गर्भावस्था की तीसरी तिमाही: लक्षण, शिशु विकास और ब्लड टेस्ट

Pregnancy Third Trimester in Hindi : इस पोस्ट में हमने गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के लक्षण (symptoms), शिशु विकास (Fetus  growth) और ब्लड टेस्ट (Blood test)  के बारे में बताया है।

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही क्या है? | Pregnancy Third Trimester in Hindi

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही का मतलब – Third trimester of pregnancy meaning in Hindi

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही प्रेगनेंसी की आखरी तिमाही होती है। तीसरी तिमाही गर्भावस्था के 28 वें सप्ताह में शुरू होती है और तब तक चलती है जब तक शिशु जन्म नहीं ले लेता, जो कि लगभग 40 से 41 सप्ताह तक चलती है। अगर महीनों मे बात करे तो यह 7वें महीने से शुरू होकर 9वें महीनों तक चलती है। गर्भावस्था के 37वें सप्ताह तक भ्रूण लगभग पूरी तरह से विकसित हो जाता है और यह किसी भी समय आप की दुनिया में आ सकता है। 

तीसरी तिमाही में गर्भावस्था के लक्षण क्या हैं? | Third trimester of pregnancy symptoms in Hindi

निम्नलिखित शारीरिक परिवर्तन और लक्षण तीसरी तिमाही के दौरान आप अनुभव कर सकती है:

गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही के लक्षण –

  • शिशु के विकास के साथ आप का वजन लगातार तेजी से बढ़ता है जिसमें लगभग 15-16 किलो का इजाफा हो सकता है,
  • भ्रूण के शरीर की गर्मी के कारण आपके त्वचा के तापमान में वृद्धि हो सकती है,
  • मूत्राशय पर बढ़ते दबाव के कारण आपको बार-बार यूरिन आ सकती है,
  • रक्तचाप में कमी आ सकती है क्योंकि भ्रूण मुख्य नस पर दबाव डालता है जो रक्त को हृदय में लौटाता है,
  • हाथ और चेहरा में सूजन आ सकती है, 
  • हार्मोन की वृद्धि के कारण आपके हाथ, पैर और चेहरे पर बाल आने शुरू हो सकते हैं,
  • पैरो की ऐंठन हो सकती है,
  • पेट, स्तन, जांघों और नितंबों पर खिंचाव के निशान दिखाई दे सकते हैं,
  • पेट की त्वचा पर खुजली होना और पेट में स्ट्रेच मार्क्स के निशान आ सकते हैं,
  • चेहरे की त्वचा पर गहरे पैच आ सकते हैं, 
  • स्तनों से रिसाव होना जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं (स्तन ग्रंथियों द्वारा उत्पादित दूध का पहला रूप कोलोस्ट्रम कहलाता है),
  • कब्ज और अपच जारी रह सकता है,
  • सफेद वेजाइनल स्राव (ल्यूकोरिया) पहले के मुकाबले अधिक होना,
  • पीठ दर्द और कमर दर्द में वृद्धि हो सकती है,
  • बवासीर होना और इसका ज्यादा गंभीर हो जाना इत्यादि।

और पढ़ें –  Amniotic Fluid की कमी या अधिकता के लक्षण, कारण और इलाज।

गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही में शिशु का विकास | Fetus growth during third trimester in Hindi

गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही में शिशु का विकास, गर्भावस्था की तीसरी तिमाही
 

तीसरी तिमाही के दौरान, आपका भ्रूण आकार और वजन दोनों में बढ़ता रहता है और तीसरी तिमाही के अंत तक, भ्रूण लगभग 19 से 21 इंच लंबा होता है और वजन, औसतन 2.7 से 4 kg तक हो जाता है। तीसरी तिमाही के दौरान भ्रूण में निम्नलिखित बदलाव आते हैं:

Fetus growth chart during third trimester
  • लगभग 28 वें  सप्ताह में भ्रूण अपनी आँखें खोल सकता है और बंद कर सकता है,
  • गर्भावस्था के 29 वें या 30वें सप्ताह में भ्रूण के तंत्रिका तंत्र का पूरा विकसित हो जाता है,
  • लगभग 31वें  सप्ताह में आपके बच्चे का मस्तिष्क और तेजी से परिपक्व हो रहा होता है,
  • लगभग 32 वें सप्ताह में आपके बच्चे की हड्डियाँ पूरी तरह से बन जाती हैं। साथ ही बालों का विकास और नाखून का निर्माण होता है,
  • जिस समय आप 34 वें  सप्ताह की गर्भवती होती हैं, भ्रूण अपने सर को नीचे करने की शुरुवात करता है। 
  • भ्रूण अपना अंगूठा चूस सकता है और रोने की क्षमता रखता है,
  • 38 वें  सप्ताह में बच्चे का शरीर आयरन और कैल्शियम जैसे खनिजों का भंडारण करना शुरू करने लगता है,
  • 38 वें  सप्ताह से 40 वें  सप्ताह तक भ्रूण का शरीर और अंगों पर बारीक, मुलायम बाल (लानुगो) लगभग पूरी तरह से गायब हो जाते हैं लेकिन अगर आप अपने बच्चे के पैदा होने पर थोड़े मुलायम बाल नोटिस करती हैं तो आश्चर्यचकित न हों; कुछ बच्चों के कंधे, कान और पीठ पर मुलायम बाल दिखाए देते हैं, 
  • 38 वें  सप्ताह से 40 वें सप्ताह के बीच ही फेफड़े पूरी तरह से परिपक्व हो जाते हैं,
  • गर्भावस्था के अंतिम कुछ हफ्तों के दौरान भ्रूण का सिर नीचे की ओर होने लगता है और बच्चा अब बाहरी दुनिया में आने के लिए तैयार हो जाता है। अगर बच्चे का सिर नीचे की ओर नहीं आता है तो डॉक्टर्स बच्चे की सीजेरियन (surgery) डिलीवरी करवा सकते हैं।  

और पढ़ें –  जानिए कैसे होता है तीसरी तिमाही में शिशु का विकास।

गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही में ब्लड टेस्ट | Pregnancy Third Trimester Blood Tests in Hindi

गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही में रक्त परीक्षण

1. गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड – Pregnancy third trimester Ultrasound Scan in Hindi

30 वें सप्ताह के बाद किए गए अल्ट्रासाउंड का उपयोग यह जांचने के लिए किया जाता है कि बच्चा सामान्य दर से बढ़ रहा है या नहीं। हालांकि उच्च जोखिम वाली गर्भधारण वाली महिलाओं को उनके तीसरे तिमाही में कई अल्ट्रासाउंड हो सकते हैं।

2. गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में स्ट्रेप्टोकोकस संक्रमण जांच – Streptococcus infection test in third trimester in Hindi

ग्रुप B स्ट्रेप्टोकोकस एक प्रकार का बैक्टीरिया है जो महिला के प्रजनन पथ में मौजूद हो सकता है यदि आपकी वजाइना में यह बैक्टीरिया है तो यह डिलीवरी के दौरान आप के शिशु तक आसानी से पहुंच सकता है और उसे संक्रमित कर सकता है।

3. गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में बायोफिजिकल प्रोफाइल जांच – Biophysical profile test in third trimester of pregnancy in Hindi

बायोफिजिकल जांच बच्चे की हेल्थ के बारे में जैसे बच्चे की सांसें, उसके दिल की धड़कन, बच्चे की हलचल, बच्चे की ताकत, एमनियोटिक द्रव की मात्रा इत्यादि का पता किया जाता है। यह एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड टेस्ट ही है। 

4. गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में नॉन स्ट्रेस जांच – Nonstress test in third trimester of pregnancy in Hindi

इस टैस्ट का मुख्य उद्देश्य भ्रूण की सक्रियता की स्थिति का पता लगाने और उसकी धड़कन का पता लगाने में किया जाता है। इस टैस्ट के जरिए यह जाना जा सकता है कि बच्चा पूरी तरह से सामान्य स्थिति में है या नहीं।

5. गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में गर्भाशय संकुचन जांच – Contraction stress test in third trimester of pregnancy in Hindi

कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टैस्ट, गर्भावस्था की तीसरी तिमाही यानि 34वें हफ्ते में किया जाता है। जिससे यह पता लगाया जाना है कि ऑक्सिजन की कम सप्लाई होने पर भी क्या भ्रूण स्वस्थ रह सकता है, क्योंकि आमतौर पर प्रसव के समय होने वाले कॉन्ट्रेक्शन के दौरान ऑक्सिजन की सप्लाई कम हो सकती है।

गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही में क्या खाना चाहिए? | Food to eat in third trimester of Pregnancy in Hindi

गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को आप अपनी डाइट चार्ट में शामिल कर सकती हैं।

  • संतुलित आहार लें जिसमें प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम,फोलिक एसिड,आयरन शामिल हों,
  • फाइबर (जैसे फलियां) से भरपूर आहार लें,
  • मीठे आलू, सैल्मन (Fish) व अवोकैडोस लें,
  • अखरोट, बादाम, काजू , किसमिस या खजूर का सेवन करें,
  • पर्याप्त कैलोरी (प्रति दिन सामान्य से लगभग 300 अधिक कैलोरी) खाएं,
  • ब्रोकली और हरी पत्तेदार साग का सेवन करें,
  • रोज एक ग्लास गाय का दूध पीना सुनिश्चित करें साथ ही अन्य डेरी  प्रोडक्ट्स जैसे पनीर और योगर्ट,
  • रोज एक कटोरी दलिया का सेवन करें,
  • आलू, गाजर, पालक के परांठे दही के साथ लें,
  • खूब पानी पियें।

और पढ़ें –  प्रेग्नेंसी के 8 आवश्यक पोषक तत्व और उनसे जुड़ी सावधानियां।

गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही में क्या नहीं खाएं? | Food to avoid in third trimester of Pregnancy in Hindi

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर रहती है और जिस कारण मां और बच्चे दोनों को संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। संक्रमण होने का सबसे बड़ा कारण आपका गलत आहार भी हो सकता है। नीचे कुछ ऐसे आहार बताए गए हैं जिसे हर एक गर्भवती को इसके सेवन से बचना चाहिए।
  • Unpasteurized मिल्क प्रोडक्ट्स (ना उबाले हुए दूध से बने उत्पाद) को न लें जिस में जीवाणुओं होने की अधिक सम्भावना होती है,
  • बहुत तेल-घी खाने से बचें कच्चा या अध पका खाना ना खाए मेयोनीज भी ना लें,
  • कच्ची मछली  विशेष रूप से shellfish, oysters, और cider खाने से बचे,
  • जंक फूड (pizza and burger) ना खाएं,
  • जरुरत से ज्यादा मसालेदार खाना,
  • डब्बा बंद जूस से बचें,
  • कॉफी, चाय और कोला-पेप्सी,
  • कम पके मांस और समुद्री भोजन ना खाएं,
  • कच्चे या हल्के से पके हुए अंडे ना खाएं,
  • स्मोकिंग और अलकोहल करने से बचें,
  • ज्यादा ऑयली फूड से बचें,
  • कैफीन पदार्थों का ज्यादा सेवन न करें,
  • रेडीमेड पैक्ड सलाद ना खाएं।

और पढ़ें – जानिए प्रेगनेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए।

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में देखभाल | 9 Month pregnancy care tips in Hindi

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में एक गर्भवती निम्नलिखित तरीकों से अपनी देखभाल कर सकती है।
  • व्यायाम करे,
  • खूब पानी पीएं,
  • तनाव से बचे,
  • अपने प्रियजनों को हमेशा पास रखें,
  • एक उचित मुद्रा में बैठें,
  • अपने बच्चे के लिए आवश्यक चीजें खरीदें,
  • प्रसव पूर्व मालिश करवाएं,
  • बच्चे के लिए कार की सीट लगवाएं,
  • अपने बच्चे की वस्तुओं को व्यवस्थित करें,
  • बच्चे के जन्म और स्तनपान की किताबें पढ़ें,
  • बहुत सारे ताजे फल, प्राकृतिक रस और स्वस्थ आहार खाएं,
  • गर्भावस्था के नौवें महीने के दौरान यात्रा न करें,
  • सैर के लिए जाएं और खुद को सकारात्मक मूड में रखें,
  • यदि आपके पास अन्य बच्चे हैं, तो अस्पताल में रहने के दौरान उनकी देखभाल की योजना बनाएं,
  • अपना अस्पताल के लिए बैग तैयार रखें।
  • प्रसव पीड़ा, डिलीवरी और बेबी केयर के बारे में पढ़ें।
  • घरेलु सामान पहले से ही ले कर रख लें ताकि शिशु होने के बाद कोई बड़ी खरीदारी न करनी पड़े।

और पढ़ें – जानिए प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड (सोनोग्राफी) कब और क्यों होता है।

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently asked questions in third trimester of pregnancy

Q. गर्भावस्था के दौरान खुजली होने पर क्या करना चाहिए? – Itching in pregnancy in Hindi

Ans. गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई प्रकार समस्याएं हो सकती हैं जिसमें पेट में खुजली बेहद सामान्य है। आमतौर पर रक्त संचार बढ़ने या पेट की त्वचा की स्ट्रेचिंग होने से खुजली जैसी समस्या सामने आती है। कुछ आसान घरेलू नुस्खों की मदद से प्रेग्नेंसी में होने वाली खुजली को दूर किया जा सकता है। जिसमें ठंडी सिकाई, नारियल तेल, नींबू का रस और एलोवेरा जेल का इस्तेमाल खुजली के लिए किया जा सकता है। 

Q. प्रेगनेंसी में बुखार हो तो क्या करना चाहिए? – Fever during pregnancy in Hindi

Ans. गर्भावस्था तीसरी तिमाही के दौरान बुखार हो तो  खूब तरल पदार्थ पीना चाहिए। इसके लिए आप जूस व इलेक्‍ट्रोलाइट ड्रिंक्‍स बेहतर विकल्प हैं। ये ड्रिंक्‍स शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ बुखार को कम करते हैं और शरीर को ताकत देते हैं। हालांकि अगर शरीर का तापमान अधिक (100) होतो डॉक्टर की परामर्श के अनुसार ही दवा खाएं।

Q. प्रेगनेंसी में गर्मी क्यों लगती है? – Feeling hot during pregnancy in Hindi

Ans. एस्‍ट्रोजन के स्तर में  उतार-चढ़ाव होने के कारण प्रेगनेंसी में गर्मी लग सकती है। वहीं मेटाबोलिज्‍म बढ़ने के कारण शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है जिससे गर्मी महसूस होने लगती है। से नीचे का तापमान गर्भावस्ता में सामान्य माना जाता है।

Q.गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही के दौरान डॉपलर स्कैन क्यों होता है? – Doppler ultrasound in Hindi

Ans. गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में डॉक्टर डॉप्लर सोनोग्राफी (scan) करवा सकते हैं। डॉप्लर सोनोग्राफी एक तकनीक है जो गर्भ में खून के प्रवाह, उसकी दिशा, रक्त के थक्कों का पता लगाने और बच्चे के दिल की धड़कन आदि को मापने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

Q. गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में उल्टी होने के क्या कारण हैं? – Vomiting during pregnancy in Hindi

Ans. गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में उल्टी होने के कई कारण हो सकते हैं जिसमें मॉर्निंग सिकनेस, सीने में जलन, एसिड रिफ्लक्स, डिहाइड्रेशन, फूड पॉइजनिंग, प्रीक्लेम्पसिया आदि। 

Q. तीसरी तिमाही में उल्टी से कैसे बचें? – How to Avoid Vomiting in the Third Trimester in Hindi

Ans. तीसरी तिमाही में उल्टी से बचने के लिए भरपूर पानी पिए, थोड़े थोड़े अंतराल में आहार लें, स्वस्थ आहार का सेवन करती रहें और खाने के बाद तुरंत न लेटें बल्कि थोड़ी देर घर के अंदर ही चलें।  

Q. तीसरी तिमाही में गर्भावस्था के दौरान सफेद स्राव क्यों होता है? – White discharge during pregnancy in Hindi

Ans. तीसरी तिमाही में गर्भावस्था के दौरान सफेद स्राव होना एक आम बात है। सफेद स्राव, योनि-स्राव के रूप में भी जाना जाता है। इसके आलावा योनि से सफेद पानी आने को ल्‍यूकोरिया भी कहते हैं। यह  सफेद स्राव मृत कोशिकाओं और बैक्टीरिया को बाहर निकालने का काम करती है। जिससे इन्फेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। 

Q. गर्भावस्था के तीसरी तिमाही के दौरान कब्ज होने पर क्या करना चाहिए? – Constipation during pregnancy in Hindi

Ans. गर्भावस्था के तीसरी तिमाही के दौरान कब्ज होना एक आम समस्या है कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए गर्भवती महिला फाइबर युक्त आहार ले सकती हैं।  फल, सब्जियां और अनाज फाइबर युक्त आहार के प्रमुख स्रोत हैं। जिसकी लिस्ट नीचे दी गई है-
  • गेंहू (Wheat)
  • भूरा चावल (Brown Rice)
  • ओट्स (Oats)
  • राजमा (Beans)
  • मटर (Peas)
  • ड्राई फ्रूट (Dry fruit)
  • दालें (Pulses)
  • सेब (Apple)
  • ईसबगोल की भूसी (Isabgol)
  • नाशपाती( Pear)
  • ब्लूबेरी और ब्लैकबेरी (Blueberries & Blackberries)
  • केला ( Bananas )
  • ब्रोकली (Broccoli)
  • कटहल (Jackfruit)
  • तरबूज (Watermelon)
  • अनार (Pomegranate)
  •  नट्स और सीड्स ( Nuts and Seeds)

Q. प्रेगनेंसी में चुकंदर खाना चाहिए या नहीं? – Beetroot during pregnancy in Hindi

Ans. गर्भावस्था तीसरी तिमाही के दौरान चुकंदर खाना सुरक्षित माना जाता है। लेकिन डॉक्टर की सलाह पर और वो भी सीमित मात्रा में। चुकंदर खाने से शरीर में खून की मात्रा (ब्लड फ्लो) बढ़ती है, हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिलती है और एनीमिया का खतरा भी कम होता है।


ये है गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के लक्षण, शिशु विकास और डाइट प्लान के बारे में पूरी जानकारी। कमेंट में बताएं आपको यह पोस्ट कैसी लगी। अगर यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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Disclaimer : ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह कहीं से भी योग्य डॉक्टर द्वारा दिए गए मेडिकल सुझाव का विकल्प नहीं है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए साथ ही किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करने या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietitian) की सलाह जरूर लें।

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