Vaccine क्या है, कैसे काम करती है? जानिए इसके प्रकार, फायदे और दुष्प्रभाव।

इस पोस्ट में हम आपको Vaccine क्या है, यह किस पदार्थ की बनी होती है, कैसे काम करती हैं, कितने प्रकार की होती हैं, वैक्सीन के फायदे और दुष्प्रभाव क्या हैं, आदि के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। इसके अलावा हमने बच्चों का टीकाकरण चार्ट 2022 भी दिया है, ताकि आप यह जान पाएं की बच्चों को कब और कितनी बार वैक्सीन लगती है।

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टीका (वैक्सीन) क्या है? | What is vaccine in Hindi

What is vaccine in Hindi

Vaccine in hindi meaning

टीका (Vaccine) एक ऐसा पदार्थ या द्रव्य है जो बीमारियों से बचाने में हमारी मदद करता है। वैक्सीन में उसी जीव का मृत या कमजोर किया हुआ भाग (stain) होता है जो संक्रमण फैलातें है। उदाहरण के लिए, खसरे के टीके में खसरे का वायरस, और हिब के टीके में हिब बैक्टीरिया होता है।

वैक्सीन मैं मौजूद ये strain संक्रमित नहीं होते और न ही संक्रमण फैलाते हैं, बल्कि इन strains के विरुद्ध हमारा शरीर (B lymphocytes cells) एंटीबॉडी बनता है और हमें भविष्य में उसी जीव के संक्रमण से बचता है।

ब्रिटिश चिकित्सक एडवर्ड जेनर ने सन् 1796 में चेचक विषाणु (Smallpox Virus) के लिए पहला टीका बनाया था। जिसके द्वारा सन् 1980 तक पूरी दुनिया से चेचक विषाणु का नाश कर दिया गया। (1)

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टीकाकरण क्या होता है? | Meaning of vaccination in Hindi

इम्यूनाइजेशन क्या है? – Immunization meaning in Hindi

किसी बीमारी के विरुद्ध प्रतिरोधात्मक क्षमता (immunity) विकसित करने के लिये जो दवा दी जाती है उसे टीका (vaccine) कहते हैं तथा यह क्रिया टीकाकरण (Vaccination) या प्रतिरक्षीकरण (Immunization) कहलाती है। (2)

आज कई अलग-अलग तकनीकों का उपयोग करके विभिन्न वायरस के विरुद्ध टीके बनाए जा रहे हैं। अधिकांश टीके सुई (इंजेक्शन) द्वारा दिए जाते हैं लेकिन कुछ मौखिक रूप से (मुंह से) या नेसल स्प्रे द्वारा नाक में डालकर दिए जाते हैं।

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टीकाकरण क्यों किया जाता है? | Importance of vaccination in Hindi

टीकाकरण का महत्व (टीकाकरण के लाभ) – टीकाकरण के दो महत्व हैं- (3)

टीकाकरण रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ाता है।

टीकाकरण रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है और आपको संक्रमित होने से बचता है।

टीका गंभीर बीमारी से बचाता है।

टीके संक्रामक, खतरनाक और घातक बीमारियों के प्रसार को रोकते हैं। इनमें खसरा, पोलियो, रोटावायरस, इंफ्लुएंजा, कण्ठमाला, चिकन पॉक्स, काली खांसी, डिप्थीरिया, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस ए और एचपीवी जैसे रोग शामिल हैं।

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टीकाकरण द्वारा किन बीमारियों से सुरक्षा मिलती है? | What diseases are protected by vaccination in Hindi

टीके संक्रामक रोगों से हमें रक्षा प्रदान करते हैं जो गंभीर बीमारी और कभी-कभी मृत्यु का कारण बनते हैं। रोगों के प्रसार को रोकने के लिए जनसंख्या में उच्च स्तर की प्रतिरक्षा बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

आज टीकों ने पोलियो और चेचक जैसी विनाशकारी बीमारियों को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया है। इसके अलावा भी बहुत सी ऐसी बीमारियां हैं जिनमें वैक्सीन बहुत कारगर साबित हुई है। इन बिमारियों में शामिल हैं : (3)

  • हैज़ा – Cholera
  • कोरोना वायरस – COVID-19
  • डिप्थीरिया – Diphtheria
  • हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (एचआईबी) – Haemophilus influenzae type b (Hib)
  • हेपेटाइटिस ए – Hepatitis A
  • हेपेटाइटिस बी – Hepatitis B
  • ह्यूमन पैपिलोमा वायरस – Human papillomavirus
  • इंफ्लुएंजा – Influenza
  • खसरा – Measles
  • मेनिंगोकोक्सल – Meningococcal
  • कण्ठमाला का रोग – Mumps
  • काली खांसी- Whooping cough
  • न्यूमोनिया – Pneumonia
  • पोलियो – Polio
  • रोटावायरस (गैस्ट्रोएंटेराइटिस) – Rotavirus (gastroenteritis)
  • रूबेला (जर्मन खसरा) – Rubella (German measles)
  • Q बुखार – Q fever
  • रेबीज – Rabies
  • टिटनेस – Tetanus
  • ट्यूबरक्लोसिस – Tuberculosis
  • आंत्र ज्वर – Typhoid
  • चिकनपॉक्स – Chickenpox

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टीका कैसे काम करता है? | How does vaccine work in Hindi

How does vaccine work in Hindi

जब भी हम कोई वैक्सीन लेते हैं तो उसमें मौजूद स्ट्रेन (निष्क्रिय) हमरी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा पहचाने जाती हैं और इनके विरुद्ध कार्य करने लगती है और इन्हें नष्ट करने के लिए प्रोटीन का उत्पाद करती हैं। (4)

प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाया गया यह प्रोटीन एंटीबॉडी कहलाता है। प्रत्येक एंटीबॉडी प्रत्येक बैक्टीरिया या वायरस के लिए विशिष्ट होता है।

इन एंटीबॉडीज का पहला काम उन वायरस या बैक्टीरिया को नष्ट करना है जो आप को बीमार कर रहे हैं। जबकि, इनका दूसरा काम आपको भविष्य में होने वाले संक्रमण से बचाना है।

संक्रमण के समय हमारी memory B cell इन वायरस या बैक्टीरिया को अपनी memory में चिह्नित कर लेती हैं, ताकि भविष्य में यदि इन वायरस या बैक्टीरिया का हमला दुबारा हो, तो इन्हें वह पहचान सके और तुरंत इनके विरुद्ध एंटीबीडी का उत्पाद कर सकें।

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बूस्टर डोज या शॉट क्या है? | What is booster shot in Hindi

बूस्टर शॉट उसी टीके की एक अतिरिक्त खुराक है जो पहली या दूसरी खुराक के बाद दी जाती है। आमतौर पर, टीके की प्रभावशीलता समय के साथ धीरे-धीरे कम होने लगती है। लेकिन एक बूस्टर शॉट द्वारा वैक्सीन की प्रभावशीलता को बनाए रखा जाता है, और जिससे हम उस बीमारी के खिलाफ लंबे समय तक प्रतिरक्षा प्राप्त करते हैं। (5)

उदाहरण के लिए बच्चों को डीटीएपी (DTaP) की तीन डोज़ 2, 4 और 6 महीने की उम्र में लगाई जाती है, इसके बाद DTaP की बूस्टर डोज़ 15-18 महीने और 4-6 साल की उम्र में लगाई जाती है। ताकि DTaP वैक्सीन की प्रभावशीलता लम्बे समय तक बनी रहे।

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वैक्सीन किन पदार्थ की बनी होती है? | Vaccine ingredients in Hindi

वैक्सीन विभिन्न पदार्थों से मिल के बनी होती हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं- (6)

अडजुवांटस | Adjuvants 

Adjuvants , टीके के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। अल्युमीनियम Adjuvants के रूप में इस्तेमाल होने वाला पदार्थ है।

स्टैबिलिज़ेर्स | Stabilizers 

स्टेबलाइजर्स वैक्सीन के बनने के बाद उसे स्थिर बनाए रखने में मदद करते हैं। जेलाटीन स्टेबलाइजर्स के रूप में इस्तेमाल होने वाला पदार्थ है।

फॉर्मलडिहाइड | Formaldehyde

फॉर्मलडिहाइड का उपयोग वैक्सीन निर्माण प्रक्रिया के दौरान बैक्टीरिया द्वारा दूषित होने से रोकता है।

थिमेरोसल | Thimerosal

थिमेरोसल का उपयोग फ्लू वैक्सीन बनने के दौरान किया जाता है, थिमेरोसल केवल multi-dose वाली वैक्सीन में ही इस्तेमाल होता है। थिमेरोसल एक पारा-आधारित preservative है जिसका उपयोग कई दशकों से दवाओं और टीकों की बहु-खुराक शीशियों (एक से अधिक खुराक वाली शीशियों) में किया जाता है।

टीके (वैक्सीन) कितने प्रकार के होते हैं? | Types of Vaccines in Hindi

Types of Vaccines in Hindi

वैक्सीन बनाने में इस्तेमाल होने वाले एंटीजन के आधार पर टीकों को मुख्य रूप से पांच प्रकारों में बांटा गया है। (7)

  • पैथोजन वैक्सीन
  • सबयूनिट वैक्सीन
  • न्यूक्लिक एसिड वैक्सीन
  • वेक्टर वैक्सीन
  • टॉक्साइड

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1. पैथोजन वैक्सीन – Pathogen Vaccines in Hindi

पैथोजन वैक्सीन दो प्रकार की हैं-

a. लाइव अटेंडेड पैथोजन वैक्सीन – Live-attenuated Vaccine in Hindi

इस वैक्सीन में वायरस का जीवित (live) भाग (strain) लिया जाता है पर उस strain में उतनी ताकत नहीं होती कि वह शरीर को संक्रमित कर पाए।

जब यह strain शरीरर में वैक्सीन के मंध्यम से जाता है तो हमारा शरीर कुछ दिन बाद उस strain के विरुद्ध एंटीबाडी बनाने लगता है।

हालांकि यह वैक्सीन उन रोगियों के लिए खतरनाक हो सकती हैं जिनकी इम्युनिटी बहुत कमजोर होती है या जिनको immunosuppressive दवाइयां (प्रतिरोधक छमता को दबाने वाली दवाइयां) चल रही होती हैं, जैसे ट्रांसप्लांट या कैंसर वाले रोगियों में। क्योकि ऐसे व्यक्ति प्राकृतिक रूप से एंटीबाडी बनाने में असमर्थ होते हैं।

कोरोना  वायरस  वैक्सीन (कोविशील्ड), खसरा वैक्सीन, मम्प्स वैक्सीन, रूबेला वैक्सीन, चिकनपॉक्स वैक्सीन, इन्फ्लुएंजा वैक्सीन, रोटावायरस वैक्सीन इत्यादि लाइव अटेंडेड पैथोजन वैक्सीन के अच्छे उदाहरण हैं।

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b. इनएक्टिवेटेड पैथोजन वैक्सीन – Inactivated Vaccine in Hindi

इस वैक्सीन को बनाने के लिए वायरस की वृद्धि (Growth) एक कल्चर मीडिया (Culture media) में की जाती है।

कल्चर मीडिया एक ऐसी विधि है जिसमें इंफेक्शन फैलाने वाले वायरस एवं बैक्टीरिया आदि की क्रतिम तरीके से growth करवाई जाती है।

उदाहरण के लिए जिस प्रकार एक किसान खाद, पानी एवं उचित वातावरण देकर अपने फसल की वृद्धि कराता है ठीक उसी प्रकार प्रयोगशाला में वैज्ञानिक कुछ संक्रमित सैंपल जैसे वायरस, बैक्टीरिया इत्यादि को उचित पोषक तत्व एवं वातावरण प्रदान करके इन वायरस या बैक्टीरिया की वृद्धि करवाते हैं और उसका मूल्यांकन (Diagnosis) करते हैं।

हालांकि बाद में उन्हें रसायनों के साथ मिला कर निष्क्रिय (inactive) या मृत (dead) कर दिया जाता है। जिससे उनके संक्रमण करने की शक्ति चली जाती है और वैक्सीन का निर्माण कर लिया जाता है।

कोरोना  वायरस  वैक्सीन (कोवाक्सिन), पोलियो वैक्सीन, हेपेटाइटिस A वैक्सीन इत्यादि इनएक्टिवेटेड पैथोजन वैक्सीन के अच्छे उदाहरण हैं।

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2. सबयूनिट वैक्सीन – Subunit Vaccine in Hindi

कुछ बीमारियों में बैक्टीरिया या वायरस के सतह में पाए जाने वाले एंटीजन या प्रोटीन संक्रमण का कारण होते हैं। ऐसे में वैक्सीन बनाने के लिए इन एंटीजन को बैक्टीरिया या वायरस में से अलग कर निष्क्रिय कर देते हैं। और बाद में इसकी वैक्सीन बना लेते हैं

जब यह वैक्सीन हमारे शरीर की कोशिकाओं में जाती है तो हमारा शरीर इन निष्क्रिय एंटीजन या प्रोटीन के विरुद्ध एंटीबाडी बनाने लगता है और हमें संक्रमण से बचता लेता है।

अगर कोरोना वायरस वैक्सीन के सन्दर्भ में बात की जाए तो वैक्सीन बनाने के लिए वैज्ञानिक कोरोना वायरस मे पाए जाने वाले spike प्रोटीन, membrane प्रोटीन और envelope प्रोटीन का प्रयोग कर रहे हैं।

हेपेटाइटिस B वैक्सीन, इन्फ्लुएंजा (इंजेक्शन), हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप B (हिब वैक्सीन) वैक्सीन, न्यूमोकोकल वैक्सीन, मेनिंगोकोक्सल वैक्सीन इत्यादि सबयूनिट वैक्सीन के अच्छे उदाहरण हैं।

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3. न्यूक्लिक एसिड वैक्सीन – Nucleic Acid Vaccines in Hindi

न्यूक्लिक एसिड (DNA या RNA) वैक्सीन एक ऐसा टीका है जिसमें रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया या वायरस का ही DNA या RNA लिया जाता है।

जब इन टीकों को हमारे शरीर की कोशिकाओं में दिया जाता है तो हमारा शरीर उस न्यूक्लिक एसिड से वायरल प्रोटीन बनाने लगता है।

हालांकि, यह प्रोटीन हमें संक्रमण नहीं पहुँचता बल्कि इसके विरुद्ध शरीर का इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है और एंटीबाडी का निर्माण करने लगता है और हमें प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है।

RNA या DNA टीकों में बैक्टीरिया या वायरस का कोई भी जीवित भाग नहीं लिया जाता है

इसलिए यह वैक्सीन अन्य वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित मानी जाती है यह एक अपेक्षाकृत नई तकनीक है जिसे HIV, इन्फ्लूएंजा, मलेरिया और Zika virus जैसी बिमारियों के लिए तैयार किया जा रहा है।

कोरोना वायरस के सन्दर्भ में बात की जाए तो वैज्ञानिक कोरोना वायरस के mRNA (न्यूक्लिक एसिड) का प्रयोग वैक्सीन बनाने में कर रहे हैं।

फाइजर-बायोएनटेक covid-19 वैक्सीन, न्यूक्लिक एसिड वैक्सीन वैक्सीन का एक अच्छा उदाहरण है।

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4. वेक्टर वैक्सीन – Vector Vaccines in Hindi

वायरल वेक्टर आधारित टीके पारंपरिक टीकों से भिन्न होते हैं क्योंकी इस में उस वायरस का कोई एंटीजन, प्रोटीन  या न्यूक्लिक एसिड नहीं होता जो संक्रमण फैलते हैं, बल्कि इसमें उस वायरस के संक्रमित एंटीजन या प्रोटीन का जेनेटिक कोड (DNA sequence code) होता है।

यह जेनेटिक कोड पूरी तरह से सुरक्षित होता है। जिसे किसी वेक्टर (वायरस या बैक्टीरिया) के DNA के साथ recombinant (जोड़कर) कर हमारे शरीर की कोशिकाओं में पंहुचा दिया जाता है। यह वेक्टर (Vector Vaccines in Hindi) निम्न प्रकार के हो सकते हैं जैसे –

एडेनोवायरस वेक्टर्स (Adenovirus Vectors), एडेनो-एसोसिएटेड वायरस वेक्टर्स (Adeno-Associated Virus Vectors), रेट्रोवायरस वैक्टर (Retrovirus Vectors), लेंटवायरस वेक्टर्स (Lentivirus Vectors), सेंडर वायरस सेक्टर्स (Sendai Virus Vectors) आदि

हालांकि यह वेक्टर्स निष्क्रिय होते हैं। जिसका उपयोग केवल DNA sequence के code को हमारे शरीर में पहुंचने के लिए किया जाता है।

जैसे ही ये DNA sequence हमारे कोशिकाओं में आते हैं वैसे ही हमारा शरीर इनके विरुद्ध एंटीबाडी बनाने लगता है और हमें प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) प्रदान करता है।

अगर कोरोना वैक्सीन की बात की जाए तो वैज्ञानिक कोरोना वायरस (Coronavirus) में पाए जाने वाले spike प्रोटीन, membrane प्रोटीन और envelope प्रोटीन के जेनेटिक कोड को वैक्सीन बनाने में उपयोग कर रहे हैं। जो की पूर्ण रूप से सुरक्षित मानी जा रही है।

वायरल वेक्टर वैक्सीन का एक अच्छा उदाहरण इबोला के खिलाफ rVSV-ZEBOV वैक्सीन है।

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5. टॉक्सोइड टीके – Toxoid vaccines in Hindi

कुछ बैक्टीरिया शरीर पर हमला करते समय विषाक्त पदार्थों (जहरीले प्रोटीन) को छोड़ते हैं। ये जहरीले प्रोटीन गंभीर रोग पैदा करते हैं जिससे व्यक्ति गंभीर रूप से  बीमार हो जाता है।

टॉक्सोइड टीके इन्हीं विषाक्त पदार्थ (जहरीले प्रोटीन) से बने होते हैं। परन्तु वैक्सीन में ये पदार्थ निष्क्रिय रूप में होते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली इन निष्क्रिय विषाक्त पदार्थों को उसी तरह पहचानती है जैसे यह बैक्टीरिया की सतह पर अन्य एंटीजन को पहचानती है।

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क्या वैक्सीन सुरक्षित होती हैं? | Are Vaccines Safe in Hindi

आबादी में उपयोग किए जाने से पहले टीकों का कड़ाई से अध्ययन और परीक्षण किया जाता है। इस लिहाज से टीकों को सुरक्षित माना जाता है।

टीके वभिन्न बिमारियों से बचाने में सक्षम होते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में टीकों के दुष्प्रभाव भी दिख सकते हैं।

ये दुष्प्रभाव हल्के और कुछ समय के लिए ही होते हैं। इसलिए दुष्प्रभाव को देख कर टीके ना लगवाने का निर्णय बिल्कुल भी ना लें। ध्यान रहें कि बीमारी टीके के संभावित दुष्प्रभावों से कहीं अधिक खराब और जानलेवा हो सकती है।

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टीकाकरण सूची | Vaccination chart India 2022 in Hindi

टीके हमें विभिन्न रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं। आज विभिन्न प्रकार की वैक्सीन विभिन्न रोगों से लड़ने के लिए बाजार में उपलब्ध हैं। नीचे दिए हुए वैक्सीन चार्ट के माध्यम से आप विभिन्न प्रकार के टीकों के बारे में जान पाएंगे।

भारत में शिशुओं के लिए टीकाकरण चार्ट नीचे दिया गया है। (8)

बच्चों का टीकाकरण चार्ट 2022 – Immunization Chart for Babies in India

उम्र

वैक्सीन

  रोग

जन्म के समय (At Birth)

BCG vaccine– Dose 1

OPV (oral polio vaccine)- Dose 0

Hepatitis B vaccine-  Dose 1

BCG vaccine का उपयोग ट्यूबरक्लोसिस रोग के लिए किया जाता है। ट्यूबरक्लोसिस एक गंभीर रोग है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है।

OPV- पोलियो रोग के खिलाफ उपयोग में आती है । OPV मौखिक रूप से दिए जाने वाली वैक्सीन है। पोलियो बीमारी बच्‍चें के किसी भी अंग को जिन्‍दगी भर के लिये कमजोर कर देती है। पोलियो लाईलाज है क्‍योंकि इसका लकवापन ठीक नहीं हो सकता।

Hep B vaccine- हेपेटाइटिस बी वैक्सीन का उपयोग मानव शरीर को हेपेटाइटिस बी वायरस (एचपीवी) से बचाने के लिए किया जाता है। यह रोग बहुत संक्रामक है और समय पर इलाज न होने पर यह लीवर को पूरी तरह से नुकसान पहुंचा सकता है।

6-8 weeks DTaP (Diphtheria, Tetanus and Pertussis) vaccine- Dose 1

Hib (Haemophilus influenzae type B)vaccine- Dose 1

Rotavirus vaccine– Dose 1

IPV (Injectable polio vaccine)- Dose 1

Hepatitis B vaccine– Dose 2

PCV (Pneumococcal conjugate vaccine)- vaccine- Dose 1

DTaP vaccine- डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (काली खांसी) रोग में

Hib vaccine- हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी बैक्टीरिया के खिलाफ

Rotavirus vaccine- यह टीका रोटावायरस से बचाने में मदद करता है, जो दस्त का प्रमुख कारण है।

IPV- पोलियो रोग के खिलाफ।

Hep B vaccine- Dose 2

PCV- vaccine- यह निमोनिया और मेनिन्जाइटिस (ब्रेन फीवर) को रोकने के लिए इस्तेमाल होती है।

10-16 weeks DTaP (Diphtheria, Tetanus and Pertussis) vaccine- Dose 2

Hib (Haemophilus influenzae type B)vaccine- Dose 2

Rotavirus vaccine– Dose 2

IPV (Injectable polio vaccine)- Dose 2

PCV (Pneumococcal conjugate vaccine)- vaccine- Dose 2

14-24 weeks DTaP (Diphtheria, Tetanus and Pertussis) vaccine- Dose 3

Hib (Haemophilus influenzae type B)vaccine- Dose 3

Rotavirus vaccine– Dose 3

IPV (Injectable polio vaccine)- Dose 3

PCV (Pneumococcal conjugate vaccine)- vaccine- Dose 3

6 Months OPV (oral polio vaccine)- Dose 2

Hepatitis B vaccine– Dose 3

Flu Vaccine– Dose 1

Flu Vaccine- इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाले संक्रमण को रोकने के लिए इन्फ्लुएंजा वायरस का टीका (Flu Vaccine) लगवाया जाता है।
7 Months Flu Vaccine– Dose 2
9 Months OPV (Oral Polio Vaccine) Dose 2

MMR (Measles, Mumps and Rubella vaccine) Dose 1

MMR vaccine- एमएमआर वैक्सीन बच्चों को खसरा, कण्ठमाला और रूबेला से बचाने में किया जाता है।
9-12 Months Typhoid CV (typhoid conjugate vaccine) Dose 1 Typhoid vaccine का उपयोग टाइफाइड बुखार को रोकने में मदद करना है। टाइफाइड एक bacterial  infection (संक्रमण) है जिससे तेज बुखार, दस्त और उल्टी हो सकती है।
12 Months Hep A (Hepatitis A vaccine) Dose 1 Hepatitis A vaccine का उपयोग हेपेटाइटिस A वायरस से बचाने के लिए किया जाता है। यह रोग बहुत संक्रामक है, समय पर इलाज न होने पर यह लीवर को पूरी तरह से नुकसान पहुंचा सकता है।
15 Months PCV (Pneumococcal conjugate vaccine) Booster
MMR (Measles, Mumps and Rubella vaccine) Dose 2Chicken Pox vaccine– Dose 1
Chicken Pox- चिकनपॉक्स, वैरीसेला-जोस्टर वायरस के कारण होने वाला संक्रमण है। इस रोग में पूरे शरीर पर छोटे और तरल पदार्थ से भरे खुजली वाले फफोले हो जाते हैं।
16-18 Months IPV (Injectable, Polio Vaccine) Booster
Hib (Haemophilus influenzae type B vaccine) Booster
DTaP/DTwP (Diphtheria, Tetanus and Pertussis) Booster
18 Months Hep A (Hepatitis A vaccine) Dose 2
2 Years Typhoid vaccine Booster
4-6 Years OPV (Oral Polio Vaccine) Dose 3
Typhoid vaccine Booster
DTaP (Diphtheria, Tetanus and Pertussis) BoosterChickenpox vaccine– Dose 2

वैक्सीन की प्रभावशीलता कितनी होती है? | How effective is the vaccine in Hindi

How effective is the vaccine in Hindi

टीके अत्यधिक प्रभावी होते हैं, परन्तु कोई भी टीका 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं होता है। टीकों की प्रभावशीलता की दर प्रत्येक प्रकार के टीकों में अलग-अलग होती है। इसके अलावा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी टिके की प्रभावशीलता अलग अलग हो सकती है। कुछ लोगों में वैक्सीन लगाने के बाद भी वैक्सीन का कोई असर नहीं दिखता है।

कुछ प्रमुख टीकों की प्रभावशीलता के उदाहरण इस प्रकार हैं –

BCG वैक्सीन की प्रभावशीलता पूरी डोज़ लगने के बाद 70-80% तक होती है। (9)

DTaP वैक्सीन की प्रभावशीलता पूरी डोज़ लगने के बाद 80-90% तक होती है। (10)

Polio वैक्सीन की प्रभावशीलता पूरी डोज़ लगने के बाद  99% से अधिक होती है। (11)

Hib वैक्सीन की प्रभावशीलता पूरी डोज़ लगने के बाद 95% तक होती है। (12)

Hepatitis B वैक्सीन की प्रभावशीलता पूरी डोज़ लगने के बाद 98-100% तक होती है। (13)

MMR वैक्सीन की प्रभावशीलता पूरी डोज़ लगने के बाद >96% तक होती है।  97% लोग खसरे से, 88% कण्ठमाला से और कम से कम 97% रूबेला से सुरक्षित हैं। (14)

Pneumococcal वैक्सीन की प्रभावशीलता पूरी डोज़ लगने के बाद 60-70% तक होती है। (15)

HPV वैक्सीन की प्रभावशीलता पूरी डोज़ लगने के बाद 97-98% तक होती है। (16)

नीचे दी गई तालिका में आप टीकों की प्रभावशीलता को पढ़ सकते हैं।

वैक्सीन

प्रभावशीलता

(पूरी डोज़ लगने के बाद)

सुरक्षा की अनुमानित अवधि

बूस्टर शॉट

BCG Vaccine Upto 80% Upto 15 years आवश्यकता हो सकती है
DTaP Vaccine (Diphtheria,Tetanus,Pertussis) Upto 80% to 90% Upto 10 years आवश्यकता हो सकती है
Polio > 99% Upto 18 years आवश्यकता हो सकती है
Hib vaccine

(Haemophilus influenzae type B)

Upto 95% >9 years आवश्यकता हो सकती है
Hepatitis B 98% to 100% Upto 20 years आवश्यकता हो सकती है
MMR vaccine

(Measles, Mumps & Rubella)

>96% vaccines >20 years आवश्यकता हो सकती है
Pneumococcal 60% to 70% >5 years आवश्यकता हो सकती है
HPV Vaccine

(Human papillomavirus)

97%–98% >5-8 years आवश्यकता हो सकती है

किसे टीका नहीं लेना चाहिए? | Who should not take the vaccine in Hindi

सामान्य मामलों में, लगभग सभी समूहों के लोगों को टीका दिया जाता है। लेकिन कुछ समूह ऐसे भी हैं जहां डॉक्टर वैक्सीन लगवाने से पहले सावधानी बरतने के लिए कह सकते हैं या वैक्सीन लगवाने को मना (Reasons to avoid the vaccine in Hindi) कर सकते हैं ।

इन उच्च जोखिम समूह में शामिल हैं- (17)

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ऐसे व्यक्ति जिन्हें किसी विशिष्ट पदार्थ से एलर्जी हो – The person has had a severe allergic reaction

कुछ व्यक्तियों को टीके में प्रयुक्त (used) पदार्थों से एलर्जी होती है। यदि ये एलर्जी काफी गंभीर हैं, तो डॉक्टर अक्सर उस टीके की सिफारिश नहीं करते हैं या टीके के एक अलग ब्रांड की सिफारिश कर सकते हैं।

ऐसे लोग जिनकी इम्युनिटी कमजोर हो – People who have weak immunity

कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों को डॉक्टर वैक्सीन ना लेने की सलाह दे सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों की इम्युनिटी बहुत कमजोर होती है। जिस कारण उनका शरीर एंटीबीडी का उत्पाद ठीक से नहीं कर पाता है।

व्यक्ति जिन्हें दौरे आते हों – Person having seizures

ऐसे व्यक्ति जिन्हें पहली डोज़ के बाद दौरे आए हों, उन्हें भी डॉक्टर वैक्सीन लेने से मना कर सकते हैं।

तंत्रिका तंत्र की समस्या हो- Person have nervous system problems

गिलैन बारे (गीयान-बारे) संलक्षण (Guillain-Barré syndrome) एअक ऐसा विकार है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immunity) परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral nervous system) के कुछ हिस्सों पर हमला करती है जिससे उनका तंत्रिका तंत्र कमजोर हो जाता है। इसलिए ऐसे व्यक्तियों को डॉक्टर कुछ प्रकार की वैक्सीन लेने हो मना करते है।

वैक्सीन के दुष्प्रभाव क्या हैं? | What are the side effects of the vaccine in Hindi

अधिकांश मामलों में टीकाकरण के दुष्प्रभाव, टीकाकरण  के बाद पहले तीन दिनों के भीतर दिख सकते हैं, जो आमतौर पर केवल 1 से 2 दिनों तक ही रहते हैं। वैक्सीन के आम और गंभीर साइड इफेक्ट नीचे बताये गए हैं। (18 & 19)

वैक्सीन के आम साइड इफेक्ट – Vaccine Ke side effects

टीकाकरण के बाद सबसे आम दुष्प्रभाव में शामिल हैं:

  • दर्द, सूजन, या लाली जहां वैक्सीन दिया गया था,
  • हल्का बुखार,
  • ठंड लगना,
  • थकान,
  • सिरदर्द,
  • मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द।

टीकों के गंभीर साइड इफेक्ट

टीकों के गंभीर दुष्प्रभाव शरीर में एलर्जी प्रतिक्रिया के कारण हो सकते हैं। गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया के लक्षणों में शामिल हैं:

  • सांस लेने में दिक्क्त,
  •  चेहरे और गले की सूजन,
  • दिल की धड़कन तेज होना,
  • चक्कर आना और कमजोरी,
  • सांस लेने में कठिनाई,
  • लगातार पेट दर्द,
  • गंभीर या लगातार सिरदर्द,
  • धुंधली दृष्टि,
  • छाती में दर्द,
  • पैर की सूजन,
  • बच्चों में दौरे (seizures) आदि।

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टीकाकरण के बारे में मिथक और तथ्य | Myths and facts about vaccination

मिथक – टीके सुरक्षित नहीं हैं = गलत 

तथ्य – कहना की टीके सुरक्षित नहीं हैं, बिलकुल गलत है। किसी वैक्सीन को लाइसेंस  मिलने से पहले उसका संपूर्ण मूल्यांकन और परीक्षण किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह सुरक्षित और प्रभावी दोनों है। इसके बाद भी वैक्सीन के हर एक बैच का अलग से मूल्यांकन और परीक्षण भी किया जाता है।

मिथक – टीके ऑटिज्म डिसऑर्डर का कारण बनते हैं = गलत 

तथ्य – कहा जाता है कि एमएमआर (MMR) वैक्सीन ऑटिज्म डिसऑर्डर का कारण बनता है। ऑटिज्म डिसऑर्डर एक दिमागी बीमारी है। इस रोग में रोगी न तो अपनी बात ठीक से रख पाता है और न ही दूसरों की बात समझ पाता है।

ऑटिज्म एक विकासात्मक विकलांगता है। अब तक, एमएमआर वैक्सीन और ऑटिज्म डिसऑर्डर के बीच कोई संबंध स्थापित नहीं हुआ है। इसलिए यह कहना कि टीके ऑटिज्म डिसऑर्डर का कारण बनते हैं, बिलकुल गलत है।

मिथक – एक समय में एक से अधिक टीके बच्चे को हानिकारक दुष्प्रभावों में दाल सकता है। = गलत 

तथ्य – वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि एक ही समय में कई टीके लगाने से बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए यह कहना एक से अधिक वैक्सीन बच्चे को हानिकारक दुष्प्रभावों में डालती है, बिलकुल गलत है।

मिथक – टीकों में पारा होता है, जो खतरनाक है। = गलत 

तथ्य – पारा एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला तत्व है जो हवा, पानी और मिट्टी में पाया जाता है। यदि टीकों में प्रयोग किया जाता है, तो इसकी की मात्रा बहुत कम होती है। जो स्वस्थ को हानि नहीं पहुँचती है।

वैज्ञानिक प्रमाण भी यह नहीं बताते हैं कि वैक्सीन में उपयोग में लाया हुआ मरकरी (mercury) स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है।

मिथक – वैक्सीन से कैंसर होने कि सम्भावना बढ़ जाती है। = गलत 

तथ्य – यह कहना कि टीकों से कैंसर होता है, बिल्कुल गलत है। मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के खिलाफ टीकों का उपयोग कई प्रकार के कैंसर को रोकने के लिए किया जाता है, जिसमें गर्भाशय ग्रीवा (Cervical), गुदा (Anal), शिश्न (Penile) और ऑरोफरीन्जियल (Oropharyngeal) कैंसर शामिल हैं।

हालांकि, बदलती जीवन शैली, लंबी जीवन प्रत्याशा और बेहतर निदान तकनीकों के कारण पिछले 50 वर्षों में कैंसर के मामलों में वैश्विक वृद्धि हुई है।

निष्कर्ष | Conclusion

टीका एक ऐसी दवा है जो ना केवल प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है बल्कि हमें विभिन्न प्रकार के रोगो से बचने में मदद करती है। आज कई अलग-अलग तकनीकों का उपयोग करके विभिन्न प्रकार के टीके बनाए जा रहे हैं। इन टीकों में कोरोना वैक्सीन, डिप्थीरिया, पर्टुसिस, हेपेटाइटिस, इंफ्लुएंजा आदि शामिल हैं।

वैसे तो टीके किसी बीमारी से लड़ने के लिए अत्यधिक प्रभावी होते हैं, परन्तु कोई भी टीका 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं होता है। कुछ जोखिम समूह ऐसे भी हैं जहां डॉक्टर वैक्सीन लगवाने से पहले सावधानी बरतने के लिए कहते हैं। इनमें वो लोग शामिल हैं जिन्हें किसी विशिष्ट पदार्थ से एलर्जी, जिनकी इम्युनिटी कमजोर, जिन्हें दौरे आते हों या जिन्हें तंत्रिका तंत्र की समस्या हो।

सामान्यतः टीकाकरण के बाद पहले तीन दिनों के भीतर टीकाकरण के कुछ दुष्प्रभाव देखने को सकते हैं। जो आमतौर पर केवल 1 से 2 दिनों तक ही रहते हैं। इसलिए दुष्प्रभाव को देख कर टीके ना लगवाने का निर्णय बिल्कुल भी ना लें। ध्यान रहें कि बीमारी टीके के संभावित दुष्प्रभावों से कहीं अधिक खराब और जानलेवा हो सकती है।


ये हैं वैक्सीन के प्रकार, फायदे और दुष्प्रभाव के बारे में बताई गई जानकारी। कमेंट में बताएं आपको यह पोस्ट कैसी लगी। यदि आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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Disclaimer : ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा  किसी वैक्सीन को लेने से पहले या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर की सलाह जरूर लें।  

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