टॉन्सिल (Tonsil) में होने वाला इन्फेक्शन टॉन्सिलाइटिस (Tonsillitis) कहलाता है। आमतौर पर टॉन्सिलाइटिस किसी भी गंभीर या स्थायी स्वास्थ्य समस्या का कारण नहीं बनता है। हालांकि, कभी-कभी संक्रमण के ज्यादा गंभीर होने से टॉन्सिलाइटिस टॉन्सिल कैंसर में परिवर्तित हो सकता है। इसलिए टॉन्सिल का इलाज या टॉन्सिल में परहेज ठीक ढंग से किया जाना जरुरी है। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको टॉन्सिलाइटिस (टॉन्सिल) क्या है?, टॉन्सिल के प्रकार, गले में टॉन्सिल के लक्षण (Tonsillitis Symptoms in Hindi), टॉन्सिल का कारण और टॉन्सिल का आयुर्वेदिक इलाज के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
तो आइये अब इस पोस्ट को शुरू करते हैं।
टॉन्सिलाइटिस (टॉन्सिल) क्या है? | What is Tonsillitis in Hindi
टॉन्सिल्स गले के अंदर दोनों तरफ मौजूद होते है। यह शरीर के रक्षा-तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और बाहरी संक्रमण जैसे बैक्टीरिया और वायरस से हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। हालांकि, कभी-कभी बैक्टीरिया या वायरस के कारण टॉन्सिल मैं संक्रमण हो जाता है। टॉन्सिल (Tonsil) में होने वाला यह संक्रमण टॉन्सिलाइटिस (Tonsillitis) कहलाता है।
टॉन्सिलाइटिस एक आम संक्रमण है जिसमें टॉन्सिल लाल और सूजे हुए हो जाते हैं। (3)
टॉन्सिलिटिस के कारण गले में खराश (sore throat), बुखार, ग्रंथियों में सूजन और निगलने में परेशानी हो सकती है। समान्यतः टॉन्सिलाइटिस छोटे बच्चों से लेकर किशोरावस्था (5-15 साल तक) के बच्चों में अधिक देखा जाता है। परन्तु ये किसी भी उम्र में हो सकता है।
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क्या हैं टॉन्सिलाइटिस (टॉन्सिल) के प्रकार? | What are the Types of Tonsillitis in Hindi
टॉन्सिल्स मुख्य तीन प्रकार के हो सकते हैं- (4)
1. एक्यूट टॉन्सिल्स – Acute tonsillitis in Hindi
एक्यूट टॉन्सिल्स के लक्षण 3-4 दिन में चले जाते हैं या ज्यादा से ज्यादा २ हफ्ते तक रहते हैं।
इस प्रकार के टॉन्सिल्स या तो वायरस या बैक्टीरिया के कारण होता है।
2. आवर्ती टॉन्सिल्स – Recurring tonsils in Hindi
इस प्रकार के टॉन्सिल्स में व्यक्ति एक साल में कई बार टॉन्सिल्स के लक्ष्णों को महसूस कर सकता है।
3. क्रोनिक टॉन्सिल्स – Chronic tonsils in Hindi
इस प्रकार के टॉन्सिल्स में व्यक्तिके गले में बहुत सूजन आ जाती है और साथ ही साथ सांस से बदबू आने लगती है।
यदि एक्यूट टॉन्सिल्स संक्रमण का इलाज नहीं किया गया है।
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गले में टॉन्सिलिटिस (टॉन्सिल) के लक्षण | Tonsillitis Symptoms in Hindi
टॉन्सिल (टॉन्सिलिटिस) बढ़ने के लक्षण इस प्रकार हैं: (3)
- गले में खराश,
- गले में तेज दर्द,
- निगलने में कठिनाई या दर्द,
- कर्कश आवाज,
- बदबूदार सांस,
- बुखार,
- ठंड लगना,
- पेटदर्द,
- सरदर्द,
- कान के निचले भाग में दर्द रहना,
- टॉन्सिल का लाल और सुजा हुआ होना,
- टॉन्सिल में सफेद या पीले धब्बे पड़ना,
- छोटे बच्चों में सांस लेने में तकलीफ, एवं लार टपकाना जैसी समस्याएं।
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बच्चों में टॉन्सिल (टॉन्सिलिटिस) के लक्षण | Tonsillitis Symptoms in children in Hindi
बच्चों में टॉन्सिल (टॉन्सिलिटिस) के लक्षण इस प्रकार हैं:
- पेट की खराबी,
- उल्टी,
- पेट दर्द,
- खाने या निगलने का मन ना करना,
- गले में खराश।
टॉन्सिल (टॉन्सिलाइटिस) कैंसर के लक्षण | Symptoms of tonsil cancer in Hindi
टॉन्सिल कैंसर का मुख्य लक्षण है एक टॉन्सिल का दूसरे टन्सिल की तुलना में बड़ा होना।
इसके अलावा लगातार गले में खराश होना भी टॉन्सिल कैंसर का लक्षण हो सकता है।
टॉन्सिल कैंसर के अन्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं: (6)
- स्वर बैठना या आपकी बोलने की आवाज़ में बदलाव,
- अत्यधिक थकान,
- अस्पष्टीकृत वजन का घटना,
- कान में दर्द होना, विशेष रूप से केवल एक तरफ,
- निगलने या अपना मुंह खोलने में कठिनाई,
- मुंह से खून निकलना।
टॉन्सिल कैंसर वाले कुछ लोग ऐसा महसूस करते हैं जैसे उनके गले में कुछ फंस गया हो। आपको मुंह, गले या कान में भी दर्द हो सकता है।
हालांकि, टॉन्सिल कैंसर के लक्षण सभी के लिए अलग-अलग होते हैं, इसलिए इसके लक्षण या संकेत हमेशा स्पष्ट नहीं दिखेंगे।
गले में टॉन्सिलिटिस (टॉन्सिल) होने के कारण | What are the Causes of Tonsillitis in Hindi
टोंसिलिटिस अक्सर वायरस के कारण होता है, लेकिन जीवाणु (bacteria) संक्रमण भी इसका कारण हो सकता है।
1. वायरल टॉन्सिलाइटिस – viral tonsillitis in Hindi
टॉन्सिलिटिस के अधिकांश मामले (70 प्रतिशत तक) सर्दी या फ्लू (इन्फ्लूएंजा) जैसे वायरस के कारण होते हैं।
वायरल टॉन्सिलिटिस में शामिल हैं-(3)
- एडिनोवायरस,
- इन्फ्लूएंजा वायरस,
- एपस्टीन बार वायरस,
- पैराइन्फ्लुएंजा वायरस,
- एंटरोवायरस।
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2. बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस (स्ट्रेप थ्रोट) – Bacterial tonsillitis in Hindi
टॉन्सिलाइटिस के अन्य मामले ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया (स्ट्रेप्टोकोकस पाइोजेन्स) के कारण होते हैं। बैक्टीरियल टॉन्सिलिटिस को आमतौर पर स्ट्रेप थ्रोट कहा जाता है।
3. टॉन्सिलाइटिस के अन्य सामान्य कारणों में शामिल हैं:
- बर्तन, भोजन या पेय को चूमना या साझा करना,
- किसी बीमार व्यक्ति के निकट संपर्क में आना,
- दूषित सतह को छूना और फिर अपनी नाक या मुंह को छूना,
- बीमार व्यक्ति के छींकने या खांसने पर हवा में उड़ने वाले छोटे-छोटे कणों को अंदर लेना।
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क्या हैं गले में टॉन्सिल के जोखिम कारक | What are the Risk Factors of Tonsillitis in Hindi
टॉन्सिलिटिस के जोखिम कारक में शामिल हैं:
1. युवा उम्र – Young age
टॉन्सिलिटिस सबसे अधिक बार बच्चों को प्रभावित करता है, और बैक्टीरिया के कारण होने वाला टॉन्सिलिटिस 5 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों में सबसे आम है।
2. बार-बार कीटाणुओं के संपर्क में आना – Frequent exposure to germs
स्कूली उम्र के बच्चे अपने साथियों के साथ निकट संपर्क में होते हैं और अक्सर वायरस या बैक्टीरिया के संपर्क में आ जाते हैं जो टॉन्सिलिटिस का कारण बन सकता है।
ऐसे वयस्क जो छोटे बच्चों के आसपास बहुत समय बिताते हैं, जैसे कि शिक्षक, उनमें भी संक्रमण होने और टॉन्सिलिटिस होने की अधिक संभावना हो सकती है।
टॉन्सिल (टॉन्सिलाइटिस) से होने वाली जटिलताएं | What are the Complications from Tonsillitis in Hindi
टॉन्सिल का बार-बार होना या लम्बे समय तक टॉन्सिलिटिस के होने के कारण कुछ जटिलताएं पैदा हो सकती है जैसे: (5)
- नींद के दौरान साँस बाधित होना (ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया),
- संक्रमण का टॉन्सिल के आसपास के ऊतकों में फैलना (टॉन्सिलर सेल्युलाइटिस),
- संक्रमण के कारण टॉन्सिल में पस का जमा होना,
- आमवाती बुखार (रुमैटिक फीवर), एक गंभीर सूजन की स्थिति जो हृदय, जोड़ों, तंत्रिका तंत्र और त्वचा को प्रभावित कर सकती है
- स्कारलेट फीवर (scarlet fever), इस बीमारी के होने से पूरे शरीर पर लाल और उभरे हुए चकत्ते पड़ जाते हैं।
- गुर्दे की सूजन (पोस्ट स्ट्रेप्टोकोकल ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस)
- पोस्टस्ट्रेप्टोकोकल प्रतिक्रियाशील गठिया, एक ऐसी स्थिति जो जोड़ों की सूजन का कारण बनती है,
- जिन लोगों को साल में 7 बार से ज्यादा टॉन्सिलाइटिस होता है, उन्हें क्रॉनिक टॉन्सिलाइटिस हो सकता है। डॉक्टर टॉन्सिल को हटाने के लिए सर्जरी की सलाह दे सकते हैं, खासकर यदि आप खर्राटे ले रहे हैं या रात में सोने में परेशानी हो रही है। इस सर्जरी को टॉन्सिल्लेक्टोमी कहा जाता है।
- संक्रमण के अघिक और लम्बे समय तक होने के कारण ये संक्रमण टॉन्सिल कैंसर में भी बदल सकता है।
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गले में टॉन्सिल (टॉन्सिलाइटिस) का आयुर्वेदिक इलाज | Tonsils ayurvedic treatment in Hindi
आयुर्वेदिक इलाज द्वारा टॉन्सिल संक्रमण को रोका जा सकता है। टॉन्सिल का आयुर्वेदिक उपचार या टॉन्सिल के घरेलू उपाय में शामिल हैं-
1. टॉन्सिल की आयुर्वेदिक दवा है मुलेठी – Muleti : Ayurvedic treatment to cure tonsils in Hindi
मुलेठी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। गले की खराश और दर्द से आराम पाने के लिए मुलेठी को अपने मुंह में 30 min तक रख सकते हैं।
आप चाहें तो शहद में मुलेठी पाउडर मिलाकर भी इसका सेवन टॉन्सिल संक्रमण में कर सकते हैं।
2. टॉन्सिल का घरेलू इलाज लहसुन के सेवन से – Benefits of Garlic in tonsils in Hindi
पानी में 4-5 लहसुन की कलियाँ डाल कर उबाल लें। और फिर गुनगुने पानी से इसका गरारा करें।
यह घरेलू इलाज टॉन्सिल संक्रमण में सूजन और जलन से आराम दिलाता है।
3. दूध और हल्दी से टॉन्सिल का उपचार – Milk and Turmeric : Ayurvedic treatment to cure tonsils in Hindi
हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होता है, जो इंफेक्शन को दूर करने में मदद करता है।
गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर रात में सोने से पहले पी लें।
हल्दी का सेवन टॉन्सिल के साथ-साथ कई रोगों को ठीक करने में मदद करता है।
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4. अदरक द्वारा टॉन्सिल का इलाज – Treatment of tonsils with ginger in Hindi
गर्म पानी में नींबू का रस और अदरक पीस कर मिला दें। फिर इसे पी लें। अदरक में एंटी-बैक्टीरियल गुण होने के कारण यह टॉन्सिल के इलाज में फायदेमंद हो सकता है।
5. टॉन्सिल का घरेलू उपचार सेंधा नमक – Benefits of rock salt in tonsils in Hindi
टॉन्सिलाइटिस (गले की परेशानी) में नमक बेहद फायदेमंद साबित होता है। इसके लिए आप सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं। सेंधा नमक को गुनगुने पानी में डाल कर गरारा कर लें। इससे आपको तुरंत आराम मिलेगा।
6. सिरका से टॉन्सिल का इलाज – Vinegar : Ayurvedic treatment to cure tonsils in Hindi
गले की सूजन, जलन आदि दूर करने के लिए पानी में सिरका मिलाकर कुल्ला करें। एक ग्लास पानी में आधा चम्मच सिरका मिलाकर पीने से तुरंत आपको टॉन्सिलाइटिस में आराम मिलता है।
7. टॉन्सिल के इलाज के लिए प्याज का नुस्खा – Onion to treat tonsils in Hindi
प्याज के रस को गुनगुने पानी में मिलाकर गरारा करने से टॉन्सिल में बहुत लाभ पहुंचाता है।
8. तुलसी और शहद से टॉन्सिल का उपचार – Basil : Ayurvedic treatment to cure tonsils in Hindi
तुलसी की पत्ती में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण (तुलसी के लाभ) अनेक बिमारियों से लड़ने में मदद करती है।
एक गिलास दूध में 4-6 तुलसी के पत्ते उबाल लें। गुनगुना होने पर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें। इससे आपको टॉन्सिल में आराम मिलेगा।
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9. टॉन्सिल के घरेलू उपाय अदरक और शहद – Benefits of ginger and honey in tonsils in Hindi
अदरक को शहद के साथ मिला कर चूस सकते हैं, इससे आपको टॉन्सिलाइटिस में तुरंत राहत मिलेगी।
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ये है टॉन्सिलाइटिस (टॉन्सिल) के लक्षण कारण और आयुर्वेदिक इलाज के बारे में बताई गई पूरी जानकारी। कमेंट में बताएं आपको Tonsillitis Symptoms in Hindi पोस्ट कैसी लगी। अगर आपको पोस्ट पसंद आई हो, तो इसे शेयर जरूर करें।
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Disclaimer : ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करने या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietitian) की सलाह जरूर लें।
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