैं-   

  • नहाते समय हल्‍के नमकीन पानी का उपयोग करें।
  • संक्रमित क्षेत्र को साफ और सूखा रखें।
  • सूती अंडरवियर पहनें।
  • प्रभावित अंग को आरामदायक रखने के लिए ढीले सूती के कपड़े पहनें।
  • प्रभावित क्षेत्र में पैट्रोलियम जेली (Petroleum jelly) लगाएं।
  • यदि पेशाब करने में दर्द हो रहा हो तो मूत्रमार्ग (urethra) में कुछ क्रीम और लोशन लगाएं।
  • अगर जलन ज्यादा हो रही हो तो आइस पैक (Cool pack) यानि बर्फ के टुकड़े को घाव पर रखें जिससे दर्द कम होगा।
  • जैतून के तेल में एंटीआक्सीडेंट तत्व होता है जो हर्पीस संक्रमण को कुछ हद तक रोक सकता है।
  • सिरके का उपयोग दर्द और जलन कम करने में किया जा सकता है।
  • मुलेठी में एंटीबैक्टीरियल एव एंटीआक्सीडेंट गुण होता है। मुलेठी का चूर्ण मिलाकर संक्रमित स्थान पर लगाएं।
  • ग्रीन टी में एंटीवायरल प्रभाव होने के कारण ये त्वचा की बीमारी के लिए असरदार हो सकती है। इसलिए ग्रीन टी का सेवन, हर्पीस रोग में फायदेमंद हो सकता है,
  • हर्बल चाय में विटामिन C, एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-बैक्‍टीरियल जैसे गुण त्वचा को मुँहासो और अन्य बीमारी से बचाती है। हर्बल चाय में गुड़हल की चाय (हिबिस्कस टी), बबूने के फूल (कैमोमाइल) की चाय, सौंफ की चाय, रोजहिप चाय, तेज की चाय और रूइबोस की चाय प्रमुख हैं। जो हर्पीस बीमारी के घरेलू इलाज के लिए असरदार हो सकती है। 
  • हर्पीस की समस्या में लेमन बाम ऑयल (एसेंशियल ऑयल) फायदेमंद साबित हो सकता है। लेमन बाम में एंटी वायरल गुण होने के कारण यह हर्पीस रोग के घरेलू इलाज में फायदेमंद हो सकता है।
  • बेकिंग सोडा में एंटीप्यूरेटिक गुण पाया जाता है, जो त्वचा संबंधी कई समस्याओं जैसे खुजली और जलन को दूर करने में मदद कर सकता है। इसलिए बेकिंग सोडा को त्वचा में लगाने से यह हर्पीस रोग के घरेलू इलाज में असरदार हो सकता है। 

जननांग दाद (हर्पीस बीमारी) और आपकी गर्भावस्था | Genital herpes and your pregnancy in Hindi

Harpies Skin Disease in Hindi
हर्पीस वायरस और आपकी गर्भावस्था

जननांग दाद या हर्पीस  रोग (Herpes disease), प्रजनन क्षमता या गर्भ धारण करने की क्षमता को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करता है।

हालांकि, प्रसव के समय यदि महिला का जननांग, हर्पीस वायरस (HSV-2) से संक्रमित है तो यह वायरस शिशु को संक्रमित कर सकता है। हर्पीस वायरस (Herpes disease in Hindi) बच्चों में अंधापन, मस्तिष्क क्षति या त्वचा संक्रमण का कारण बन सकता है।

यदि गर्भवती महिला इस वायरस से संक्रमित है तो डॉक्टर प्रेगनेंसी के 36 सप्ताह से एंटीवायरल दवा शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर विकल्प के रूप में सिजेरियन सेक्शन का प्रस्ताव भी रख सकते हैं।

निष्कर्ष | Conclusion

हम उम्मीद करते हैं कि इस पोस्ट से आपको हर्पीस बीमारी (जनेऊ रोग) के लक्षण, कारण और इलाज के  बारे में पता चल गया होगा। कमेंट में बताएं आपको  Harpies skin disease in Hindi पोस्ट कैसी लगी? अगर पोस्ट पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें। 

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Disclaimer : ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करने या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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संदर्भ (References)

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