इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको किडनी सिस्ट (Kidney Cyst) क्या है, कितने प्रकार की होती हैं, किडनी सिस्ट के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
किडनी सिस्ट क्या है? | What is Kidney Cyst in Hindi
सिस्ट, किडनी के बाहरी सतह पर उभरी हुई संरचना है जिसमें पानी जैसा द्रव भरा हुआ होता है। किडनी सिस्ट को हिंदी भाषा में किडनी में गांठ कहा जाता है।
समान्यतः किडनी सिस्ट कोई समस्या पैदा नहीं करती, या किसी भी तरह से किडनी के कार्य को प्रभावित नहीं करती है।
हालांकि, कुछ मामलों में यह सिस्ट संक्रमित हो जाती हैं या उनका आकर बड़ जाता है। जिससे शरीर में अनेक प्रकार की समस्याएं पैदा होने लगती हैं, जिसमें मुख्य्तः उच्च रक्तचाप (High blood pressure), यकृत (Liver) में अल्सर, मस्तिष्क और हृदय की रक्त वाहिकाओं का संकुचित होना आदि शामिल हैं।
किडनी सिस्ट अलग-अलग प्रकार की हो सकती हैं जिसे नीचे बताया गया है।
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किडनी सिस्ट (गांठ) के प्रकार | Types of Kidney Cyst in Hindi
1. साधारण सिस्ट (Simple Kidney cyst)
साधारण सिस्ट की संख्या किडनी में एक से लेकर पांच तक हो सकती हैं। इनकी दीवारें पतली होती हैं और इनमें पानी जैसा द्रव भरा होता है।
सामान्यतः साधारण सिस्ट गुर्दे को नुकसान नहीं पहुँचती हैं या उनके कार्य को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं करती हैं।
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2. कॉम्पलैक्स सिस्ट (Complex kidney cyst)
कभी-कभी किडनी में ऐसी सिस्ट बनने लगती हैं जिनकी परत अनियमित और दीवारें अधिक मोटी होती हैं और साथ ही इनमें कैल्शियम भी भरने लगता है।
ऐसी सिस्ट कॉम्पलैक्स सिस्ट कहलाती हैं। कॉम्पलैक्स सिस्ट साधारण सिस्ट से अधिक असामान्य होते हैं, और कभी- कभी किडनी में कैंसर का कारण बनती हैं।
3. पॉलीसिस्टिक सिस्ट या पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (Polycystic Kidney Disease )
किडनी में पांच से अधिक (>5) सिस्ट का बनना पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD) कहलाता है।
पॉलीसिस्टिक सिस्ट, किडनी की कार्य करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं और अगर इस बीमारी का समय रहते इलाज ना करवाया जाए तो यह बीमारी किडनी को पूरी तरह से खराब भी कर सकती हैं।
पॉलीसिस्टिक सिस्ट अन्य सिस्ट के मुकाबले ज्यादा खतरनाक होते हैं। जिसका इलाज करवाना जरुरी है।
चलिए अब पॉलीसिस्टिक गुर्दा रोग (पीकेडी) को थोड़ा विस्तार से पढ़ते हैं।
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (पीकेडी) क्या है? | Polycystic Kidney Disease meaning in Hindi
पॉलीसिस्टिक गुर्दा रोग | PKD In Hindi
पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज या पॉलीसिस्टिक गुर्दा रोग, किडनी में सिस्ट का ही एक प्रकार है, जिसमें सिस्ट की संख्या>5 से अधिक होती है।
पॉलीसिस्टिक गुर्दा रोग (PKD in Hindi) एक अनुवांशिक विकार है जो माता-पिता द्वारा उनके बच्चों तक पहुँचता है।
ये किडनी सिस्ट एक तरल पदार्थ की थैली होती हैं जो देखने में फफोले (Blisters) की तरह या पानी के फूले हुए छोटे-छोटे गुब्बारे की तरह दिखाई देती हैं। इन फफोले नुमा आकृति में द्रव भरे होने से किडनी अपने औसतन आकर से काफी अधिक बड़ी दिखाई देती है।
किडनी में बने यह सिस्ट, उन ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे किडनी का निर्माण होता है।
इन ऊतकों के खराब होने से किडनी के कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है और यह धीरे धीरे कार्य करना बंद कर देती हैं।
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के प्रकार | Types of Polycystic Kidney Disease in Hindi
1. ऑटोसोमल डोमिनेंट पीकेडी (एडीपीकेडी) – Autosomal Dominant PKD in Hindi
ऑटोसोमल डोमिनेंट पीकेडी, आमतौर पर व्यस्कों में 30 से 40 साल की उम्र में होता है।
2. ऑटोसोमल रिसेसिव पीकेडी (एआरपीकेडी) – Autosomal recessive PKD in Hindi
ऑटोसोमल रिसेसिव पीकेडी, गर्भ में भ्रूण के विकास के दौरान या बच्चे के जन्म के एक साल के बाद होता है। हालांकि ऑटोसोमल रिसेसिव पीकेडी बच्चों में कम ही देखा जाता है।
PKD, दुनिया भर में सभी उम्र और जातियों के लोगों को प्रभावित कर सकता है। जिसमें महिला और पुरुष समान रूप से प्रभावित होते हैं।
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चलिए अब पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (पीकेडी) या किडनी सिस्ट के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में पढ़ते हैं।
किडनी सिस्ट के लक्षण (किडनी में गांठ के लक्षण) | Kidney Cyst Symptoms in Hindi
किडनी सिस्ट (गांठ) के प्रारंभिक चरण में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। हालांकि, जैसे-जैसे बीमारी आगे बढ़ती है, वैसे ही किडनी सिस्ट के लक्षण नजर आने लगते हैं।
किडनी सिस्ट के सभी प्रकार के लक्षण लगभग सामान ही होते हैं। किडनी सिस्ट के लक्षण में शामिल हैं –
किडनी में पानी की गांठ के लक्षण – Symptoms of PKD in Hindi
- उच्च रक्तचाप (High blood pressure),
- पीठ में दर्द या भारीपन (Back pain or heaviness),
- पेट में दर्द या कोमलता (Abdominal pain or tenderness),
- पेट में सूजन आना (Abdominal swelling),
- पेशाब में खून (Blood in urine),
- बार बार पेशाब आना (Frequent urination),
- बाजू में दर्द (Side pain),
- मूत्र मार्ग में संक्रमण (Urinary tract infection (UTI)),
- त्वचा का निकलना (Skin peeling),
- त्वचा का पीला पड़ना (Yellow skin),
- थकान (Tiredness),
- सिर दर्द (Headache)
- जोड़ों का दर्द (Joint pain) ।
किडनी सिस्ट का कारण (किडनी में गांठ के कारण) | Causes of Kidney Cyst in Hindi
1. पॉलीसिस्टिक गुर्दा रोग का कारण – Reason of Polycystic Kidney Disease in Hindi
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (पीकेडी) की बात करें तो पीकेडी का प्रमुख कारण जीन (DNA) में म्युटेशन (Mutation) का होना है।
मतलब, अगर मरीज के परिवार में किसी को पहले से पीकेडी बीमारी है तो हो सकता है कि आने वाली पीढ़ियों को भी इस बीमारी से जूझना पड़े।
यानी, यह रोग माता-पिता द्वारा उनके बच्चों तक पहुँच सकता है। जिसकारण इसे वंशानुगत रोग भी कहते है। हालांकि, इस बारे में अभी भी रिसर्च जारी है।
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2. सिंपल किडनी सिस्ट (गांठ) का कारण – Reason of Simple Kidney Cyst in Hindi
साधारण किडनी सिस्ट और कॉम्पलैक्स सिस्ट होने का कारण अभी तक पूरी तरह से समझ में नहीं आया है, हालांकि यह माना गया है कि गुर्दे के भीतर छोटी नलिकाओं में आने वाली रुकावट (जैसे किडनी स्टोन) इस रोग का कारण हो सकता है।
गुर्दे की नलिकाओं में रुकावट के कारण किडनी फूल जाती है और इसमें तरल पदार्थ भरने लगता है। तरल पदार्थ के इकट्ठा होने से सिस्ट बन जाती हैं।
इसके अलावा उम्र भी किडनी सिस्ट बनने का एक बड़ा कारण हो सकता है।
40 से 70 वर्ष की आयु के बीच लगभग 15 प्रतिशत लोगों को किडनी सिस्ट होने का खतरा होता है। जबकि, 70 वर्ष की उम्र के बाद किडनी सिस्ट का खतरा करीब 40 फीसदी तक बढ़ जाता है।
किडनी सिस्ट (गांठ) का निदान कैसे किया जाता है? | Diagnosis of Polycystic Kidney Disease in Hindi
डॉक्टर शुरुवात में हीमोग्लोबिन टेस्ट या किसी संक्रमण को देखने के लिए CRP टेस्ट या अन्य ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं और साथ ही मूत्र में रक्त, बैक्टीरिया या प्रोटीन की उपस्थिति का पता लगाने के लिए यूरिन की जांच करवा सकते हैं।
इसके अलावा डॉक्टर मरीज के गुर्दे (Kidney), यकृत (Liver) और अन्य अंगों में सिस्ट की उपस्थिति का पता लगाने के लिए इमेजिंग (Scan) परीक्षणों का उपयोग भी कर सकते हैं।
हालांकि, पॉलीसिस्टिक गुर्दा रोग एक अनुवांशिक विकार है, इसलिए डॉक्टर मरीज के परिवार के बारे में भी पूछ सकते हैं कि परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से पीड़ित तो नहीं है।
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किडनी सिस्ट (गांठ) का परीक्षण – Kidney cyst test in Hindi
1. पेट का अल्ट्रासाउंड द्वारा किडनी सिस्ट का निदान – Abdominal Ultrasound for Polycystic kidney disease in Hindi
अल्ट्रासाउंड तकनीक ध्वनि तरंगों का उपयोग कर किडनी या लीवर में सिस्ट देखने में मदद करती है।
किडनी सिस्ट की शुरुवाती जाँच में अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है।
2. पेट का सीटी (CT) स्कैन द्वारा किडनी सिस्ट (गांठ) का परीक्षण – Abdominal CT scan for Kidney Cyst in Hindi
सीटी स्कैन (कंप्यूटेड टोमोग्राफी) का मतलब है किसी भी चीज को छोटे-छोटे सेक्शन में काटकर उसका विस्तार से अध्ययन करना।
सीटी स्कैन परीक्षण गुर्दे में छोटे छोटे सिस्ट का पता लगाने में मदद करता है।
3. पेट का एमआरआई (MRI) स्कैन द्वारा किडनी सिस्ट का निदान – Abdominal MRI Scan for PKD in Hindi
एमआरआई स्कैन (MRI Scan) का पूरा नाम ‘मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग’ (Magnetic Resonance Imaging) होता है।
इस परीक्षण के द्वारा किडनी और सिस्ट की विस्तृत संरचना (Structure) की जांच की जाती है।
4. इंट्रावेनस पाइलोग्राम द्वारा किडनी सिस्ट का टेस्ट – Intravenous pyelogram for PKD in Hindi
इंट्रावेनस पाइलोग्राम (आईवीपी) एक प्रकार का एक्स-रे परीक्षण है, जो मरीज के गुर्दे, मूत्रवाहिनी (Ureter) और मूत्राशय (Urinary bladder) का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।
इसके साथ ही इस टेस्ट का उपयोग मूत्र में रक्त या पीठ के निचले हिस्से में दर्द का पता लगाने के लिए किया जाता है।
इस परीक्षण में एक विशेष प्रकार की आयोडीन आधारित डाई का उपयोग किया जाता है।
5. एमनियोसेंटेसिस द्वारा किडनी सिस्ट का निदान – Amniocentesis for Kidney Cyst in Hindi
अजन्मे बच्चों में भी पीकेडी (किडनी सिस्ट) की समस्या हो सकती है। अजन्मे बच्चों में पीकेडी की जांच के लिए डॉक्टर एमनियोसेंटेसिस नामक परीक्षण करते हैं। इस परीक्षण में डॉक्टर गर्भ से बहुत कम मात्रा में एमनियोटिक द्रव लेते हैं और उसका परीक्षण करते हैं।
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6. कोरियोनिक विलस सैंपलिंग द्वारा किडनी सिस्ट (गांठ) का निदान – Chorionic villus sampling for Polycystic kidney disease in Hindi
यदि महिला को पीकेडी है और वह गर्भवती है या गर्भवती होने की योजना बना रही है, तो इन परीक्षणों (5 & 6) के बारे में अपने डॉक्टर से बात कर सकती है।
किडनी सिस्ट (गांठ) की जटिलताएं | Complications of Kidney Cyst Disease in Hindi
- किडनी का पूरी तरह खराब होना,
- धमनियों (Arteries) की दीवारों का कमजोर होना,
- लीवर में सिस्ट का बढ़ना और लीवर का खराब होना,
- प्रीक्लेम्पसिया (प्रेगनेंसी के दौरान उच्च रक्तचाप) होना,
- एनीमिया, या अपर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं का होना,
- अग्न्याशय (Pancreas) और अंडकोष (Testicles) में सिस्ट होना,
- मोतियाबिंद (Cataracts) या अंधापन,
- जिगर (Liver) की बीमारी,
- अंदरूनी रक्तस्राव (Internal bleeding),
- उच्च रक्त चाप (High blood pressure),
- पथरी (Kidney stone),
- दिल की बीमारी,
- हृदय वाल्व की समस्या,
- कोलन की समस्या।
क्या किडनी सिस्ट (पीकेडी) को रोका जा सकता है? | Prevention of Kidney Cyst in Hindi
किडनी सिस्ट को रोकने का अभी तक कोई कारगर तरीका नहीं है।
हालांकि, इसके संभावित लक्षणों को कम करने लिए कुछ दवाइयां उपलब्ध हैं जैसे कि टॉल्वाप्टन (tolvaptan), जिसका उपयोग कभी-कभी सिस्ट की वृद्धि दर को कम करने के लिए किया जाता है।
किडनी सिस्ट (गांठ) से बचने के उपाय – Prevention of kidney cyst in Hindi
यदि किसी व्यक्ति को किडनी सिस्ट है, तो व्यक्ति स्वस्थ जीवनशैली का पालन करके अपने गुर्दे को लंबे समय तक काम करने में सक्षम बना सकता है। स्वस्थ जीवनशैली का पालन निम्नलिखित तरीकों से लिया जा सकता है।
- रक्तचाप (Blood pressure) को स्वस्थ रखें,
- रक्त शर्करा (Blood sugar) को नियंत्रित रखें,
- अतरिक्त वजन को बढ़ने ना दें,
- कम नमक, कम वसा (Fat) वाले आहार को अपनी डाइट में शामिल करें,
- डाइट में पोटेशियम का सेवन कम करें (जैसे केला, आलू, एवोकाडो, संतरा, पकी हुई ब्रोकली, कच्ची गाजर, साग (केल को छोड़कर), टमाटर और खरबूजे),
- दिनभर में पानी पीने की मात्रा को सिमित करें,
- फास्फोरस और कैल्शियम युक्त आहार को सीमित करें,
- शराब सीमित करें या उसे अपने जीवन से ही पूरी तरह से हटा दें,
- कैफीन (कॉफी और चाय) को सीमित करें,
- धूम्रपान न करें या किसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पाद का उपयोग न करें,
- दिन में कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें,
- डॉक्टर द्वारा बताई हुई सभी दवाओं को सही समय पे खाएं,
- रात में 7 से 8 घंटे सोने का लक्ष्य रखें,
- तनाव को कम करें।
किडनी सिस्ट ट्रीटमेंट | Kidney Cyst Treatment in Hindi
1. रक्तचाप को नियंत्रित करके किडनी सिस्ट (गांठ) का उपचार – Treatment of kidney cysts by controlling blood pressure in Hindi
रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाएं लिख सकते हैं।
इसके अलावा डॉक्टर ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने के लिए आपकी डाइट में बदलाव ला सकते हैं, और साथ ही नियमित रूप से व्यायाम करने की सलाह दे सकते हैं।
2. दर्द निवारक दवाओं द्वारा पीकेडी का इलाज – Painkillers for PKD Treatment in Hindi
3. डायलिसिस द्वारा किडनी सिस्ट (गांठ) का उपचार – Treatment of किडनी किस्त by dialysis in Hindi
यदि किडनी सिस्ट के कारण किडनी पूरी तरह खराब हो जाती है, तो डॉक्टर डायलिसिस (रक्त को साफ करने की एक प्रक्रिया) करवाने के लिए बोल सकते हैं।
डायलिसिस दो प्रकार से किया जाता है जिसमें पहला हेमोडायलिसिस और दूसरा पेरिटोनियल डायलिसिस कहलाता है।
हेमोडायलिसिस में शरीर के बाहर रक्त को छानने के लिए एक मशीन का उपयोग किया जाता है जबकि, पेरिटोनियल डायलिसिस में पेट के अंदर एक विशेष तरल पदार्थ का उपयोग किया जाता है।
डायलिसिस, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग या किडनी सिस्ट का एक अस्थायी इलाज है।
4. गुर्दा प्रत्यारोपण द्वारा पॉलीसिस्टिक किडनी रोग का इलाज – Treatment of Polycystic kidney disease by kidney transplant in Hindi
किडनी के पूरी तरह खराब होने पर डॉक्टर गुर्दा प्रत्यारोपण (Kidney transplant) की सलाह दे सकते हैं।
गुर्दा प्रत्यारोपण में डॉक्टर आपके परिवार के किसी सदस्य की किडनी को आपमें प्रत्यारोपित करते हैं।
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निष्कर्ष (Conclusion)
किडनी सिस्ट का मुख्य कारण किडनी के बाहर द्रव से भरे सिस्ट का बनना है।
आमतौर पर साधारण सिस्ट (simple cyst) किडनी के लिए हानिकारक नहीं होती हैं। हालांकि, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (PKD) समय के साथ किडनी में नकरात्मक प्रभाव डालता है।
एक अनुमान के मुताबिक, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से पीड़ित 50 प्रतिशत लोग 60 वर्ष की आयु तक अपने गुर्दे खो देते हैं।
गुर्दे के खरब हो जाने से शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंग प्रभावित होने लगते हैं जिसमें यकृत (Liver) की खराबी, विभिन्न ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, आँखों का अंधापन, गर्भवास्थ में जटिलताएं आदि शामिल हैं।
दुर्भाग्य से, किडनी सिस्ट (पीकेडी) को रोकने का कोई प्रभावी तरीका नहीं है। हालांकि, कुछ दवाएं लेने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
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ये है किडनी सिस्ट (गांठ) के बारे में बताई गई पूरी जानकारी। कमेंट में बताएं आपको kidney cyst पोस्ट कैसी लगी। अगर पोस्ट पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें।
Disclaimer : ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करने या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietitian) की सलाह जरूर लें।
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