पॉलीसिस्टिक ओवेरियन रोग (PCOD in Hindi), जिसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS in Hindi) के रूप में भी जाना जाता है, महिलाओं में होने वाली एक हार्मोनल समस्या है, जो उनके मासिक धर्म व गर्भधारण करने की क्षमता को प्रभावित करती है। हालांकि, बहुत सी महिलाओं को पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज (पीसीओडी) होने के बावजूद भी उन्हें इसके बारे में पता नहीं चल पाता है और वह इस रोग से उम्र भर प्रभावित रहती हैं। इस पोस्ट में हम आपको पीसीओडी की समस्या (PCOD problem in Hindi) के बारे में बता रहे हैं जिसमें आप जानेंगे – पीसीओडी क्या है? पीसीओडी के लक्षण क्या हैं, पीसीओडी क्यों होता है (कारण) और पीसीओडी का घरेलू उपचार कैसे किया जाता है?
तो आइये अब इस पोस्ट को शुरू करते हैं।
पीसीओडी क्या है? (PCOD problems in Hindi)
PCOD का अर्थ (Meaning of PCOD in Hindi)
PCOD का पूरा नाम पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज है जिसे हिंदी भाषा में पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग कहा जाता है। PCOD ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है, जो किशोर और युवा महिलाओं को उनके असंतुलन हॉर्मोन (Hormone imbalance) के कारण प्रभावित करती है।
महिलाओं की प्रजनन प्रणाली मुख्य रूप से पांच प्रजनन हार्मोन अर्थात् एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, एण्ड्रोजन, फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की परस्पर क्रिया द्वारा नियंत्रित होती है। जिसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन, मासिक धर्म के चक्र को नियंत्रित करते हैं, एण्ड्रोजन बालों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है और इसके अलावा फॉलिकल स्टिमुलेटिंग और ल्यूटिनाइजिंग, ओवरी से परिपक्व अण्डों के निकलने को नियंत्रित करते हैं। इन होर्मोनेस के बिगड़ने (imbalance) से ही पॉलीसिस्टिक ओवेरियन रोग (PCOD) होता है।
PCOD के कारण अधिकांश महिलाओं का मासिक धर्म (Menstrual cycle) अनियमित हो जाता है, जिसमें कभी मासिक धर्म ज्यादा तो कभी पूरी तरह रुक जाता है। मासिक धर्म के असमान्य होने से महिलाओं को गर्भधारण करने में मुश्किल होने लगती है।
पीसीओडी के कारण अंडाशय (Overy) में छोटी-छोटी सिस्ट (द्रव से भरी छोटी थैली) बन जाती हैं, चेहरे में सामान्य से ज्यादा मुंहासे और शरीर में बाल आने लगते हैं। इसके अलावा अंडे (eggs) पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते हैं।
पीसीओएस और पीसीओडी में अंतर क्या है? (PCOD Vs PCOS in Hindi)
“पीसीओएस और पीसीओडी में क्या अंतर है?” एक आम सवाल है, जो कई महिलाओं को परेशान करता है। पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज) और पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) में एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि पीसीओडी एक बीमारी है जबकि पीसीओएस एक सिंड्रोम है।
पीसीओडी की तरह पीसीओएस (PCOS) भी आपके अंडाशय के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, लेकिन पीसीओडी (PCOD) की तुलना में इसका प्रभाव कम होता है। पीसीओएस में आपकी ओवरी में तरल पदार्थ से भरी बड़ी-बड़ी थैलियां विकसित होती हैं, और ओवरी में सिस्ट की संख्या भी अधिक होती है।
पीसीओडी और पीसीओएस दोनों ही गर्भावस्था में जटिलताओं का कारण बनते हैं, और स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करना मुश्किल बनाते हैं।
“पीसीओडी (PCOD) की तुलना में पीसीओएस (PCOS) अधिक हानिकारक है। पीसीओडी को पूरी तरह से एक बीमारी नहीं माना जाता है और उचित आहार से इसे नियंत्रित और लगभग ठीक किया जा सकता है। हालांकि, पीसीओएस का अभी कोई इलाज नहीं है।”
क्या हैं पीसीओडी के लक्षण (PCOD ke lakshan in Hindi) | PCOD Symptoms in Hindi
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन रोग के लक्षण (pcod ke lakshan) और संकेत हर महिलाओं में भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, अधिक वजन वाली महिलाओं में पीसीओडी के लक्षण आमतौर पर अधिक गंभीर होते हैं। पीसीओडी के कुछ सामान्य संकेत और लक्षणों में शामिल हैं-
- अनियमित मासिक चक्र (Irregular menstrual cycle)
- गर्भधारण में असमर्थता (Infertility)
- बार-बार गर्भपात होना (Miscarriage)
- गंभीर मुँहासे (Severe acne)
- बालो का झड़ना (पुरुष-पैटर्न गंजापन) (Hair loss)
- चेहरे और शरीर पर बालों की असामान्य वृद्धि (Abnormal growth of hair)
- त्वचा का काला पड़ना (Dark skin)
- अतिरिक्त वजन बढ़ना (Excess weight)
- पेडू में दर्द (Pelvis pain)
- अंडाशय में सिस्ट (cyst in ovary)
- अण्डों का अविकसित होना (Undeveloped eggs)
- भावनात्मक रूप से अस्थिर रहना (Emotionally unstable) और
- चिड़चिड़ापन (Irritability)
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पीसीओडी क्यों होता है? (Causes of PCOD in Hindi)
अभी तक महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन रोग होने का सही कारण ज्ञात नहीं है। हालांकि, अधिकांश विशेषज्ञों का मानते हैं कि आनुवंशिक कारक (Genetic factors) पीसीओडी का प्रमुख कारण हो सकता है। जिसमें एण्ड्रोजन और इंसुलिन का उच्च स्तर होना मुख्य हैं। पीसीओडी के कारण को आप नीचे विस्तार से पढ़ सकते हैं-
1. एण्ड्रोजन का उच्च स्तर (PCOD Problem due to High levels of Androgens Hormones)
एण्ड्रोजन का उच्च स्तर पीसीओडी का कारण हो सकता है। एण्ड्रोजन को “पुरुष हार्मोन” भी कहा जाता है, हालांकि महिलाएं भी अपने शरीर में एण्ड्रोजन की थोड़ी मात्रा बनाती हैं। ये एण्ड्रोजन हार्मोन पुरुष लक्षणों के विकास को नियंत्रित करते हैं।
PCOD वाली महिलाओं में एण्ड्रोजन का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है।
“सामान्य से अधिक एण्ड्रोजन का स्तर अंडे को ओवरी या अंडाशय से रिलीज़ होने से रोकता है, जिससे मासिक धर्म आने में दिक्कत होती है।”
अंडे के ना निकलने से महिलाऐं शादी के बाद गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। एण्ड्रोजन के अलावा ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन, टेस्टोस्टेरोन हार्मोन और प्रोलैक्टिन हार्मोन का बढ़ा हुआ स्तर भी पीसीओएस का कारण बन सकता है।
2. इंसुलिन का उच्च स्तर (PCOD Problem due to High levels of insulin)
इंसुलिन एक हार्मोन है जो ब्लड में मौजूद शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है। कभी-कभी इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin resistance) के कारण ब्लड में इंसुलिन का स्तर उच्च हो जाता है और जिसकारण अंडाशय अधिक मात्रा में टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन का उत्पादन करने लगते हैं
टेस्टोस्टेरोन, फॉलिकल्स के विकास में हस्तक्षेप करते हैं और सामान्य ओव्यूलेशन को रोकते हैं। मतलब, महिलाओं में रिप्रोडक्टिव एग नहीं निकल पते हैं।
“इंसुलिन का उच्च स्तर (या इंसुलिन प्रतिरोध) उन महिलाओं में ज्यादा मिलता है जो मोटापे से ग्रस्त होती हैं, अस्वस्थ भोजन लेती हैं, पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं करती हैं या उनके परिवार में मधुमेह (आमतौर पर टाइप 2 मधुमेह) का पारिवारिक इतिहास होता है।”
3. गलत आहार (PCOD Problem due to Wrong diet)
4. तनाव (PCOD Problem due to Tension)
तनाव भी पॉलीसिस्टिक ओवरी रोग का एक मुख्य कारण है। अधिक तनाव रक्तचाप को बढ़ाता है जिससे पीसीओडी का खतरा बढ़ता है।
क्या हैं पीसीओडी की जटिलताएं? (PCOD complications in Hindi)
पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को निम्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। पीसीओडी की जटिलताओं में शामिल हैं –
1. मधुमेह (Type 2 diabetes)
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन रोग (PCOD) से पीड़ित आधे से अधिक महिलाओं में 40 वर्ष की आयु तक टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा रहता है।
2. गर्भकालीन मधुमेह (Gestational diabetes)
पीसीओडी वाली महिलाओं को गर्भकालीन मधुमेह हो सकता है। गर्भकालीन मधुमेह ऐसी स्थति है जिसमें गर्भवती महिला मधुमेह से पीड़ित हो जाती है जो माँ और बच्चे दोनों के लिए नकरात्मक होता है।मां को गर्भकालीन मधुमेह होने से बच्चे को भी आगे चल के टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा रहता है।
3. हृदय रोग (Heart disease)
पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं को हृदय रोग का अधिक जोखिम रहता है, और यह जोखिम उम्र के साथ बढ़ता जाता है।
4. उच्च रक्तचाप (High blood pressure)
पीसीओडी वाली महिलाओं को उच्च रक्तचाप का खतरा बना रहता है। उच्च रक्तचाप से हृदय, मस्तिष्क और गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकता है।
6. स्ट्रोक (Stroke)
पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में रक्त के थक्के बनने की सम्भावना अधिक रहती है जो कभी कभी स्ट्रोक का कारण बनता है।
7. प्रीक्लेम्पसिया डिसऑर्डर (Preeclampsia disorder)
गर्भावस्था के दौरान पीसीओडी होने से प्रीक्लेम्पसिया डिसऑर्डर (गर्भवती महिला का उच्च रक्तचाप) का खतरा बढ़ सकता है, जो मां और अजन्मे बच्चे दोनों के लिए खतरनाक है। इसके आलावा मुँहासे, त्वचा में काले धब्बे, त्वचा की अन्य समस्याएं, शरीर या चेहरे के बालों का बढ़ना आदि जटिलताएं भी पीसीओडी के जोखिम में शामिल हैं।
पीसीओडी से क्या प्रॉब्लम होती है?। Risks of PCOD in Hindi
यदि पीसीओडी अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो महिलाओं में निम्नलिखित जोखिम बढ़ सकते हैं।
- गर्भवती ना होना (Infertility or subfertility),
- मोटापे का शिकार होना (Weight gain around your middle),
- इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध होना (Insulin resistance)
- मधुमेह टाइप 2 होना (Type 2 diabetes)
- उच्च कोलेस्ट्रॉल होना (High cholesterol)
- उच्च रक्त चाप होना (High blood pressure)
- दिल की बीमारी होना (Heart disease)
- स्ट्रोक पड़ना (Stroke)
- स्लीप एपनिया होना – सोते समय सांस रुक रुक के आना (Sleep apnea)
- डिप्रेशन और चिंता होना (Depression and anxiety)
- गर्भाशय से रक्तस्राव और गर्भाशय में कैंसर का जोखिम होना (Endometrial cancer)
- नींद की समस्या (Sleep problems)
- जिगर की सूजन (Inflammation of the liver)
- प्रीक्लेम्पसिया विकार (Pre-eclampsia)
चलिए अब समझते हैं PCOS test kaise hota hai?
पीसीओडी टेस्ट कैसे होता है? (PCOD test kaise hota Hai in Hindi)
1. अनियमित पीरियड्स को पहचान कर (Irregular or skipped periods)
2. एण्ड्रोजन स्तर द्वारा पीसीओडी की जांच (Androgen level in blood)
डॉक्टर पीसीओडी की जांच के लिए रक्त में एण्ड्रोजन स्तर की जाँच करा सकते हैं।
एण्ड्रोजन का उच्च स्तर पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज से पीड़ित महिलाओं में निम्न लक्षण को देखता है जिसमें
- चेहरे या शरीर में अतिरिक्त बाल का होना,
- सिर के बालों का झड़ना,
- चेहरे में अधिक मुंहासे होना।
इसके अतरिक्त पीसीओडी के निदान के लिए डॉक्टर थायरॉइड, कोलेस्ट्रॉल, इंसुलिन और ट्राइग्लिसराइड के स्तर की जांच करवा सकते हैं।
3. अल्ट्रासाउंड द्वारा पीसीओडी की पहचान (Ultrasound)
अल्ट्रासाउंड पॉलीसिस्टिक ओवेरी की स्थिति को दिखता है। पॉलीसिस्टिक ओवेरियन रोग से पीड़ित महिलाओं में ओवेरी आंशिक रूप से विकसित हुई या एक या दोनों ओवेरी (अंडाशयों) का आकार 10 मिली से अधिक बढ़ हुआ दिखाई देता है।
4. पैल्विक परीक्षा द्वारा पीसीओडी की जांच (Pelvic Examination)
पैल्विक परीक्षा आपके अंडाशय या प्रजनन पथ के अन्य भागों में किसी भी समस्या का पता लगाने के लिए किया जाता है।
आइये अब जानते हैं कि पीसीओडी का घरेलू इलाज कैसे करें।
क्या पीसीओडी होने पर महिलाएं गर्भवती हो सकती हैं? (Can women get pregnant with PCOD in Hindi?)
हां, पीसीओडी वाली महिलाएं गर्भवती हो सकती हैं और गर्भावस्था को पूरा कर सकती हैं, इसके लिए भविष्य में किसी भी जटिलता से बचने के लिए महिला को स्त्री रोग विशेषज्ञ के साथ एक योजना बनाने की आवश्यकता होती है। जिसमें डॉक्टर बताती है की रोगी को कैसे रहना है क्या डाइट प्लान करना है और कब-कब परीक्षण करवाना है।
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क्या पीसीओडी का इलाज संभव है? (PCOD Treatment in Hindi)
पीसीओडी कोई गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन पीसीओडी को पूरी तरह ठीक करना मुश्किल है। फिर भी कुछ बातों का ध्यान रखकर पीसीओएस (PCOD) से बचा जा सकता है। जिसमें विशेष रूप से जीवनशैली में कुछ बदलाव लाना शामिल है। जैसे स्वस्थ वजन बनाए रखना, जटिल कॉर्बोहाइड्रेट आहार का पालन करना, नियमित व्यायाम करना और सक्रिय रहना। शरीर के अतरिक्त वजन में 5% की कमी भी लक्षणों को काफी कम करने में मदद कर सकती है।
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पीसीओडी का घरेलू उपचार (Home Remedies of PCOD Problem in Hindi)
1. वजन कम करें (Lose weight)
महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से बचने के लिए अपना अतरिक्त वजन कम रखें। वजन घटाने से इंसुलिन होर्मोनेस और एण्ड्रोजन होर्मोनेस के स्तर को कम किया जा सकता है। इन होर्मोनेस का उच्च स्तर पीसीओडी का कारण बनता है।
2. कार्बोहाइड्रेट सीमित करें (Limit carbohydrates)
उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार इंसुलिन के स्तर को बढ़ा सकते हैं। इंसुलिन का उच्च स्तर पीसीओडी का कारण बन सकता है। इसलिए पीसीओएस के बचाव के लिए महिलाएं कार्बोहाइड्रेट की मात्रा सीमित करें।
3. रोजाना व्यायाम करें (Regular exercise)
पीसीओएस के इलाज में व्यायाम एक अहम भूमिका निभा सकता है। यदि आप पीसीओडी से पीड़ित हैं, तो रोजाना व्यायाम करने से इंसुलिन प्रतिरोध को कम या खत्म किया जा सकता है।
व्यायाम रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। जिससे पीसीओडी को रोका जा सकता है।
4. दालचीनी से पीसीओडी का करें सेवन (Cinnamon for PCOD treatment in Hindi)
दालचीनी पीसीओडी के इलाज में मदद कर सकता है। रिसर्च के अनुसार दालचीनी में पॉलीफेनॉल्स (Polyphenols) पाया जाता है, जिसका एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक (Anti-hyperglycemic) गुण इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाता है और ब्लड में ग्लूकोज लेवल कम करता है। नतीजन, डायबिटीज कुछ हद तक नियंत्रित हो जाती है।
इसके अतिरिक्त दालचीनी शरीर का अतिरिक्त वजन कम करने, पाचन को स्वस्थ्य बनाए रखने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने आदि में भी मदद करती है।
5. पुदीने पीसीओडी में फायदेमंद (Mint for PCOD treatment in Hindi)
अधिकांश मामलों में अतरिक्त वजन पीसीओडी का कारण बनता है। इसलिए वजन को नियंत्रित बनाए रखना जरुरी है।
पुदीने में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ओबेसोजेनिक (Anti-obesogenic) तत्व, वजन को प्राकृतिक रूप से कम (मिंट के फायदे) करने में मदद करते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो पुदीने का सेवन पीसीओडी में फायदेमंद हो सकता है।
सुबह के वक्त पुदीने की चाय पीने से मेटाबॉलिज्म (Metabolism) और पाचन (Digestion) में सुधार होता है, और साथ ही पुदीने की चाय पीने से यह लीवर की सेहत में भी सुधर लाता है।
6. तुलसी का सेवन पीसीओडी में लाभकारी (Basil for treatment of PCOD in Hindi)
तुलसी के अन्दर एन्टी-एन्ड्रोजेनिक गुण पाया जाता है जो पीसीओडी के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। साथ ही पुदीने में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ओबेसोजेनिक (Anti-obesogenic) तत्व वजन को प्राकृतिक रूप से कम करने में मदद करती है।
पीसीओडी के लिए इंडियन डाइट प्लान (PCOD Diet Plan in Hindi)
पीसीओडी में क्या खाना चाहिए? – What to eat in PCOD in Hindi?
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन रोग (पीसीओडी) को नियंत्रित करने में आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जिसमें फाइब युक्त भोज्य पदार्थ उपयुक्त माने जाते हैं।
उच्च फाइबर वाला भोजन पाचन प्रक्रिया को धीमा करते हैं और रक्त में शर्करा के स्तर को कम रखते हैं जिससे इंसुलिन प्रतिरोध का मुकाबला करने में मदद मिलती है।
फल, सब्जियां और अनाज फाइबर युक्त आहार के प्रमुख स्रोत हैं। जिसमें
- ब्रोकोली, फूलगोभी और साग,
- हरी और लाल मिर्च
- पीली मूंग, हरी मूंग, चना दाल, बीन्स और साबुत दालें,
- बादाम, नट्स और सीड्स
- मीठे आलू, कद्दू, ब्रोकली और कटहल
- तरबूज, जामुन, नाशपाती, अनार , ब्लूबेरी और ब्लैकबेरी
- ईसबगोल की भूसी,
- जई का दलिया,
- टोंड दूध, सोया दूध, टोफू, पनीर और दही
- ओमेगा -3 फैटी एसिड में उच्च फैटी मछली, जैसे सैल्मन और सार्डिन
आदि शामिल हैं।
पीसीओडी में क्या नहीं खाना चाहिए? (What to avoid in PCOD in Hindi)
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन रोग (पीसीओडी) से पीड़ित महिलाओं को अत्यधिक परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट (Refined carbohydrates) और उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स (High glycemic index) वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
ऐसा इसलिए, क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थ पीसीओडी के लक्षणों को और भी ज्यादा खराब कर सकते हैं। जिसमें फ्रेंच फ्राइज़, रेड मीट और अन्य प्रोसेस्ड मीट प्रमुख हैं।
इसके अलावा –
- उच्च ओमेगा -6 वसा वाले खाद्य पदार्थ,
- कैफीन,
- प्रिजर्वेटिव भरे खाद्य पदार्थ,
- कृत्रिम रूप से बने मीठे खाद्य पदार्थ,
- नमकीन खाद्य पदार्थ,
- बहुत तेल-घी वाले खाना,
- जरुरत से ज्यादा मसालेदार खाना,
- मफिन्स,
- ग्लूटेन युक्त आहार जैसे पास्ता और सफेद ब्रेड,
- हैम्बर्गर, और सूअर का मांस
आदि भी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षणों को खराब कर सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन रोग या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, महिलाओं में होने वाली एक हार्मोनल स्थिति है। जो उनके गर्भधारण करने की क्षमता को प्रभावित करती है। पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं को उनके गर्भावस्था के दौरान कई जटिलताओं का सामना करना पड़ता है जिसमें गर्भपात, उच्च रक्तचाप, गर्भावधि मधुमेह, समय से पहले शिशु का जन्म होना आदि जटिलताएं शामिल हैं।
हालांकि, यदि पीसीओडी का समय रहते इलाज शुरू किया जाए, तो यह समस्या महिलाओं को ज्यादा प्रभावित नहीं करती है। इसलिए महिलाओं का समय से पहले जागरूकता होना जरुरी है। उन्हें सही इलाज मिलना और उनका स्वस्थ भोजन लेना, पीसीओडी की समस्या को काफी हद तक कम कर सकती है।
ये हैं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन रोग (पीसीओडी) के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार के बारे में बताई गई महत्वपूर्ण जानकारी। कमेंट में बताएं आपको यह पोस्ट कैसी लगी। अगर यह पोस्ट पसंद आई हो तो इस पोस्ट को शेयर जरूर करें।
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Disclaimer : ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करने या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietitian) की सलाह जरूर लें।
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