कम ऑक्सलेट आहार (Low Oxalate foods in Hindi) एक प्रकार की किडनी स्टोन डाइट है जो गुर्दे की पथरी के बनने के जोखिम को कम करती है। लो ऑक्सलेट डाइट उन रोगियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होती हैं जिन्हें कैल्शियम ऑक्सलेट स्टोन (पथरी का प्रकार) होता है। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको लो ऑक्सलेट डाइट (Low Oxalate Diet in Hindi) के बारे में बता रहे हैं।
साथ ही आप जानेंगे कि लो ऑक्सलेट डाइट में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए (What to eat and what not to eat in oxalate low diet in Hindi)। चाहिए समझते हैं किडनी स्टोन में कम ऑक्सलेट आहार के फायदे (Benefits of low oxalate diet in kidney stone in Hindi) क्या हैं।
ऑक्सलेट क्या है? | Oxalate meaning in Hindi
ऑक्सलेट, जिसे ऑक्सालिक एसिड भी कहा जाता है – पौधों में पाया जाने वाला एक कार्बनिक यौगिक है। यह मुख्यतः पत्तेदार सब्जियां, फल, नट और बीज में पाए जाते हैं। (1 & 2)
हमारा शरीर अपने आप ऑक्सलेट को बना सकता है या इसे भोजन से प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा शरीर विटामिन सी का मेटाबोलाइज कर के भी ऑक्सलेट बना सकता है।
ऑक्सालेट के नुकसान क्या हैं? (Side Effect of oxalate in Hindi)
कभी कभी ऑक्सालेट की अधिक मात्रा शरीर के लिए नुकसानदायक होती है। उच्च ऑक्सलेट से होने वाले नुकसान में शामिल हैं – (3)
1. ऑक्सालेट खनिज पदार्थों के अवशोषण को कम कर सकते हैं – Oxalate can reduce mineral absorption
शोध के अनुसार, ऑक्सलेट आंत में मौजूद महत्वपूर्ण खनिजों के साथ बंध सकते हैं और उन्हें अवशोषित होने से रोक सकते हैं। इसलिए, शरीर में अत्यधिक मात्रा में ऑक्सालेट खनिज की कमी का कारण बन सकता है।
उदाहरण के लिए, पालक में कैल्शियम और ऑक्सालेट दोनों की मात्रा अधिक होती है, जब हमारा शरीर पालक को अवशोषित करता है, तो ऑक्सालेट कैल्शियम के साथ बंध जाता है और इसे शरीर में अवशोषित होने से रोकता है। (4)
2. ऑक्सालेट गुर्दे की पथरी का कारण बन सकता है – Oxalate may contribute to kidney stones
समान्यतः हमारी यूरिन में कैल्शियम और थोड़ी मात्रा में ऑक्सलेट दोनों ही मौजूद रहते हैं। ये दोनों खनिज घुलनशील होते हैं और शरीर में कोई समस्या पैदा नहीं करते हैं।
हालांकि, कुछ मामलों में कैल्शियम ऑक्सलेट के साथ बंध जाता हैं और एक विशेष प्रकार के क्रिस्टल का निर्माण करते हैं। ये क्रिस्टल विशेष रूप से तब बनते हैं जब शरीर में ऑक्सलेट की मात्रा अधिक और मूत्र की मात्रा कम होती है। (5)
लगभग 80% किडनी में बनने वाले स्टोन कैल्शियम-ऑक्सलेट के बने होते हैं। यही कारण है कि जिन लोगों में कैल्शियम-ऑक्सलेट स्टोन की समस्या होती है, डॉक्टर उन्हें डाइट में कम ऑक्सलेट लेने कि सलाह देते हैं।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है, कि गुर्दे में पथरी का एक मात्रा कारण अधिक ऑक्सलेट डाइट नहीं हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारा शरीर खुद भी ऑक्सलेट का निर्माण कर सकता है। इस कारण अधिकांश मूत्र रोग विशेषज्ञ अब केवल उन लोगों को कम ऑक्सलेट आहार (प्रति दिन 50 मिलीग्राम से कम) खाने की सलाह देते हैं जिनके मूत्र में ऑक्सलेट का उच्च स्तर होता है।
यूरिन में ऑक्सलेट का सही पता लगाने के लिए समय-समय पर परीक्षण किया जाना महत्वपूर्ण है। ताकि डाइट में ऑक्सलेट की मात्रा कम या ज्यादा की जा सके।
लो ऑक्सलेट डाइट (कम ऑक्सलेट आहार) क्या है? | What is low oxalate diet in Hindi
लो ऑक्सलेट डाइट का मतलब है (Low oxalate diet meaning in Hindi) आहार में कम ऑक्सलेट लेना। (2)
कम ऑक्सलेट आहार (लो ऑक्सलेट डाइट) आमतौर पर उन व्यक्तियों के लिए लागू होती है जो गुर्दे की पथरी से पीड़ित होते हैं या जिनमें गुर्दे की पथरी या ऑक्सालिक एसिड के बढ़े हुए स्तर का इतिहास होता है।
आमतौर पर, लो ऑक्सलेट डाइट में प्रति दिन 100-50 मिलीग्राम से कम ऑक्सलेट लेने की सलाह देती है। हालांकि हर एक व्यक्ति में इसकी मात्रा भिन्न हो सकती है। इसलिए डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ के अनुसार ही ऑक्सलेट युक्त आहार का सेवन करना चाहिए।
चलिए अब समझते हैं लो ऑक्सलेट डाइट मैं क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए (What to eat and what not to eat in oxalate diet in Hindi)।
कम ऑक्सलेट आहार में क्या खाना चाहिए? | What to eat in low oxalate diet in Hindi
लो ऑक्सलेट डाइट में बैंगन, शकरकंद,गोभी, फूलगोभी, प्याज, मटर, मिर्च, हरी ब्रोकोली, मशरूम, तोरी, जैतून, गाजर, भिंडी, आलू, मूली जैसी सब्जियां खानी चाहिए। इसके अलावा भी खाद्य पदार्थ हैं जिनमें लो ऑक्सलेट होता है। निम्न ऑक्सालेट खाद्य सूची (Low oxalate foods list) नीचे दी गई है।
कम ऑक्सलेट आहार (Low Oxalate foods) |
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सब्जियां | बैंगन, शकरकंद,गोभी, फूलगोभी, प्याज, मटर, मिर्च, हरी ब्रोकोली, मशरूम, तोरी, जैतून, गाजर, भिंडी, आलू, सूरजमुखी के बीज, आंवला, खीरा, शलजम, एवोकाडो, गाजर और मूली। |
फल | सेब, खुबानी, एवोकैडो, केला, चेरी, क्रैनबेरी, पपीता, आड़ू, नाशपाती, अनानास, स्ट्रॉबेरी, खरबूजा, नारियल, आम, तरबूज, अमरुद और बेर। |
अनाज | गेहूं का आटा, मक्का |
पेय पदार्थ | कॉफी, फलों का रस, गन्ने का रस, सब्जियों का रस, रूट बियर, हर्बल चाय, पानी और वाइन। |
डेरी प्रोडक्ट | दूध, दही, मक्खन, सोया मिल्क, सोया बटर और पनीर। |
मांस | अंडा, मछली,बीफ, लैम्ब और पोर्क। |
ब्रेड और स्टार्च | गेहूँ की ब्रेड,दलिया,सफेद चावल। |
कम ऑक्सलेट आहार में क्या नहीं खाना चाहिए और परहेज? | What to avoid in low oxalate diet in Hindi
कुछ आहार ऐसे हैं जिनमें ऑक्सलेट की मात्रा उच्च होती है। इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थों को गुर्दे की पथरी में परहेज करना चाहिए। आप उच्च ऑक्सालेट खाद्य सूची (High oxalate foods list) नीचे देख सकते हैं। (13)
उच्च ऑक्सलेट फूड(High Oxalate Foods) |
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नट्स | मूंगफली, मूंगफली का तेल, बादाम और काजू |
फल | कीवी, खजूर, रसभरी, संतरे, कीनू, अंगूर, किशमिश, अंजीर, आलूबुखारा, नींबू और नींबू का रस |
सब्जियां | बीन्स, पालक, आलू, चुकंदर, शलजम,चुकंदर और भिंडी |
बीज | सूरजमुखी के बीज और कद्दू के बीज |
स्टार्च | भूरे चावल |
पेय पदार्थ | चॉकलेट, चॉकलेट दूध, कोको, हॉट चॉकलेट, चाय और टमाटर का रस। |
ध्यान रखें कि भिगोने और पकाने से कई सब्जियों और फलियों में ऑक्सलेट की मात्रा काफी हद तक कम हो सकती है।
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क्या लो ऑक्सलेट डाइट गुर्दे की पथरी को रोकने में मदद करती है? | Does low oxalate die help prevent kidney stones in Hindi?
कुछ शोध से पता चलता है कि डाइट में ऑक्सलेट की अधिक मात्रा मूत्र में ऑक्सालेट की मात्रा को बड़ा सकती है जिससे कैल्शियम ऑक्सालेट स्टोन (गुर्दे की पथरी) के बनने की सम्भावना बढ़ जाती है।
हालांकि, शोध बताते हैं कि कैल्शियम युक्त आहार के अधिक सेवन से मूत्र में ऑक्सालेट की मात्रा को कम किया जा सकता है। मतलब, गुर्दे की पथरी से बचा जा सकता है।
शरीर में कैल्शियम की अधिक मात्रा ऑक्सलेट के अवशोषण को कम करने में मदद करती है, क्योंकि कैल्शियम आंत में ऑक्सालेट को बांधता है और इसके अवशोषण को रोकता है जिससे पथरी बनने के लिए पेशाब में ऑक्सालेट की मात्रा पर्याप्त नहीं होती है।
इसलिए जानकर गुर्दे की पथरी के बचाव के लिए प्रति दिन 1000-1200 मिलीग्राम कैल्शियम लेने की सलाह देते हैं।
हालांकि, इस विषय पर अब तक बहुत कम अध्ययन हुए हैं। इसलिए इस बारे में ठीक से कहा जाना जल्दबाजी होगी।
लो ऑक्सलेट डाइट के लाभ | Benefits of a low Oxalate diet in Hindi
लो-ऑक्सलेट डाइट अपनाने से निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं। (6)
1. गुर्दे की पथरी के लिए लो ऑक्सलेट डाइट के लाभ – Benefits of Low oxalate diet for kidney stone in Hindi
लो ऑक्सलेट डाइट गुर्दे में पथरी बनने से रोकती है। शरीर में ऑक्सलेट की अधिक मात्रा कैल्शियम के साथ मिलकर क्रिस्टल (पथरी) का निर्माण करते हैं।
ये क्रिस्टल किडनी या हमारी यूरिनरी ट्रैक में अटक जाते हैं और दर्द का कारण बनते हैं। इसलिए कैल्शियम ऑक्सलेट स्टोन में कम ऑक्सलेट लेने कि सलाह देते हैं।
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2. सिस्टिक फाइब्रोसिस के लिए लो ऑक्सलेट डाइट के फायदे – Low Oxalate diet benefits for cystic fibrosis in Hindi
कम ऑक्सलेट आहार (Low Oxalate Diet in Hindi) सिस्टिक फाइब्रोसिस के जोखिम को कम कर सकती है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस (सीएफ) एक अनुवांशिक विकार है जो विभिन्न अंगों जैसे फेफड़ों, पैंक्रियाज, यकृत, गुर्दे और आंत को नुकसान पहुँचाती है।
यह बीमारी अंगों में चिपचिपा बलगम बनाती है और उन्हें संक्रमित करती है।
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3. अंडरएक्टिव थायराइड के लिए कम ऑक्सलेट आहार के फायदे – Low Oxalate diet benefits for underactive thyroid in Hindi
जब शरीर में अतिरिक्त ऑक्सलेट होता है, तो यह विभिन्न ऊतकों और थायरॉयड में जमा हो जाता है। यह अतिरिक्त ऑक्सलेट थायराइड से निकलने वाले हार्मोन से जुड़ जाता है और क्रिस्टल का निर्माण करता है।
यह क्रिस्टल थायरॉयड ग्रंथि की गतिविधि को कम करते हैं, जिससे वजन बढ़ना, थकान, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर, मासिक धर्म संबंधी समस्याएं पैदा होने लगती हैं।
इसलिए लो ऑक्सलेट डाइट अंडरएक्टिव थायराइड के इलाज के लिए फायदेमंद हो सकती है।
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4. स्पेक्ट्रम के लक्षणों को नियंत्रित करने में लो ऑक्सलेट आहार के लाभ – Benefits of Low Oxalate diet for spectrum in Hindi
शोधकर्ताओं के अनुसार कम ऑक्सालिक आहार स्पेक्ट्रम के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक गंभीर मानसिक रोग है, जो तंत्रिका तंत्र के प्रभावित होने से होता है।
ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को बातचीत करने में, पढ़ने-लिखने में और समाज में मेलजोल बनाने में परेशानियां आती हैं।
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क्या हैं लो ऑक्सलेट डाइट के नुकसान? | Side effects of a low Oxalate diet in Hindi
लो ऑक्सलेट डाइट (Low Oxalate Diet in Hindi) कई प्रकार के खाद्य पदार्थों को प्रतिबंधित करता है, जिसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, नट, बीज और स्टार्च शामिल हैं।
उदाहरण के लिए, पालक में ऑक्सलेट की अधिक मात्रा होती है, साथ ही पालक में आयरन, फाइबर, विटामिन ए, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे अन्य पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं।
लो ऑक्सलेट डाइट अपनाने से आपको अपनी डाइट से पालक हटाना होता है जिसकारण आप पालक में मौजूद महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से वंचित हो जाते हैं। (7)
इसी तरह, चुकंदर में भी ऑक्सलेट की उच्च मात्रा होती है और यह फोलेट, पोटेशियम और मैंगनीज जैसे पोषक तत्वों से भरा होता है। (8)
हरी सब्जियां, बीन्स और नट्स ऐसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ हैं जो प्रोटीन से भरपूर होते हैं। लेकिन ऑक्सलेट डाइट के प्रतिबंध के कारण आप इन पोषक तत्वों को अपने आहार से नहीं ले पाते हैं, और जिसके कारण शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है।
प्रोटीन की कमी के कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें कमजोर प्रतिरक्षा, कमजोरी, एनीमिया और अवरुद्ध विकास शामिल हैं। (9)
इसलिए, यदि आप कम ऑक्सलेट आहा (low oxalate foods)र का पालन करते हैं, तो आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि आपका आहार आपकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करता हो।
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मूत्र में ऑक्सलेट को कैसे नियंत्रित करें? | How to control oxalate in urine in Hindi
निम्नलिखित तरीकों से मूत्र में ऑक्सलेट की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। (10)
1. कम ऑक्सलेट आहार खाएं – Eat low oxalate foods
ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिनमें ऑक्सलेट कम मात्रा में हों। कम ऑक्सलेट आहार की सूची ऊपर दी गई है।
2. ऑक्सलेट युक्त सब्जियों को खाने से पहले उबाल लें – Boil Oxalate Vegetables Before Eating
ऐसे आहार जिनमें ऑक्सालेट की मात्रा ज्यादा होती हैं उनका सेवन करने से पहले उबाल लें। ऐसा इसलिए क्योंकि उबालने से oxalate की मात्रा कम हो जाती है।
3. आहार में कैल्शियम की मात्रा बढ़ाएं – Increase the amount of calcium in your diet
आपके आहार में कम मात्रा में कैल्शियम किडनी स्टोन (कैल्शियम ऑक्सलेट) बनने की संभावना को बढ़ा सकता है।
“कैल्शियम ऑक्सलेट स्टोन्स” नाम के कारण बहुत से लोग को लगता है कि कैल्शियम खाने से स्टोन हो सकता है। परन्तु ऐसा बिलकुल भी नहीं है। (11 & 12)
कैल्शियम आंतों में ऑक्सलेट को बांधने में मदद करता है। कैल्शियम से भरपूर आहार आपके शरीर द्वारा अवशोषित ऑक्सलेट की मात्रा को कम करने में मदद करता है, जिससे पथरी होने की संभावना कम हो जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, गुर्दे की पथरी से पीड़ित लोगों को प्रतिदिन 100 -50 मिलीग्राम से कम ऑक्सलेट और 1000-1200 मिलीग्राम / दिन तक कैल्शियम लेने की सलाह दी जाती है।
हालांकि, वैज्ञानिकों को इस विषय पर और अधिक शोध करने की आवश्यकता है।
ऐसे खाद्य पदार्थ जो अधिक मात्रा में कैल्शियम प्रदान करते हैं उनमें शामिल हैं –
- ब्रोकोली,
- गोभी,
- राजमा,
- चने,
- बीन,
- नेवी बीन,
- सैल्मन मछली।
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4. विटामिन सी की मात्रा सीमित करें – Consume less vitamin C in your diet
विटामिन सी की अधिक खुराक आपके मूत्र में ऑक्सलेट की मात्रा को बढ़ा सकता है, जिससे किडनी स्टोन बनने का खतरा बढ़ जाता है।
यदि आप विटामिन सी का कोई सप्लीमेंट ले रहे हैं तो रोजाना 1000 मिलीग्राम से ज्यादा विटामिन सी न लें।
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5. तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें – Drink more fluids
पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें विशेष रूप से पानी। आपका लक्ष्य एक दिन में 10-12 गिलास होना चाहिए।
पानी के अलावा आप नींबू पानी पीने पर भी विचार कर सकते हैं।
शोध बताते हैं कि नींबू पानी कैल्शियम-ऑक्सलेट स्टोन बनने के जोखिम को कम करता है।
6. रोजाना सही और कम मात्रा में प्रोटीन खाएं – Eat the right amount of protein daily
पथरी में डॉक्टर पशु आधारित प्रोटीन कम खाने की सलाह दे सकते हैं। क्योंकि, प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ मूत्र में एसिड की मात्रा बढ़ा सकते हैं। (29)
पेशाब में एसिड की अधिक मात्रा पथरी के निर्माण में मदद कर सकती है।
इसके अलावा पशु प्रोटीन या प्रोटीन पाउडर के अधिक सेवन से कैल्शियम का उत्सर्जन बढ़ सकता है।
इसलिए सीमित मात्रा में केवल अच्छे प्रोटीन ही खाएं ना की प्रोटीन पाउडर का सेवन करें।
पशु आधारित प्रोटीन में शामिल हैं-
- बीफ
- पोल्ट्री
- फिश
- पोर्क
- लैम्ब
- दूध,
- पनीर और
- अन्य डेयरी उत्पाद
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7. अपने आहार में सोडियम की मात्रा कम करें – Consume less sodium in your diet
सोडियम की अधिक मात्रा भी यूरिन में उच्च ऑक्सलेट का कारण हो सकता है। इसलिए अपनी डाइट में नमक की मात्रा नियंत्रित रखें।
अधिक नमक वाले खाद्य पदार्थ में शामिल हो सकते हैं –
- पिज्जा,
- बर्गर,
- चीज,
- मेयोनीज,
- डिब्बा बंद सूप,
- डिब्बा बंद जूस
- डिब्बा बंद सब्जियां।
निष्कर्ष | Conclusion
किडनी स्टोन (कैल्शियम ऑक्सलेट स्टोन) के खतरे को कम करने का सबसे आसान तरीका है अपने डाइट में कम ऑक्सलेट आहार को अपनाना और अधिक मात्रा में कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना है।
इसके अतरिक्त अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीने से भी मूत्र में ऑक्सलेट की मात्रा कम होती है।
लो ऑक्सलेट आहार (Low oxalate foods) में बैंगन, शकरकंद,गोभी, फूलगोभी, प्याज, मटर, मिर्च, हरी ब्रोकोली, मशरूम, तोरी, जैतून, गाजर, भिंडी, आलू, मूली जैसी सब्जियां शामिल हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, लो ऑक्सलेट डाइट के फायदे ना केवल किडनी स्टोन के लिए लाभकारी हैं, बल्कि सिस्टिक फाइब्रोसिस, अंडरएक्टिव थायराइड और स्पेक्ट्रम जैसी बिमारियों मैं भी फायदा पहुँचती हैं।
ये हैं किडनी स्टोन में कम ऑक्सलेट आहार (Low oxalate foods) के फायदे। कमेंट में बताएं आपको यह पोस्ट कैसी लगी। यदि आपको Low Oxalate Diet in Hindi पोस्ट पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें।
Disclaimer : ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है। इस जानकारी का उपयोग किडनी स्टोन के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करने या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietitian) की सलाह जरूर लें।
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