Rickets Disease | बच्चों में सूखा रोग | रिकेट्स के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार

Rickets Disease in Hindi : इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बच्चों में सूखा रोग (sukha rog) के कारण, लक्षण, प्रकार और घरेलू उपचार (इलाज) के बारे में बता रहे हैं।

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सूखा रोग (Sukha rog) क्या है? | Rickets Disease meaning in Hindi

रिकेट्स छोटी उम्र में होने वाली एक बीमारी है जिसके परिणामस्वरूप बच्चों की हड्डियाँ कमजोर या मुलायम हो जाती हैं और साथ ही उनका विकास रुक जाता है। रिकेट्स रोग में हड्डियाँ अधिक आसानी से मुड़ जाती हैं, झुक जाती हैं और टूट जाती हैं। (1)

हिंदी भाषा में रिकेट्स बीमारी (रिकेट्स मीनिंग इन हिंदी) को सूखा रोग (sukha rog) कहा जाता है। बच्चों में रिकेट्स रोग का प्रमुख कारण विटामिन डी की कमी का होना है। हालांकि, इसके और भी कारण है जिन्हें नीचे बताया गया है।

विटामिन डी भोजन से प्राप्त कैल्शियम और फास्फोरस को अवशोषित करने में मदद करता है। परन्तु, शरीर में विटामिन डी की कमी से हड्डियों में उचित कैल्शियम और फास्फोरस का स्तर बनाए रखना मुश्किल हो जाता है, जिससे रिकेट्स बीमारी हो सकता है। (2)

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रिकेट्स (Sukha rog) की तस्वीरें | Pictures of Rickets in Hindi

रिकेट्स कैसा दिखता है?

आप निम्न चित्रों को देखकर पता लगा सकते हैं कि रिकेट्स रोग कैसा दिखता है।

Pictures of Rickets in Hindi

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सूखा रोग कितने प्रकार का होता है? | Types of Rickets Disease in Hindi

सूखा रोग के मुख्यतः दो प्रकार हैं।

1. कैल्सियोपेनिक रिकेट्स (विटामिन डी संबंधित रिकेट्स) – Calcipenic Rickets Disease in Hindi

कैल्सीपेनिक रिकेट्स कैल्शियम की कमी के कारण होता है, यह आमतौर पर विटामिन डी के अपर्याप्त सेवन (सूरज की धूप) या आहार में मौजूद विटामिन डी का उसके सक्रिय रूप में ना आने के कारण होता है। (3)

(Note: विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण के लिए आवश्यक है।)

2. फॉस्फोपेनिक रिकेट्स (किडनी संबंधित रिकेट्स) – Phosphopenic Rickets Disease in Hindi

फॉस्फोपेनिक रिकेट्स, शरीर में फॉस्फोरस के निम्न स्तर के कारण होता है। फॉस्फोरस के निम्न स्तर का कारण गुर्दे द्वारा फॉस्फोरस को अनियंत्रित तरीके से मूत्र के माध्यम से बाहर निकालना है। फॉस्फोपेनिक रिकेट्स एक प्रकार का वंशानुगत (आनुवंशिक) या अधिग्रहित विकार (hereditary or acquired disorder) है। (4)

चलिए अब समझते है बच्चों को सूखा रोग क्यों होता है।

सूखा रोग किसके कारण होता है? | Causes Rickets in Hindi

बच्चों को सूखा रोग क्यों होता है, इसके तीन प्रमुख कारण (sukha rog kaise hota hai) हैं। (2, 3, 4 & 5)

1. सूखा रोग का कारण शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी

अगर आप जानना चाहते हैं कि रिकेट्स रोग किस विटामिन की कमी से होता है, तो इसका जवाब है विटामिन डी। रिकेट्स का सबसे आम कारण है शरीर में विटामिन डी या कैल्शियम की कमी का होना।

जिन गर्भवती माताओं में विटामिन डी या कैल्शियम की कमी होती है, वे अपने बच्चों को रिकेट्स और हाइपोकैल्सीमिया का शिकार कर सकती हैं।

“एक अध्ययन से पता चला है कि रिकेट्स (सूखा रोग) से पीड़ित 89% बच्चों में सूरज की रोशनी का आभाव पाया गया।”

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2. रक्त में फॉस्फेट का निम्न स्तर है सूखा रोग का कारण

रक्त में फॉस्फेट का निम्न स्तर (हाइपोफॉस्फेटिक) या फास्फोरस की कमी भी रिकेट्स  का कारण को सकता है। हाइपोफॉस्फेटिक रिकेट्स वाले मरीजों में आमतौर पर 1 वर्ष की आयु तक स्पष्ट लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

3. अवशोषण में समस्या है सूखा रोग का कारण

कुछ बच्चे ऐसी चिकित्सीय स्थितियों के साथ पैदा होते हैं या विकसित होते हैं जो उनके शरीर द्वारा विटामिन डी को अवशोषित करने के तरीके को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए :

  • सीलिएक रोग (Celiac disease)

  • सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic fibrosis)

  • गुर्दे से संबंधित समस्याएं  (Kidney problems)

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4. सूखा रोग का कारण है आनुवंशिक दोष

दुर्लभ मामलों में, बच्चों में रिकेट्स रोग आनुवंशिक कारणों से भी हो सकता है।

5.- कुछ दवाएं

कुछ प्रकार की एंटी सीज़र (मिर्गी रोकने वाली दवाएं) और एचआईवी में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं आदि भी विटामिन डी का उपयोग करने की क्षमता में हस्तक्षेप करती हैं और शरीर को पर्याप्त विटामिन डी नहीं लेने देती हैं।

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बच्चों में सूखा रोग के लक्षण और संकेत क्या हैं? | Signs and symptoms of rickets in Hindi

सूखा रोग होने पर निम्नलिखित लक्षण और संकेत दिखाई देते हैं, जिनकी मदद से इस गंभीर रोग की पहचान की जा सकती है :- (2 & 6)

सूखा रोग (रिकेट्स) वाले बच्चों की पहचान है-

  • पैर की हड्डियों का झुकना,
  • कलाई और टखने सामान्य से अधिक चौड़े या मोटे होना,
  • रीढ़ की हड्डी या खोपड़ी के आकार का असामान्य मोड़,
  • खोपड़ी की हड्डियां का नरम होना,
  • हड्डियों और जोड़ों में सूजन,
  • विकास में देरी (बैठना, खड़े रहना, चलना या दौड़ना),
  • रीढ़, श्रोणि और पैरों में दर्द।

(रिकेट्स से पीड़ित बच्चों के छाती क्षेत्र में भी असामान्यताएं विकसित हो सकती हैं। इन असामान्यताओं में पसली का चपटा होना है।)

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रिकेट्स और ऑस्टियोमलेशिया के बीच अंतर क्या है? | Difference Between Rickets and Osteomalacia

रिकेट्स और ऑस्टियोमलेशिया के बीच अंतर निम्नलिखित हैं – (7)

ये दोनों ही बीमारी हड्डी से सम्बंधित है। रिकेट्स केवल बढ़ते बच्चों को प्रभावित करती है, जबकि ऑस्टियोमलेशिया बच्चों और वयस्क दोनों को प्रभावित करती है। रिकेट्स और ऑस्टियोमलेशिया के अधिकांश मामले विटामिन डी की कमी के कारण होते हैं, इसके अलावा आनुवंशिक, पोषण संबंधी विकार और कुछ दवाएं भी इन रोग का कारण बन सकती हैं।

रिकेट्स आमतौर पर कंकाल विकृतियों (skeletal deformities) और विकास असामान्यताओं (growth abnormalities) को दिखता है, जबकि ऑस्टियोमलेशिया हड्डी के दर्द (Bone pain) और पैथोलॉजिकल फ्रैक्चर (pathological fractures) को दर्शाता है।

सूखा रोग के जोखिम कारक कौन से हैं? | Risk factors for Rickets Disease in Hindi

निम्न स्थितियां आपके बच्चे को रिकेट्स (sukha rog) के जोखिम में डाल सकती है :-

1. गर्भावस्था के दौरान माँ में विटामिन डी की कमी होना

गंभीर विटामिन डी की कमी वाली मां से पैदा हुआ बच्चा रिकेट्स के लक्षणों के साथ पैदा हो सकता है या जन्म के कुछ महीनों के भीतर उन्हें विकसित कर सकता है।

2. समय से पहले शिशु का जन्म होना

नियत तारीख से पहले पैदा हुए शिशुओं में विटामिन डी का स्तर कम होता है क्योंकि उनके पास गर्भ में अपनी मां से विटामिन प्राप्त करने के लिए कम समय होता है।

3. शिशुओं को केवल माँ का दूध देना

स्तन के दूध में रिकेट्स को रोकने के लिए पर्याप्त विटामिन डी नहीं होता है। जो माँ अपने शिशुओं को केवल स्तनपान करवाती हैं उन शिशुओं को सूखा रोग होने की अधिक सम्भावना होती है, इसलिए डॉक्टर बच्चों को विटामिन डी ड्रॉप्स देने की सलाह देते हैं।

4. बच्चों में पोषण की कमी 

बच्चों को यदि डाइट में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी और कैल्शियम नहीं मिले तो भी रिकेट्स होने की सम्भावना बढ़ सकती है।

5. भौगोलिक स्थान

जो बच्चे ऐसे भौगोलिक स्थानों में रहते हैं जहाँ धूप कम होती है (जैसे पहाड़ी क्षेत्र), उनमें रिकेट्स का खतरा अधिक होता है।

6. त्वचा का रंग

गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों को सूखा रोग होने की अधिक सम्भावना होती है, क्योंकि उनकी त्वचा सूर्य के प्रकाश के प्रवेश को रोकती है जिससे शरीर विटामिन डी का उत्पादन नहीं कर पाता है।

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रिकेट्स (सूखा रोग) से बचाव के उपाय (घरेलू तरीके) क्या हैं? | Prevention Tips of Rickets Disease in Hindi

क्या रिकेट्स (sukha rog) को रोका जा सकता है? (क्या सूखा रोग को ठीक किया जा सकता है?)

हाँ, पोषण संबंधी रिकेट्स रोग (Nutritional rickets disease) से बचाव करना एक दम संभव है, इसके लिए शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी लेना जरुरी है। विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूर्य का प्रकाश है। इसके अलावा रिकेट्स से बचाव के लिए डॉक्टर आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों को अपनाने की सलाह देते हैं जिनमें विटामिन डी और कैल्शियम पर्याप्त होता है।

विटामिन डी और कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों  में शामिल हैं-

  • गाय का दूध कैल्शियम और विटामिन डी की कमी दूर करता है,
  • दही खाने से भी आप कैल्शियम और विटामिन डी की कमी दूर कर सकते है,
  • फोर्टिफाइड संतरा का जूस (Orange Juice) पीने से आप विटामिन डी की कमी को दूर करेगा,
  • दलीय में कैल्शियम की मात्रा मौजूद होती है,
  • मशरूम विटामिन डी से भरपूर होते हैं,
  • अंडे की जर्दी खाने से विटामिन डी की कमी दूर होती है,
  • विटामिन डी से भरपूर होती हैं फैटी फिश (Fatty Fish),
  • कॉड लिवर ऑयल को कॉड मछली के लिवर से तैयार किया जाता है। जिसमें विटामिन डी भरपूर मात्रा में होता है,
  • सोया प्रोडक्ट्स खाने से आप कैल्शियम और विटामिन डी की कमी दूर कर सकते है,
  • विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए सोया प्रोडक्ट्स, जैसे – टोफू, सोया मिल्क और सोया योगर्ट का इस्तेमाल करना भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है,
  • बीफ लिवर में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और फास्फोरस की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा, इसमें विटामिन डी भी पाया जाता है,
  • विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए आप सी-फूड जैसे झींगा मछली आहार में ले सकते हैं,
  • संतरे का रस, रिकेट्स के बचाव में महत्वपूर्ण है।

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बच्चों में रिकेट्स (sukha rog) का परीक्षण कैसे किया जाता है? | Diagnosis of Rickets in Hindi

रिकेट्स का निदान करने के कई तरीके हैं।

रिकेट्स के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले बच्चे का शारीरिक परीक्षण करेंगें।

शारीरिक परीक्षण के दौरान, डॉक्टर आपके बच्चे की हड्डियों पर धीरे से दबाव डालेंगे, असामान्यताओं की जाँच करेंगे।

यदि बाल रोग विशेषज्ञ को शारीरिक परीक्षा या लक्षणों के आधार पर रिकेट्स का संदेह है, तो वे निम्नलिखित में से एक या अधिक परीक्षणों का आदेश दे सकते हैं:

बच्चों में सूखा रोग का टेस्ट – Rickets Disease in Hindi

  • एक्स-रे।
  • रक्त परीक्षण।
  • मूत्र परीक्षण।
  • अस्थि बायोप्सी (बहुत कम ही किया जाता है)।
  • आनुवंशिक परीक्षण।

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रिकेट्स (सूखा रोग) का इलाज कैसे किया जाता है? | Rickets Treatment in Hindi

बच्चों में सूखा रोग का इलाज विटामिन डी, फॉस्फोरस और कैल्शियम जैसे सप्लीमेंट से शुरू किया जाता है। (8) डॉक्टर नवजात शिशुओं को विटामिन डी 400 आईयू/दिन देने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा, डॉक्टर बच्चों को विटामिन डी एक ड्रॉप्स के रूप में भी देते हैं। सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने से भी रिकेट्स (सूखा रोग) का इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा बच्चों की डाइट में विटामिन डी समेत कैल्शियम और फॉस्फोरस की मात्रा का विशेष ध्यान रख कर भी सूखा रोग का इलाज किया जा सकता है।

हालांकि, जिन बच्चों में यह समस्या अधिक गंभीर होती है उनके इलाज के लिए डॉक्टर सर्जरी का विकल्प दे सकते हैं।

Note: सूखा रोग से बचने के लिए डॉक्टर, बोतल का दूध (फार्मूला मिल्क) पीने वाले कुछ शिशुओं या माँ का दूध पीने वाले शिशुओं को भी विटामिन डी की खुराक (Supplements) लेने की सलाह दे सकते हैं। यदि आप गर्भवती हैं, तो अपने डॉक्टर से विटामिन डी की खुराक (Supplements) के बारे में पूछ सकती हैं।

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बच्चों में सूखा रोग अंग्रेजी दवा | Medicine of rickets disease in Hindi

बच्चों में रिकेट्स के इलाज के लिए कैल्शियम और विटामिन डी की खुराक का भी उपयोग किया जा सकता है। एक साल से छोटे बच्चों के लिए डॉक्टर विटामिन डी की ड्राप देते हैं। सूखा रोग की अंग्रेजी दवा का नाम Depura (Vitamin D3 Drops) है।

Depura दवा या इस प्रकार की अन्य दवा सभी बच्चों को लेने की डॉक्टर सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा कैल्शियम वाली दवाओं का भी डॉक्टर इस्तेमाल कर सकते हैं।

(नोट : ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है।  ध्यान रहे हमेशा डॉक्टर के अनुसार ही दवाओं का इस्तेमाल करें।)

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निष्कर्ष | Conclusion

सूखा रोग में बच्चों की हड्डियाँ कमजोर या मुलायम हो जाती हैं और साथ ही उनका विकास रुक जाता है। रिकेट्स रोग का प्रमुख कारण कैल्शियम और विटामिन डी की कमी का होना है। इसके अलावा, फॉस्फेट का निम्न स्तर भी सूखा रोग का कारण बन सकता है।

पोषण संबंधी रिकेट्स रोग से बचाव करना संभव है, इसके लिए बच्चों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी और कैल्शियम युक्त खाद्य लेने की आवश्यकता होती है। जिसमें गाय का दूध, दही, दलीय, मशरूम, अंडे की जर्दी, सोया प्रोडक्ट्स और कॉड लिवर ऑयल आदि शामिल हैं। जितनी जल्दी रिकेट्स का इलाज किया जाता है, उसके ठीक होने की संभावना उतनी ही अधिक होती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | FAQ about Rickets Disease in Hindi

Q. सूखा रोग किसके कारण होता है? या बच्चों में सूखा रोग कैसे होता है?

सूखा रोग का प्रमुख कारण शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी, रक्त में फॉस्फेट का निम्न स्तर, अवशोषण में समस्या, आनुवंशिक दोष और कुछ प्रकार की दवाएं शामिल हैं।

Q. सूखा रोग किस विटामिन की कमी से होता है?

ज्यादातर मामलों में सूखा रोग विटामिन डी की कमी के कारण होता है। इसके अलावा कैल्शियम की कमी, फॉस्फेट का निम्न स्तर, आनुवंशिक दोष और अवशोषण की समस्या भी शामिल हैं।

Q.  क्या रिकेट्स ठीक हो सकता है?

पोषण संबंधी रिकेट्स रोग से ठीक होने की संभावना अधिक होती है। बच्चे को पर्याप्त विटामिन डी मिलने के बाद रिकेट्स के अधिकांश मामले दूर हो जाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है, जैसे कि ब्रेसिज़ या सर्जरी। जितनी जल्दी रिकेट्स का इलाज किया जाता है, उसके ठीक होने की संभावना भी उतनी ही अधिक होती है।

Q.  रिकेट्स को ठीक होने में कितना समय लगता है?

विटामिन डी, कैल्शियम और फॉस्फेट का स्तर बढ़ाने से रिकेट्स विकार को ठीक करने में मदद मिलती है। रिकेट्स (सूखा रोग) से पीड़ित अधिकांश बच्चों में लगभग एक सप्ताह में सुधार दिखाई देने लगता है।

Q. सूखा रोग कैसे ठीक कर सकते हैं?

कैल्शियम, विटामिन डी और फॉस्फेट की कमी को पूरा करके सूखा रोग ठीक किया जा सकता है।


ये हैं बच्चों में सूखा रोग या रिकेट्स के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार के बारे में बताई गई पूरी जानकारी। कमेंट में बताएं आपको Rickets Disease in Hindi पोस्ट कैसी लगी। अगर आपको पोस्ट पसंद आई हो, तो इसे शेयर जरूर करें।

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Disclaimer : ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करने या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietitian) की सलाह जरूर लें। 

सन्दर्भ (References)

1. Dahash BA, Sankararaman S. Rickets. [Updated 2022 May 1]. In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2022 Jan-.

2. Institute of Medicine (US) Standing Committee on the Scientific Evaluation of Dietary Reference Intakes. Dietary Reference Intakes for Calcium, Phosphorus, Magnesium, Vitamin D, and Fluoride. Washington (DC): National Academies Press (US); 1997. 7, Vitamin D.

3. Gentile C, Chiarelli F. Rickets in Children: An Update. Biomedicines. 2021;9(7):738. Published 2021 Jun 27.

4. Sahay M, Sahay R. Rickets-vitamin D deficiency and dependency. Indian J Endocrinol Metab. 2012;16(2):164-176.

5. Dahash BA, Sankararaman S. Rickets. [Updated 2022 May 1]. In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2022 Jan-.

6. Dahash BA, Sankararaman S. Rickets. [Updated 2022 May 1]. In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2022 Jan-.

7. Zimmerman L, McKeon B. Osteomalacia. [Updated 2022 Apr 28]. In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2022 Jan-.

8. Carpenter TO, Shaw NJ, Portale AA, Ward LM, Abrams SA, Pettifor JM. Rickets. Nat Rev Dis Primers. 2017 Dec 21;3:17101.

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