Pregnancy sonography in Hindi पोस्ट के माध्यम से हम आपको प्रेगनेंसी में सोनोग्राफी (अल्ट्रासाउंड) के महत्व के बारे में बता रहे हैं। इसके अलावा प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड के जोखिम (Risks) और अल्ट्रासाउंड से जुड़ी सावधानियों (Precautions) के बारे में भी बताया गया है।
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अल्ट्रासाउंड (सोनोग्राफी) तकनीक क्या होती है? | Pregnancy sonography in Hindi
अल्ट्रासाउंड जिसे सोनोग्राम भी कहा जाता है एक प्रकार की इमेजिंग तकनीक है जो गर्भाशय (गर्भ) में आपके बच्चे की तस्वीर दिखाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करती है।
गर्भावस्था के दौरान, एक ट्रांसड्यूसर (या प्लास्टिक छड़ी) आपकी वेजाइना में या आपके पेट के ऊपर रखी जाती है।
यह ट्रांसड्यूसर ध्वनि तरंगों को उत्पन्न करती हैं जो आपके बच्चे के ऊतकों, तरल पदार्थ और हड्डियों से टकराकर उनसे उत्पन्न होने वाले सिग्नल (Signal / इको) को वापिस इकट्ठा कर आपके बच्चे की छवि में अनुवाद करती है, जिसे आप स्क्रीन पर देखते हैं।गर्भावस्था की शुरुआत में अल्ट्रासाउंड का उपयोग भ्रूण के दिल की धड़कन और आपकी गर्भावस्था के स्थान की पुष्टि करने के लिए किया जाता है।
गर्भावस्था के मध्य में अल्ट्रासाउंड का उपयोग (महत्व) भ्रूण के विकास, प्लेसेंटा की इस्थिति, बच्चे के सामान्य स्वास्थ्य और शरीरिक रचना के लिए किया जाता है।
गर्भावस्था के अंत में अल्ट्रासाउंड (Ultrasounds scan during pregnancy in Hindi) का उपयोग गर्भाशय ग्रीवा की लंबाई की जांच के लिए या शिशु के सिर की स्थिति को देखने के लिए किया जा सकता है।
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प्रेगनेंसी में सोनोग्राफी कब कब होती है? | Pregnancy me sonography in Hindi
अल्ट्रासाउंड के प्रकार | Types of pregnancy sonography in Hindi
- ट्रांसवेजाइनल स्कैन (Transvaginal scan),
- एब्डोमिनल स्कैन (Abdominal scan),
- डॉपलर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound),
- 3-D अल्ट्रासाउंड (3-D ultrasound),
- 4-D अल्ट्रासाउंड (4-D ultrasound)।
1. प्रेगनेंसी में ट्रांसवेजाइनल स्कैन का महत्व (Transvaginal Sonography in pregnancy in Hindi)
- यदि आप गर्भावस्था के एकदम शुरुआती चरण में हैं, तो आपके चिकित्सक संभवतः आप का पहला अल्ट्रासाउंड सप्ताह 5 या 6 के बीच में करा सकते हैं जोकि ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड (Ultrasounds during pregnancy in Hindi) हो सकता है। जिसमें ट्रांसड्यूसर (या छड़ी) को किसी प्लास्टिक से लपेटा जाता है और उसमें चिकना पदार्थ (gel) लगा कर आपकी वेजाइना में पंहुचा देते हैं।
- ट्रांसवेजाइनल स्कैन से शिशु की काफी स्पष्ट तस्वीरें मिलती हैं। इस तरह के स्कैन में मूत्राशय भरा हुआ रखने की जरुरत नहीं होती है। मतलब आप को स्कैन से पहले पानी पिने की जरुरत नहीं है।
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2. प्रेगनेंसी में एब्डोमिनल स्कैन का महत्व (Abdominal Sonography during pregnancy in Hindi)
- आमतौर पर पहली तिमाही के अंत में आप का एब्डोमिनल स्कैन (पेट पर से स्कैन) हो सकता है इस स्कैन में आप का मूत्राशय भरा हुआ होना चाहिए। इसके लिए आपको अपने अल्ट्रासाउंड (Ultrasounds during pregnancy in hindi) से पहले कई गिलास पानी पीना होता है, ताकि स्कैन के दौरान आपका मूत्राशय भरा हुआ हो। इससे आपको काफी असहजता हो सकती है। मूत्राशय के भरे होने से गर्भाशय पेट में ऊपर की तरफ खिसकता है जिससे गर्भाशय अच्छे से दिखाए देता है।
- इस स्कैन के लिए आप को पीठ के बल लेटना होता है। डॉक्टर आपके पेट पर ठंडा जैल लगते हैं ताकि ध्वनि तरंगों का प्रवाह बेहतर हो सके। फिर वे ट्रांसड्यूसर को आपके पेट पर आगे-पीछे घुमाती हैं, ताकि ध्वनि तरंगे संचारित हो सकें।
3. प्रेगनेंसी में डॉपलर अल्ट्रासाउंड का महत्व – Colour Doppler ultrasound in Hindi
रंगीन डॉप्लर स्कैन
- कलर डॉप्लर, अल्ट्रासाउंड स्कैन का ही एक प्रकार है, जो शिशु के रक्त प्रवाह को जांचने के लिए ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल करता है।
- डॉप्लर स्कैन (Colour doppler test in Hindi) गर्भनाल (umbilical cord) में रक्त के प्रवाह और शिशु के शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त प्रवाह को मापता है, विशेष रूप से मस्तिष्क और दिल। इससे यह जानने में मदद मिलती है कि शिशु को प्लेसेंटा के जरिये जरुरी ऑक्सीजन और सभी पोषक तत्व मिल रहे हैं या नहीं।
- रंगीन डॉप्लर स्कैन प्रेगनेंसी के तीसरी तिमाही में ग्रोथ स्कैन के साथ भी करवाया जा सकता है, आमतौर पर 36 से 40 सप्ताह की गर्भावस्था के बीच।
- यदि आपको Rh रोग है, तो अधिकांश डॉक्टर डॉपलर अल्ट्रासाउंड जरूर करवाते हैं। Rh रोग एक ऐसी स्थिति है जहां एक गर्भवती महिला के रक्त में एंटीबॉडी उसके बच्चे की रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं। इसलिए इसका पहले इलाज किया जाना जरुरी होता है। हालांकि, Rh रोग मां को नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन इससे शिशु एनीमिक और उसे पीलिया हो सकता है।
- डॉपलर अल्ट्रासाउंड आमतौर पर अंतिम तिमाही में उपयोग किया जाता है, लेकिन डॉक्टर इसे पहले भी करा सकते हैं।
4. प्रेगनेंसी में 3-D अल्ट्रासाउंड का महत्व (3-D Ultrasound during pregnancy in Hindi)
5. प्रेगनेंसी में 4-D अल्ट्रासाउंड का महत्व (4-D Ultrasound in during pregnancy in Hindi)
गर्भावस्था की पहली तिमाही में अल्ट्रासाउंड का महत्व | Level 1 ultrasound in Hindi
प्रेगनेंसी के 8वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड का महत्व – 8 weeks Pregnancy Sonography in Hindi
प्रेगनेंसी के 13वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड का महत्व – 13 week Pregnancy Sonography in Hindi
- गर्भावस्था की पुष्टि करने के लिए,
- भ्रूण के दिल की धड़कन की जाँच करने के लिए,
- बच्चे की गर्भकालीन आयु निर्धारित करने के लिए,
- प्रसव की सटीक अनुमानित तिथि (ड्यू डेट) बताने में,
- नाल, गर्भाशय, अंडाशय और गर्भाशय ग्रीवा की जांच करने के लिए,
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी (जब भ्रूण गर्भाशय से नहीं जुड़ता है) की जांच करने के लिए,
- एक अस्थानिक गर्भावस्था का निदान करें (जब भ्रूण गर्भाशय से जुड़ता नहीं है) या गर्भपात,
- भ्रूण में किसी भी असामान्य वृद्धि के लिए देखें।
गर्भावस्था की पहली तिमाही में Ultrasound की कीमत
प्रिवेट लैब में इस ultrasound की कीमत (price) 750 से 1500 रूपये के बीच में हो सकती है।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड का महत्व | Level 2 ultrasound in Hindi
गर्भावस्था के 5वें महीने में अल्ट्रासाउंड का महत्व – 5 month pregnancy ultrasound in Hindi
- गर्भावस्था की दुबारा तारीखों की पुष्टि करने के लिए,
- भ्रूण की दुबारा संख्या निर्धारित करने,
- प्रसवपूर्व परीक्षणों में सहायता के लिए जैसे कि एमनियोसेंटेसिस जांच,
- भ्रूण की शारीरिक रचना की असामान्यताओं को जांचने के लिए,
- एमनियोटिक द्रव (Amniotic fluid) की मात्रा की जांच करने के लिए,
- रक्त प्रवाह पैटर्न (Blood flow pattern) की जांच करने के लिए,
- भ्रूण के व्यवहार और गतिविधि का निरीक्षण करने के लिए,
- नाल की जांच करने के लिए,
- गर्भाशय ग्रीवा की लंबाई को मापने के लिए,
- भ्रूण की वृद्धि की निगरानी के लिए।
Level 2 ultrasound price in Hindi
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गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड का महत्व | Level 3 ultrasound in Hindi
गर्भावस्था के 9 वें महीने में अल्ट्रासाउंड का महत्व – 9 month Pregnancy Sonography in Hindi
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में होने वाला अल्ट्रासाउंड 36 से 40 सप्ताह की गर्भावस्था के बीच डॉक्टर द्वारा करवाया जा सकता है। तीसरी तिमाही में होने वाला अल्ट्रासाउंड बच्चे के शारीरिक विकास, वजन, उसकी सिर की स्थिति आदि के लिए किया जाता है।
तीसरी तिमाही के अल्ट्रासाउंड में रंगीन डॉप्लर स्कैन भी शामिल होता है, जो शिशु के रक्त प्रवाह को जांचने में मदद करता है। सामान्य मामलों में महिलाओं को तीसरे तिमाही में एक अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता होती है।
लेकिन अगर आपकी गर्भावस्था उच्च-जोखिम वाली है – उदाहरण के लिए, यदि आपका रक्तचाप उच्च है, मधुमेह हो, वेजाइनल रक्तस्राव हो रहा हो, आपका एमनियोटिक द्रव का स्तर कम हो, आपके गर्भ में एक से अधिक शिशु पल रहे हों या आप की आयु 35 वर्ष से अधिक है, तो डॉक्टर कई बार Level 3 ultrasound कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, तीसरी तिमाही का अल्ट्रासाउंड कई अन्य परीक्षणों का हिस्सा हैं, जिनमें शामिल हैं:
- कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (Chorionic villus sampling),
- बायोफिजिकल प्रोफाइल (Biophysical profile),
- नॉन स्ट्रेस टेस्ट (Non stress test),
- गर्भाशय संकुचन या कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट (Uterine contraction or contraction stress test)।
ये सभी परीक्षण उच्च-जोखिम वाली महिलाओं में किये जाते हैं।
Level 3 ultrasound price in Hindi
स्तर 1, स्तर 2 और स्तर 3 अल्ट्रासाउंड के बीच का अंतर | Difference Between Level 1, Level 2 and Level 3 Ultrasound in Hindi
प्रेगनेंसी में स्तर 1 स्तर 2 और स्तर 3 अल्ट्रासाउंड के बीच का अंतर निम्न प्रकार है-
स्तर 1, स्तर 2 और स्तर 3 अल्ट्रासाउंड के बीच का अंतर |
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स्तर 1
(Pregnancy Level 1 Ultrasound) |
स्तर 2
(Pregnancy Level 2 Ultrasound) |
स्तर 3
(Pregnancy Level 3 Ultrasound) |
स्तर 1 अल्ट्रासाउंड 5 या 8 सप्ताह की गर्भावस्था के बीच में किया जा सकता है। | स्तर 2 अल्ट्रासाउंड 18 या 20 सप्ताह की गर्भावस्था के बीच में किया जा सकता है। | स्तर 3 अल्ट्रासाउंड 36 या 40 सप्ताह की गर्भावस्था के बीच में किया जा सकता है। |
गर्भावस्था में स्तर 1 अल्ट्रासाउंड निम्न कारणों के लिए किया जा सकता हैं-
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गर्भावस्था में स्तर 2 अल्ट्रासाउंड निम्न कारणों के लिए किया जा सकता हैं-
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गर्भावस्था में स्तर 3 अल्ट्रासाउंड निम्न कारणों के लिए किया जा सकता हैं-
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अल्ट्रासाउंड से जुड़ी सावधानियां | Ultrasound Precautions in Hindi
- प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड कराने के लिए आप को खाली पेट या खूब पानी पी के जाना हो सकता है, इसके लिए पहले से ही आप डॉक्टर से पूछ कर रखें,
- भारत में अल्ट्रासाउंड के माध्यम से लिंग (Gender) पता करना एक कानूनी जुर्म है,
- अल्ट्रासाउंड टेस्ट कराने के लिए गर्भवती व उसके पति का आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र होना आवश्यक है,
- प्रेगनेंसी के दौरान आप अपना अल्ट्रासाउंड डॉक्टर के अनुसार कराएं, इससे बच्चे में अगर कोई दोष होता है तो पता चल जाता है,
- अल्ट्रासाउंड की कीमत सरकारी अस्पतालों में काफी कीफयती हैं। जो हर एक अस्पताल मे अलग अलग हैं,
- अल्ट्रासाउंड कराने के लिए हमेशा ढ़ीले कपड़े पहने जिससे आपको अस्पताल में दिक्कत ना हो,
- अल्ट्रासाउंड के समय कुछ अस्पताल परिवार के सदस्यों और पति को जाने की अनुमति देते सकतें हैं, इसके बारें में डॉक्टर से पहले ही पूछ लें।
गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड के नुकसान (जोखिम) | Ultrasound risks in Hindi
- अल्ट्रासाउंड आपके और आपके बच्चे के लिए सुरक्षित माना जाता है। क्योंकि अल्ट्रासाउंड एक्स-रे (X -RAY ) के बजाय ध्वनि तरंगों (sound waves) का उपयोग करता है, जोकि एक्स-रे की तुलना में काफी अधिक सुरक्षित मानी जाती हैं।
- अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट का कहना है कि दशकों से गर्भावस्था की निगरानी के लिए अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जा रहा है और अभी तक इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है कि अल्ट्रासाउंड से किसी शिशु को नुकसान हुआ हो।
- फिलहाल, डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को केवल वही अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए कहते हैं जो आवश्यक होता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान कितने अल्ट्रासाउंड सुरक्षित हैं, इस पर कोई नियम नहीं है। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि एक गर्भावस्ता में महिला के लगभग 2-5 अल्ट्रासाउंड हो सकते हैं। अल्ट्रासाउंड भ्रूण में होने वाली समस्याओं (जन्म दोषों) को देखने के लिए उपयोगी है, लेकिन यह हर एक दोष का पता नहीं लगा पता है।
संदर्भ (References)
- https://www.parents.com/pregnancy/stages/ultrasound/ultrasound-a-trimester-by-trimester-guide/
- https://www.healthline.com/health/pregnancy/ultrasound#procedure
- https://www.verywellfamily.com/understand-early-pregnancy-ultrasound-results-2371367
- https://www.mayoclinic.org/tests-procedures/fetal-ultrasound/about/pac-20394149
- https://www.bidmc.org/about-bidmc/wellness-insights/pregnancy/2018/09/ultrasounds-during-pregnancy-how-many-and-how-often