Ayurvedic Treatment for Triglycerides: क्या ट्राइग्लिसराइड्स का आयुर्वेदिक इलाज संभव है?

Ayurvedic Treatment for Triglycerides in Hindi: जिस प्रकार खराब कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक हैं, उसी प्रकार उच्च ट्राइग्लिसराइड्स भी हमारे स्वास्थ को नुकसान पंहुचा सकता है। जो आमतौर पर हृदय रोग, उच्च रक्तचाप जैसी अनेक बिमारियों का कारण बनता है। ऐसे में इसे नियंत्रित करना बेहद जरुरी है। जानकर ट्राइग्लिसराइड्स कम करने के लिए आयुर्वेदिक इलाज अपनाने की सलाह देते हैं। पर क्या ट्राइग्लिसराइड्स का आयुर्वेदिक इलाज संभव है? आइये इस पोस्ट के माध्यम से इसका जवाब जानते हैं।

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क्या हैं ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides in Hindi)?

ट्राइग्लिसराइड्स एक प्रकार का वसा (फैट) है, जो भोज्य पदार्थों से प्राप्त किया जाता है। ट्राइग्लिसराइड्स कैलोरी जमा करते हैं और हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। एक स्वस्थ्य शरीर के लिए ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा शरीर के लिए बेहद जरूरी होती है।

हालांकि, यदि शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल बढ़ जाए तो यह कई गंभीर स्थितियों का कारण भी बन सकता है। ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल जरुरत से ज्यादा बढ़ने पर धमनियां ब्‍लॉक हो सकती हैं, जो हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक या किसी अन्य गंभीर स्थिति का कारण बन सकता है।

ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल में क्या अंतर है? (Difference between Triglycerides and Cholesterol in Hindi)

ट्राइग्लिसराइड्स

कोलेस्ट्रॉल

ट्राइग्लिसराइड्स एक प्रकार का वसा (फैट) है, जो भोजन द्वारा प्राप्त होता है।  कोलेस्ट्रॉल एक मोमी, गंधहीन पदार्थ है जो लीवर द्वारा बनाया जाता है।
ट्राइग्लिसराइड्स का प्राथमिक कार्य आपके शरीर को ऊर्जा देना है और अतरिक्त कैलोरी को संचित करना है।  कोलेस्ट्रॉल आपके शरीर की कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है और आपके द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों को तोड़ने के लिए हार्मोन, विटामिन डी और पित्त बनाता है।
हमारा शरीर ट्राइग्लिसराइड्स भोज्य पदार्थों से प्राप्त करता है।  शरीर काम करने के लिए आवश्यक सभी कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन खुद से कर सकता है या भोजन से प्राप्त कर सकता है। 
रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स का सामान्य स्तर 150 mg/dL से कम होना चाहिए। रक्त में कोलेस्ट्रॉल का सामान्य स्तर 200 mg/dL से कम होना चाहिए।
अधिक कैलोरी खाने से रक्त में ट्राइग्लिसराइड का स्तर बढ़ जाता है। फैट के अधिक सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है।

उच्च कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड्स में से कौन खराब है? (which is worse cholesterol or triglycerides in Hindi)

Triglycerides in Hindi
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कोशिकाओं के निर्माण के लिए कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है। परन्तु, इसकी अधिक मात्रा विभिन्न रोगों का भी कारण होता है। रक्त में उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण रक्त वाहिकाओं में वसा (प्लग का निर्माण) जमा हो जाता है, जो रक्त को ठीक से बहने से रोकता है। 

रक्त प्रवाह के रुकने से हृदय रोग, दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसी प्रकार उच्च ट्राइग्लिसराइड्स भी गंभीर जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकता है, जैसे एथेरोस्क्लेरोटिक हृदय रोग, स्ट्रोक और अग्न्याशय की सूजन। इसके अलावा उच्च ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर मधुमेह रोग, गुर्दे की बीमारी, थायराइड की समस्या आदि के जोखिम को भी बढ़ा सकता है।

“उच्च कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स दोनों ही स्वास्थ्य के लिए बराबर हानिकारक हैं, जो हृदय रोग की जटिलताओं जैसे स्ट्रोक, दिल का दौरा आदि के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।”

क्या ट्राइग्लिसराइड्स का आयुर्वेदिक इलाज संभव है? (Is Ayurvedic treatment of triglycerides possible?)

ट्राइग्लिसराइड्स का इलाज कई तरह से किया जाता है। डॉक्टर इलाज के कौन से माध्यम का चयन करते हैं यह हाई ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर, मरीज की उम्र, लिंग, पहले से चल रही दवाओं और एलर्जी आदि पर निर्भर करता है।

ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ने पर डॉक्टर कुछ खास दवाएं निर्धारित कर सकते हैं, जीवनशैली में बदलाव लाने का सुझाव दे सकते हैं, एक्सरसाइज और साथ-साथ कुछ घरेलू नुस्खों का भी सुझाव दे सकते हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक डॉक्टर हाई ट्राइग्लिसराइड्स का इलाज करने के लिए कुछ खास आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का भी इस्तेमाल करने की सलाह दे सकते हैं।

पर क्या ट्राइग्लिसराइड्स का आयुर्वेदिक उपचार संभव है? जी हाँ, आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड का इलाज (Triglyceride treatment with Ayurveda in Hindi) संभव है। जो लोग ट्राइग्लिसराइड के उच्च स्तर से परेशान हैं या इस बीमारी को पहले ही रोकना चाहते हैं ऐसे लोग ट्राइग्लिसराइड का आयुर्वेद इलाज अपना सकते हैं। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट ट्राइग्लिसराइड कम करने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं या जड़ी बूटियों के साथ लाइफ़स्टाइल में बदलाव लाने की भी सलाह देते हैं।

तो आइए जानते हैं वह कौन सी आयुर्वेदिक तरीके हैं, जिनका इस्तेमाल आप ट्राइग्लिसराइड को कम करने के लिए कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखने वाली बात ये है कि यह सभी दवाएं या तरीके आपको किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेने चाहिए।

आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड्स का इलाज (Ayurvedic Treatment for Triglycerides in Hindi)

Ayurvedic Treatment for Triglycerides in Hindi
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ट्राइग्लिसराइड्स का आयुर्वेदिक उपचार नीचे बताया गया है इसे शुरू करने से पहले किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें। 

1. अर्जुन की छाल है ट्राइग्लिसराइड्स का आयुर्वेदिक इलाज (Arjun bark powder for lowering triglycerides)

अर्जुन की छाल एक बहुत ही शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो कोलेस्ट्रॉल को घोलने और धमनियों को साफ रखने की क्षमता रखती है। ट्राइग्लिसराइड्स का आयुर्वेदिक इलाज (Triglycerides Ayurvedic Treatment in Hindi) अर्जुन की छाल से किया जा सकता है। अर्जुन की छाल में हाइपोलिपिडेमिक पाया जाता है, जो शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स लेवल को कंट्रोल कर सकता है। 

स्टडी में बताया गया है कि अर्जुन की छाल (पाउडर) का सेवन करने से  टोटल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स , VLDL और LDL  का लेवल कम होता है, ये बॉडी के एक्सट्रा फैट को कम कर हाइपरटेंशन को भी नियंत्रित करता है।”

सेवन करने का तरीका 

तीन ग्राम अर्जुन छाल का चूर्ण  एक गिलास दूध में या पानी में मिलाकर उबाल लें। फिर इसे छान लें और इसका सेवन करें।अर्जुन की छाल सुबह-सुबह लिया जा सकता है।

2. ट्राइग्लिसराइड्स का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट है गुग्गुल (Guggul for lowering triglycerides)

यह गुग्गुल नामक पेड़ से चिपचिपे पदार्थ के रूप में निकलता है और सूखने के बाद कठोर हो जाता है। गुग्गुल का इस्तेमाल आयुर्वेद में हजारों सालों से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता है। गुग्गुल ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में मदद कर सकता है।

“गुग्गुल पर किए गए कुछ शोध बताते हैं कि यह कुल कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, और साथ ही यह ट्राइग्लिसराइड्स, LDL और VLDL कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मदद करता है।”

सेवन करने का तरीका 

चिकित्सक के परामर्शानुसार गुग्गुल का सेवन 125-250 मिलीग्राम कर सकते हैं। इसका स्वाद थोड़ा कड़वा होता है इसलिए इसे आप शहद के साथ मिला कर भी खा सकते हैं।

3. ट्राइग्लिसराइड की आयुर्वेदिक दवा है प्रभाकर वटी (Prabhakar vati for triglycerides)

प्रभाकर वटी को हाई ट्राइग्लिसराइड्स के इलाज के लिए एक आयुर्वेदिक उपाय माना जाता है। प्रभाकर वटी अर्जुन की छाल, शिलाजीत, अभ्रक भस्म व तुगाक्षीरी जैसी आयुर्वेदिक सामग्रियों के मिश्रण से बनाया जाता है।

रिसर्च से पता चलता है कि प्रभाकर वटी ट्राइग्लिसराइड्स, LDL और VDL-कोलेस्ट्रॉल को कम करने और HDL-कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में काफी मदद करता  है।”

यह दवा हृदय की मांसपेशियों की कार्यप्रणाली में सुधार कर हृदय रोगों से बचाने का काम करती है। साथ ही यह दवा ह्रदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर आदि में भी उपयोगी है। 

सेवन करने का तरीका 

प्रभाकर वटी की एक या दो गोली गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं। पर, बेहतर होगा कि आप इसे किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही लें।

4.  त्रिफला चूर्ण से करें ट्राइग्लिसराइड का आयुर्वेदिक इलाज (Triphala powder for lowering triglycerides)

हाई ट्राइग्लिसराइड्स का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment for Triglycerides in Hindi) त्रिफला चूर्ण द्वारा किया जा सकता है। त्रिफला तीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों (आंवला, बहेड़ा हरड़) का मिश्रण होता है। 

इसे मेटाबॉलिज्म को सुधारने में सहायक माना जाता है, जिससे शरीर में फैट जमा नहीं होता और साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी संतुलित करता है। शरीर में फैट के जमा न होने व हाई कोलेस्ट्रॉल के कम होने से ट्राइग्लिसराइड के स्तर में सुधार हो सकता है।

स्टडी से पता चलता है कि त्रिफला चूर्ण का सेवन टोटल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स , VLDL और LDL  का लेवल कम कर सकता है”

उपयोग करने का तरीका-

आप त्रिफला चूर्ण को बाजार से खरीद सकते हैं। रात को सोते समय 3 से 9 ग्राम त्रिफला चूर्ण गर्म पानी या दूध के साथ ले सकते हैं। पर, बेहतर होगा कि आप इसे किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही लें।

5. दिव्य हृदयामृत वटी से करें ट्राइग्लिसराइड का आयुर्वेदिक उपचार (Divya Hridyaamrit Vati for lowering triglycerides)

ट्राइग्लिसराइड्स का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment for Triglycerides in Hindi) दिव्य हृदयामृत वटी से किया जा सकता है। ये एक प्रार की आयुर्वेदिक दवा है, जो रक्त में फैट को कम करती है।

इससे ट्राइग्लिसराइड का लेवल सामान्य हो सकता है। इसके अलावा, यह दवा हृदय की आर्टरी में प्लाक को जमने से रोकने में भी मदद कर सकती है।

रिसर्च से पता चलता है कि दिव्य हृदयामृत वटी ट्राइग्लिसराइड्स, LDL और VDL-कोलेस्ट्रॉल को कम करने और HDL-कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में काफी मदद करता  है।”

सेवन करने का तरीका 

आप इस दवा को बाजार से खरीद सकते हैं। दिव्य हृदयामृत वटी की एक या दो गोली गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं। पर, बेहतर होगा कि आप इसे किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही लें।

6. आंवला और अदरक का जूस है ट्राइग्लिसराइड का आयुर्वेदिक उपाय (Amla and Ginger Juice for lowering triglycerides)

आंवले और अदरक में एंटीऑक्सीडेंट जैसे कई गुण पाए जाते हैं साथ ही इनमें में हाइपोलिपिडेमिक गुण भी होते हैं। हाइपोलिपिडेमिक गुण शरीर में उच्च एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसलिए, हाई ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए आंवला और अदरक का जूस पिया जा सकता है।

उपयोग करने का तरीका-

नसों में जमा ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल को खत्म करने के लिए आप 10 मिली आंवले का रस और 5.5 मिली अदरक का रस मिला के पि सकते हैं। आप इस जूस को रोजाना सुबह पी सकते हैं। 

7. लहसुन से कम करें ट्राइग्लिसराइड कम (Garlic for lowering triglycerides)

ट्राइग्लिसराइड के आयुर्वेदिक इलाज (Triglycerides Ayurvedic Treatment in Hindi) के लिए लहसुन बहुत उपयोगी है। लहसुन न केवल ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करता है बल्कि कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम कर सकता है। इसके अलावा, यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण करने के लिए ग्लूकोज होमियोस्टेसिस और इंसुलिन स्राव को भी नियंत्रित करता है। 

रोजाना लहसुन की दो कलियां छीलकर खाने से यह HDL कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने और LDL कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है।

8. ट्राइग्लिसराइड कम करने के लिए उपयोगी है प्याज (Onion for lowering triglycerides)

प्याज में हाइपोलिपिडेमिक और एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुण पाए जाते हैं, जो खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को कम करने में मदद कर कर सकता है। इसके अलावा प्याज HDL कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित नहीं करता है। इस आधार पर कहा जाता है कि कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड कम करने के लिए प्याज का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। 

अध्ययन से पता चलता है कि प्याज में मौजूद फ्लेवोनोइड्स मोटे लोगों के कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल), या “खराब” कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में मदद कर सकता है।”

9. ट्राइग्लिसराइड कम करने के लिए खाएं शहद और नीबू (Honey and lemon for lowering triglycerides)

उच्च ट्राइग्लिसराइड्स की समस्या में शहद और नीबू का सेवन किया जा सकता है। यह एंटीइन्फ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है, जो  कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स कम करने के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा शहद और नीबू एचडीएल (अच्छे कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।

उपयोग करने का तरीका-

ट्राइग्लिसराइड्स कम के लिए आप एक कप पानी में एक चम्मच शहद घोल कर पी सकते हैं।

10. दालचीनी है ट्राइग्लिसराइड कम करने वाली जड़ी बूटी (Cinnamon for lowering triglycerides)

हाई कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के लिए दालचीनी आयुर्वेद का रामबाण इलाज (Ayurvedic Treatment for Triglycerides in hindi) माना जा सकता है इसके अलावा ये सीरम ग्लूकोज, कुल कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल  के स्तर को भी कम कर सकता है।

स्टडी में बताया गया है कि दालचीनी (पाउडर) का सेवन  टोटल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स , VLDL और LDL  का लेवल कम करने में मदद करता है, ये बॉडी के एक्सट्रा फैट को कम कर हाइपरटेंशन को भी नियंत्रित कर सकता है।”

आप ट्राइग्लिसराइड्स कम करने के लिए दालचीनी और शहद का सेवन एक साथ कर सकते सकते हैं। इसके साथ ही दालचीनी को कम से कम 8 सप्ताह तक लगातार लेने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कम या कंट्रोल किया जा सकता है।

उपयोग करने का तरीका-

एक कप पानी में दो चम्मच शहद और दो चम्मच दालचीनी का चूर्ण मिला लें। इसका रोज 3 बार सेवन करें। इससे कोलेस्ट्राल और ट्राइग्लिसराइड्स कम होता है।

आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड्स का इलाज (Treatment of Triglycerides with Ayurveda in Hindi)

ट्राइग्लिसराइड्स के इलाज के लिए आप आयुर्वेदिक दवा जैसे – अर्जुन क्वाथ, हृदयामृत वटी, अर्जुनारिष्ट, त्रिफला चूर्ण, गुग्गुल, प्रभाकर वटी, हृदयार्णव रस ले सकते हैं। इसे शुरू करने से पहले किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें। 

ट्राइग्लिसराइड नियंत्रित करने के आयुर्वेदिक टिप्स (Ayurvedic Tips to Regulate Triglycerides in Hindi)

Ayurvedic Tips to Regulate Triglycerides in Hindi
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  • नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि करें –एक्सरसाइज करने से आपके शरीर का शुगर बेहतर तरीके से मेटाबोलाइज होता है और खून में शुगर की मात्रा कम होती है। अतिरिक्त चीनी की कमी के कारण, चीनी ट्राइग्लिसराइड्स में परिवर्तित नहीं होती है और आपका ट्राइग्लिसराइड्स नहीं बढ़ता है।
  • वजन कम करें –  यदि आपको हल्का या मध्यम हाइपरट्रिग्लिसराइडिमिया है, तो कैलोरी कम करने पर ध्यान दें। अतिरिक्त कैलोरी ट्राइग्लिसराइड्स में परिवर्तित हो जाती हैं और वसा के रूप में जमा हो जाती हैं। कैलोरी कम करने से ट्राइग्लिसराइड्स कम होता है।
  • फाइबर की मात्रा बढ़ाएं – अपने आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं। अधिक फाइबर खाने से रक्त में ट्राइग्लिसराइड का स्तर कम होता है। फाइबर लगभग सभी प्रकार की सब्जियों और फलों में पाया जाता है। 
  • हेल्दी फैट खाएं – ट्राइग्लिसराइड बढ़ने पर आप लाल मांस के बजाय, ओमेगा-3 फैटी एसिड वाली मछली जैसे मैकेरल या सैल्मन खाने की कोशिश करें।
  • चीनी और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से बचें-  सरल कार्बोहाइड्रेट, जैसे कि चीनी और सफेद आटे से बने भोज्य पदार्थ या फ्रुक्टोज से बने खाद्य पदार्थ, ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ा सकते हैं।
  • सैचुरेटेड फैट से बचें – हाइपरट्रिग्लिसराइडिमिया में उन खाद्य पदार्थों को खाने से बचना चाहिए जिनमें अधिक मात्रा में सोडियम (Salt), सैचुरेटेड फैट, हाइड्रोजनीकृत तेल और प्रिजर्वेटिव (Preservative) मिले होते हैं। ये सभी भोज्य पदार्थ ट्राइग्लिसराइड बड़ा सकते हैं।
  • नॉन वेग कम खाएं – मांस, मछली और अंडा के बजाए अपने आहार में अधिक मात्रा में फल और सब्जियां खाएं।
  • शराब से दूर रहें – शराब में कैलोरी और चीनी की मात्रा अधिक होती है। यदि आपको गंभीर हाइपरट्रिग्लिसराइडिमिया है, तो कोई भी शराब पीने से बचें।

और पढ़ें-  कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर क्या खाएं और क्या ना खाएं।

उच्च ट्राइग्लिसराइड्स के लक्षण क्या हैं? (What are the symptoms of high triglycerides?)

आमतौर पर उच्च रक्त ट्राइग्लिसराइड्स के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। अनुपचारित या अनियंत्रित उच्च रक्त ट्राइग्लिसराइड का स्तर कोरोनरी हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी गंभीर जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकता है। हालांकि, ट्राइग्लिसराइड्स के बहुत उच्च स्तर वाले कुछ लोगों को लक्षणों का अनुभव हो सकता है, जिसमें शामिल हैं-

  • ऊपरी पेट में दर्द,
  • ज़ैंथोमास,
  • न्यूरोलॉजिकल बीमारी,
  • रेटिना में समस्या,
  • चिड़चिड़ापन आदि। 

उच्च ट्राइग्लिसराइड्स का क्या कारण बनता है? (What are the causes of high triglycerides?)

कई जीवनशैली कारक रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स के उच्च स्तर की ओर ले जाते हैं। वे ट्राइग्लिसराइड्स के कारणों की तुलना में अधिक जोखिम वाले कारक हैं:

  • नियमित उच्च कैलोरी आहार
  • मोटापा
  • अत्यधिक शराब का सेवन
  • आनुवंशिक विकार
  • थायराइड रोग
  • सिगरेट धूम्रपान
  • लीवर या किडनी के रोग
  • खराब नियंत्रित टाइप 2 मधुमेह
  • कुछ दवाएं

निष्कर्ष (Conclusion)

ट्राइग्लिसराइड्स की अधिक मात्रा हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है, जो दिल और संचार संबंधी बीमारियों जैसे दिल का दौरा और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकती है। उच्च ट्राइग्लिसराइड्स से पीड़ित रोगी आयुर्वेदिक इलाज द्वारा इस समस्या का निवारण आसानी से कर सकते हैं जिसमें विशेष रूप से अर्जुन की छाल, गुग्गुल, प्रभाकर वटी, त्रिफला चूर्ण, आंवला, दालचीनी, दिव्य हृदयामृत वटी आदि का उपयोग शामिल हैं।

इसके साथ ही भोजन में स्वस्थ आहार लेना और नियमित रूप से व्यायाम करना उच्च ट्राइग्लिसराइड्स की समस्या को कम कर सकता है। फिर भी अगर ट्राइग्लिसराइड्स का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment for Triglycerides in Hindi) या घरेलू नुस्खे कारगर साबित नहीं होते हैं, तो डॉक्टर उस स्थिति में कुछ दवाओं द्वारा इस बीमारी को आसानी से ठीक कर सकते हैं।

हमें आशा है कि अब आप ट्राइग्लिसराइड्स कम करने का आयुर्वेदिक इलाज के बारे में जान गए होंगे। कमेंट में बताएं आपको यह पोस्ट कैसी लगी। अगर आपको पोस्ट पसंद आई हो, तो इसे शेयर जरूर करें। वेब पोस्ट गुरु ब्लॉग में आने और पोस्ट पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

Disclaimer : ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करने या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietitian) की सलाह जरूर लें।

ट्राइग्लिसराइड्स के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ for triglycerides)

Q. क्या प्याज ट्राइग्लिसराइड्स के लिए अच्छा है?

Ans. जी हां, प्याज ट्राइग्लिसराइड्स के लिए काफी उपयोगी माना जाता है। प्याज में हाइपोलिपिडेमिक और एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुण पाए जाते हैं, जो खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में मदद कर कर सकता है। इसके अलावा अध्ययनों से पता चलता है कि प्याज में मौजूद फ्लेवोनोइड्स मोटे लोगों के कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल), या “खराब” कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में मदद कर सकता है।

Q. क्या लहसुन खाने से ट्राइग्लिसराइड कम होता है?

Ans. जी हां, लहसुन न केवल ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करता है बल्कि कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम कर सकता है। इसके अलावा, यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण करने के लिए ग्लूकोज होमियोस्टेसिस और इंसुलिन स्राव को भी नियंत्रित करता है।

Q. हाई ट्राइग्लिसराइड्स होने पर मुझे क्या नहीं खाना चाहिए?

Ans. चीनी और सफेद आटे से बने भोज्य पदार्थ या फ्रुक्टोज से बने खाद्य पदार्थ, ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा हाइपरट्रिग्लिसराइडिमिया में उन खाद्य पदार्थों को खाने से बचना चाहिए जिनमें अधिक मात्रा में सोडियम (Salt), सैचुरेटेड फैट, हाइड्रोजनीकृत तेल और प्रिजर्वेटिव (Preservative) मिले होते हैं। ये सभी भोज्य पदार्थ ट्राइग्लिसराइड बड़ा सकते हैं।

Q. ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए सबसे अच्छा पेय कौन सा है?

Ans. आंवला और अदरक का जूस ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। आंवले और अदरक में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन-सी जैसे कई गुण पाए जाते हैं साथ ही इनमें में हाइपोलिपिडेमिक गुण भी होते हैं, जो ट्राइग्लिसराइड्स कम करने में मदद करता है।

Q. आयुर्वेदिक दवा से ट्राइग्लिसराइड्स कैसे कम करें?

 

Ans. प्रभाकर वटी, त्रिफला चूर्ण, दिव्य हृदयामृत वटी ट्राइग्लिसराइड्स कम करने की आयुर्वेदिक दवा है। आयुर्वेदिक डॉक्टर के अनुसार इनका उपयोग करने से ट्राइग्लिसराइड्स की समस्या दूर हो सकती है। इसके अलावा दालचीनी और गुग्गुल भी ट्राइग्लिसराइड्स के उच्च स्तर को कम करने के लिए काफी असरदार माने जाते हैं।

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