ज्यादातर मामलों में कब्ज की बीमारी सामान्य मानी जाती है। हालांकि, कभी कभी कब्ज के बिगड़ने से कोलोरेक्टल कैंसर या इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (विकार जो बड़ी आंत को प्रभावित करता है।) होने का खतरा बढ़ जाता है। कब्ज का मुख्य कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल में होने वाला बदलाव है। इसलिए कब्ज के पनपने से पहले ही कब्ज का इलाज करना जरुरी है। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज बता रहे हैं। तो आइये Ayurvedic Treatment of Constipation in Hindi पोस्ट शरू करते हैं।
कब्ज क्या है? (What is chronic constipation in Hindi)
कॉन्स्टिपेशन (Constipation) जिसे हिंदी भाषा में कब्ज कहते हैं एक पाचन सम्बन्धी विकार है। कब्ज में मल कठोर, सूखा या ढेलेदार हो जाता है जिसकारण मल त्याग के समय काफी जोर लगाना पड़ता है जिससे दर्द और तकलीफ होती है। यदि किसी व्यक्ति को सप्ताह में तीन बार से कम मल त्याग होता है, तो यह स्थिति कब्ज कहलाती है। (1)
हलाकि, कभी-कभी डॉक्टर कब्ज को क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन (chronic constipation) भी कहते है, जिसका मतलब होता है पुरानी कब्ज। किसी कब्ज को पुराना तब कहा जाता है जब कॉन्स्टिपेशन की स्थिति कई सप्ताह या उससे अधिक समय तक रहती है।
कब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कई घरेलू उपचार बेहद कारगर होते हैं। आइए पढ़ते हैं कब्ज दूर करने का आयुर्वेदिक इलाज।
कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment of Constipation in Hindi)
आयुर्वेद द्वारा कब्ज का परमानेंट इलाज किया जाना संभव है। आयुर्वेदिक इलाज से पेट की कब्ज के साथ-साथ बदहजमी और गैस की समस्या को भी दूर किया जा सकता है।
कब्ज दूर करने के आयुर्वेदिक तरीकों में शामिल हैं-
1. मुनक्का (Black raisins for chronic constipation in Hindi
भीगी हुए मुनक्के खाने से न सिर्फ कॉन्स्टिपेशन दूर होती है बल्कि पाचन क्रिया भी मजबूत रहती है। मुनक्के फाइबर से भरपूर होते है साथ ही ये आयरन की कमी को भी दूर करते है।
रोजाना 8-10 ग्राम मुनक्का खाने से कब्ज को दूर किया जा सकता है।
2. अरंडी का तेल कब्ज के लिए (Castor oil for chronic constipation in Hindi)
अरंडी का तेल कॉन्स्टिपेशन दूर करने के लिए काफी फायदेमंद मन जाता है। इसके लिए रोजाना रात में सोने से पहले एक गिलास गुनगुने गर्म दूध में दो चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर सेवन करें।
3. बेल कब्ज के लिए (Vine fruit for constipation in Hindi)
विशेषज्ञों के अनुसार बेल फाइबर से भरपूर होता है जो कब्ज दूर करने में मदद कर सकता है। आप चाहें तो बेल के पल्प का सेवन कर सकते हैं या फिर इससे बना शरबत भी पी सकते हैं।
गर्मियों में बेल पेट को ठंडा करता है जिससे कॉन्स्टिपेशन के दौरान गैस की समय नहीं होती है।
4. जीरा और अजवायन कब्ज में उपयोगी (Thyme and Cumin seeds for constipation in Hindi)
विशेषज्ञों के अनुसार जीरा और अजवाइन का सेवन गैस और कब्ज की परेशानी को दूर करने में मदद करती है।
जीरा और अजवाइन के सेवन से पहले इसे धीमी आंच कर कुछ मिनट के लिए भून लें । इसके बाद इसमें काला नमक मिक्स कर लें।
रोजाना 1 गिलास गुनगुने पानी के साथ इसका सेवन करने से कब्ज और गैस की परेशानी से छुटकारा मिल सकता है।
4. त्रिफला चूर्ण से करें कब्ज का परमानेंट इलाज (Triphala churna for constipation in Hindi)
त्रिफला का चूर्ण पेट साफ करने का आयुर्वेदिक उपाय सबसे प्रभावी है। आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला को सुबह खली पेट पीने से पुरानी कब्ज की बीमारी दूर हो सकती है।
कब्ज दूर करने के लिए तीन से पांच ग्राम त्रिफला चूर्ण को एक कप गर्म पानी के साथ पियें।
6. कॉन्स्टिपेशन में फायदेमंद है सौंफ (Fennel seeds for constipation in Hindi)
गैस और कॉन्स्टिपेशन से जूझ रहे लोगों के लिए सौंफ काफी फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए रात में सोने से पहले 1 चम्मच भुनी हुई सौंफ लें।
इस सौंफ के साथ 1 गिलास गर्म पानी का सेवन करेँ। इससे आपको काफी आराम महसूस हो सकता है।
7. कब्ज में खाएं ईसबगोल भूसी (Psyllium husk for constipation in Hindi)
ईसबगोल की भूसी फाइबर से भरपूर होती है। यह कोलन की सफाई के लिए बहुत ही मददगार साबित होती है। रोजाना एक गिलास गर्म पानी में 1 से 2 चम्मच ईसबगोल भूसी का सेवन करें।
8. अलसी के बीज से करें कब्ज और गैस को दूर (Flaxseed to relieve chronic constipation in Hindi)
अलसी के बीज कब्ज दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय में शामिल है।
कॉन्स्टिपेशन और गैस से राहत पाने के लिए अलसी के बीज आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अलसी के बीज फाइबर से भरपूर होते है जो कब्ज को दूर करने में मदद कर सकते है।
कब्ज से राहत पाने के लिए 1 चम्मच अलसी के बीज का सेवन रात में सोने से पहले करें। इससे आपको काफी आराम मिल सकता है।
और पढ़ें – हर्बल चाय (हर्बल टी) के 8 फायदे और नुकसान।
कब्ज होने के कारण क्या हैं? (Reason of chronic constipation in Hindi)
कब्ज क्यों होती है? अक्सर ये सवाल हमारे मन में होता है। इसका जवाब है गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (gastrointestinal) में होने वाला बदलाव। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एक बड़ी आंत है जो पोषक तत्वों को पचाने, अवशोषित करने और अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकलने का काम करती है।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल में बदलाव आने से अपशिष्ट पदार्थ बहार नहीं निकल पाते हैं, नतीजन यह Constipation का कारण बनता है।
कॉन्स्टिपेशन होने का दूसरा कारण है कोलन द्वारा पानी का अधिक सोखे जाना। पानी के अधिक सोखने से मल सूख जाता है और फिर मल का निकलना कठिन हो जाता है।
इसके अलावा भी chronic constipation के कई और कारण हो सकते हैं जिसमें जीवनशैली में बदलाव, दवाएं, चिकित्सीय स्थितियां और गर्भावस्था शामिल हैं।
बच्चों और वयस्कों में कब्ज के निम्नलिखित कारण नीचे दिए गए हैं। (1, 2, 3 & 4)
1. कब्ज के सामान्य कारण – Common causes of chronic constipation in Hindi
क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन के सामान्य कारणों में शामिल हैं:
- कम फाइबर आहार का सेवन करना,
- मांस, दूध, या पनीर का अधिक सेवन करना,
- पर्याप्त पानी नहीं पीना (निर्जलीकरण),
- पर्याप्त व्यायाम नहीं करना,
- आपकी नियमित दिनचर्या में बदलाव, जैसे यात्रा करना, खाने के समय में बदलाव या अलग-अलग समय में सोना,
- लम्बे समय तक तनाव में रहना,
- हेल्थ सप्लीमेंट्स का उपयोग किया जाना,
- मल त्याग करने की इच्छा का विरोध करना,
- बैक्टीरियल इन्फेक्शन,
- गर्भावस्था,
- वृद्धावस्था (कब्ज 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लगभग एक तिहाई को प्रभावित करती है।)
और पढ़ें – Acid reflux (हाइपर एसिडिटी) और खट्टी डकार से छुटकारा पाने का घरेलू इलाज
2. कब्ज के चिकित्सीय कारण – Medical Causes of Chronic Constipation in Hindi
निम्नलिखित चिकित्सीय स्थितियां भी कब्ज का कारण हो सकती हैं:
- कोलोरेक्टल कैंसर,
- इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का होना,
- डायवर्टिक्युलाइटिस (आंतों का रोग) रोग होना,
- जीआई पथ अन्य समस्याएं,
- पेट में ट्यूमर,
- सीलिएक रोग,
- कोलन पॉलीप्स,
- मल्टीपल स्क्लेरोसिस,
- मधुमेह,
- थायरॉयड का होना (हाइपोथायरायडिज्म),
- यूरीमिया,
- हाइपरकैल्सीमिया,
- पार्किंसंस रोग,
- आघात।
3. कब्ज का कारण है दवाएं – Drugs that Cause chronic Constipation in Hindi
इसके अलावा कुछ दवाएं ऐसी हैं जो कब्ज का कारण बन सकती हैं। इन दवाओं में शामिल हैं:
- एंटासिड (अपच और सीने की जलन को दूर करने की दवा),
- मतली विरोधी दवाएं,
- एलर्जी की दवाएं,
- दर्द निवारक दवाएं,
- आयरन की दवा,
- एंटीडिप्रेसन्ट दवा, एं
- टी-इंफ्लेमेटरी दवा,
- मूत्रवर्धक और
- पार्किंसंस रोग के उपचार में आने वाली दवाइयां आदि शामिल हैं।
पुरानी कब्ज के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of chronic constipation in Hindi)
बच्चों और वयस्कों में कब्ज के लक्षण
पेट में कब्ज के लक्षण में शामिल हैं- (1 & 5)
- एक सप्ताह में तीन से कम मल त्याग,
- ढेलेदार, सख्त, या सूखे मल होना,
- सामान्य से कम मल विसर्जन होना
- मल त्याग के दौरान तनाव या दर्द,
- शौच के बाद लगना कि पेट साफ नहीं हुआ,
- पेट में दर्द होना।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (NIDDK) के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं तो ऐसी स्थिति Constipation के लिए मेडिकल इमरजेंसी हो सकती हैं।
- मलाशय से खून आना,
- मल में खून होना,
- पेट में मरोड़ उठना या दर्द होना,
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द,
- ऐसा महसूस होना कि गैस फंस गई है,
- उल्टी,
- बुखार,
- वजन का लगातार घटना।
उपरोक्त में से यदि 3 या 4 लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर कोलोरेक्टल कैंसर या इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लिए आपकी जाँच कर सकते हैं।
और पढ़ें – फूड पाइजनिंग के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज
कब्ज के नुकसान क्या हैं? (Complications of chronic constipation in Hindi)
लम्बे समय तक Constipation रहने से निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं- (6 & 7)
- लगातार कॉन्स्टिपेशन रहने से बवासीर की समस्या हो सकती है।
- कब्ज के कारण पेट साफ नहीं होता है जिससे मुहांसों की समस्या हो सकती है।
- लम्बे समय तक constipation के बने रहने से पुरुषों में वैरिकोसील रोग (नसों की खराबी का रोग) का कारण बन सकता है। यह समस्या पुरुषों की प्रजनन क्षमता में कमी ला सकती है।
- अधिक समय से कब्ज के कारण मरीजों को कुछ मानसिक विकार भी हो सकते हैं, जिसमें चिंता, तनाव और अवसाद शामिल हैं।
- लम्बे समय तक अगर constipation रहे तो शरीर के अंदर वायरस, बैक्टीरिया या कैंसर सेल पनपने का खतरा बढ़ जाता है।
- कब्ज हमरी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर डालते हैं और उसे कमजोर बनाते हैं।
- लंबे समय से कॉन्स्टिपेशन की समस्या की वजह से हमारे यूरिनरी ट्रैक्ट में इंफेक्शन भी हो सकता है।
और पढ़ें – इम्युनिटी बढ़ाने के घरेलू उपाय।
क्या हैं कब्ज के जोखिम कारक? (Risk factors for chronic constipation in Hindi)
जोखिम करक का मतलब है कि किन लोगों को कब्ज होने की अधिक सम्भावना है। क्लिनिकल इंटरवेंशन इन एजिंग (Clinical Interventions in Aging) जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कब्ज के प्रमुख जोखिम कारक महिलाएं और बुजुर्ग हैं। (8 & 9)
1. महिला लिंग (Female gender)
महिलाओं में कॉन्स्टिपेशन होने की सम्भावना पुरुषों के मुकाबले अधिक होती है, खासकर जब महिला गर्भवती हों। प्रेगनेंसी के समय हार्मोन में होने वाला बदलाव कब्ज के खतरे को बढ़ा सकता है।
गर्भ के अंदर बच्चा आंतों को निचोड़ता है, मल के मार्ग को धीमा कर सकता है। प्रसव के बाद भी कॉन्स्टिपेशन की स्थिति लम्बे समय तक रह सकती है।
2. आपकी आयु (Your age)
उम्र के बढ़ने के साथ चयापचय क्रिया धीमी हो जाती है जो कब्ज का कारण बनता है।
3.अवसाद या तनाव (Depression or Stress)
तनाव कई तरह से कॉन्स्टिपेशन पैदा कर सकता है। तनाव हार्मोन शारीरिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करके सीधे मल त्याग को प्रभावित करते हैं। अवसाद के अलावा मानसिक स्वास्थ्य समस्या भी कब्ज का कारण बनता है।
4. फाइबर युक्त आहार कम लेना (Low fiber diet)
रेशेदार भोजन कब्ज को दूर करने में फायदा पहुंचते हैं। फाइबर पानी को अवशोषित करने और मल को आपस में जोड़ने में मदद करता है। जिससे मल के वजन और आकार दोनों में बढ़ोतरी होती है साथ ही मल को नरम भी करते हैं।
पर्याप्त मात्रा में उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ को न खाने से constipation के होने की सम्भावना बढ़ती है।
5. दवाइयों का अधिक सेवन (Medicine)
जैसे हमने उप्पर बताया है की बहुत सी दवाएं ऐसी होती हैं जो कब्ज का कारण बनती हैं। इन दवाओं के लम्बे समय तक सेवन करने से कब्ज होने की सम्भावना बढ़ती है।
कैसे किया जाता है कब्ज का निदान? (How is constipation diagnosed in Hindi)
कब्ज का निदान कॉन्स्टिपेशन की अवधि और गंभीरता पर निर्भर करता है। यदि constipation की स्थिति ज्यादा गंभीर नहीं है तो डॉक्टर यूरिन परीक्षण, मल परीक्षण या कुछ ब्लड टेस्ट करवा कर कब्ज का निदान करते हैं।
परन्तु, यदि कब्ज की स्थिति अधिक गंभीर है तो डॉक्टर कब्ज के निदान के लिए आपके मलाशय की जाँच कर सकते हैं।
कॉन्स्टिपेशन के निदान में निम्नलिखित टेस्ट शामिल हो सकते हैं:
1. थायराइड हार्मोन द्वारा कब्ज की जाँच – Thyroid hormone test for constipation in Hindi
हाइपोथायरायडिज्म (थायराइड की कमी) के कारण कब्ज हो सकती है, इसलिए डॉक्टर constipation की जाँच में थायराइड हार्मोन का टेस्ट कर सकते हैं।
2. सिग्मायोडोस्कोपी द्वारा कॉन्स्टिपेशन की जाँच – Sigmoidoscopy for constipation in Hindi
कब्ज की जाँच के लिए सिग्मायोडोस्कोपी का उपयोग किया जा सकता है। सिग्मायोडोस्कोप एक लचीली ट्यूब होती है जिसमें आगे की ओर कैमरा लगा होता है। जिसे गुदा के माध्यम से डाला जाता है। सिग्मायोडोस्कोपी द्वारा रेक्टम और कोलन के निचले भाग की जाँच होती है।
इसके अलावा सिग्मोइडोस्कोपी दस्त, पेट दर्द, constipation , असामान्य वृद्धि और रक्तस्राव के कारणों की पहचान करने में भी सहायक होता है।
3. कोलोनोस्कोपी द्वारा कब्ज का परीक्षण – Colonoscopy for constipation in Hindi
कोलोनोस्कोपी, कब्ज की जाँच के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। कोलोनोस्कोपी द्वारा कोलोन की जांच की जाती है।
4. एनोरेक्टल मैनोमेट्री कब्ज की जाँच – Anorectal manometry constipation test
कब्ज की जाँच में एनोरेक्टल मैनोमेट्री का उपयोग लाया जा सकता है। रेक्टल मैनोमेट्री एक परीक्षण है जिसका उपयोग मलाशय में दबाव और संवेदना को मापने और आकलन करने के लिए किया जाता है।
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कब्ज की दवा (Medicine for constipation in Hindi)
अगर आयुर्वेदिक तरीके से भी कब्ज से रहत ना मिले तो आप डॉक्टर के अनुसार कब्ज की दवा के सकते हैं।
1. कब्ज की होम्योपैथिक दवा (Homeopathic medicine in Hindi)
होम्योपैथी के इलाज द्वारा कब्ज को ठीक किया जा सकता है। कब्ज की होम्योपैथिक मेडिसिन निम्नलिखित हैं।
- एलुमिना सिलिकाटा (Alumina Silicata)
- लाइकोपोडियम क्लैवाटम (Lycopodium Clavatum)
- ब्रायोनिया एल्बा (Bryonia Alba)
- कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)
- ग्रेफाइट (Graphites)
- नैट्रम म्यूरिएटिकम (Natrum Muriaticum)
- नक्स वोमिका (Nux Vomica)
- कॉस्टिकम (Causticum)
2. कब्ज की अंग्रेजी दवा (Allopathic medicine for constipation in Hindi)
अगर कब्ज दूर करने के घरेलू नुस्खे काम न करें,तो डॉक्टर कब्ज के इलाज के लिए अंग्रेजी दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कब्ज तोड़ने की अंग्रेजी दवा में शामिल हैं-
- फाइबर सप्लीमेंट्स
- आसमाटिक एजेंट्स
- स्टूल सॉफ्टनर्स
- लुब्रिकेंट्स , जैसे मिनरल आयल
- स्टिमुलैंट्स
- फाइब्रिल
- डोकुसेटस
- फेनोल्फथेलिन
- बिसकॉडिअल
- सोडियम पिकोसल्फेट
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निष्कर्ष (Conclusion)
कब्ज एक आम समस्या है जो 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और प्रेग्नेंट महिलाओं में देखी जाती है। कब्ज का मुख्य कारण फाइबर युक्त आहार का सेवन न करना और कुछ खास तरह की दवाओं को लम्बे समय तक लेना है। हालांकि, अधिकतर मामलों में आयुर्वेदिक उपचार द्वारा कॉन्स्टिपेशन ठीक हो जाता है। फिर भी यदि chronic constipation की समस्या लम्बे समय तक रहती है और मल के साथ खून भी आता है तो यह स्थिति गंभीर हो सकती है। इसलिए ऐसी स्थिति में अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
ये है कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज। कमेंट में बताएं आपको Ayurvedic Treatment of Constipation in Hindi पोस्ट कैसी लगी। अगर आपको पोस्ट पसंद आई हो, तो इसे शेयर जरूर करें।
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Disclaimer : ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करने या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietitian) की सलाह जरूर लें।
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