Pregnancy second trimester in Hindi : इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के लक्षण, भ्रूण विकास और आपके डाइट प्लान के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही क्या है? | Second Trimester Meaning In Hindi
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही का मतलब – Second trimester of pregnancy in Hindi
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही, गर्भावस्था का मध्य चरण कहलाता है जिसमें आप अपने शिशु को पहली बार महसूस करती हैं। आपकी गर्भावस्था की दूसरी तिमाही 13वें सप्ताह से 28वें सप्ताह तक या महीने 4, 5 और 6 तक रहती है।
जब आप अपनी दूसरी तिमाही में प्रवेश करती हैं, तो मॉर्निंग सिकनेस जैसी समस्याएं कम हो जाती हैं। जिसका अर्थ है कि आप भोजन की गंध और स्वाद दोनों ही ले सकती हैं। जिससे आप के ऊर्जा का स्तर बढ़ने लगता है।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में शिशु का विकास पहली तिमाही के मुकाबले तेजी से होता है और आपका बड़ा पेट दिखना शुरू हो जाता है। अधिकांश महिलाओं की दूसरी तिमाही गर्भावस्था का सबसे सुखद और आरामदायक चरण होता है जिसमें गर्भपात का खतरा कम रहता है और महिलाऐं इस समय का पूरा आनंद उठाती हैं।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में शिशु के अंग का तेजी के साथ बनने और बढ़ने लगते हैं जिससे गर्भवती महिला के अंदर बहुत से शारीरिक बदलाव आते हैं और साथ ही बहुत से लक्षण दिखाई देते हैं।
और पढ़ें – गर्भावस्था की तीसरी तिमाही: लक्षण, शिशु विकास और ब्लड टेस्ट।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में शारीरिक बदलाव | Physical changes in the second trimester of pregnancy in Hindi
दूसरी तिमाही के चरण में गर्भवती महिला के शरीर में लगातार बदलाव आते हैं। इस दौरान होने वाले शारीरिक बदलाव कुछ इस तरह से हैं
- गर्भाशय का विस्तार होना,
- पेट दिखना शुरू होना,
- वजन बढ़ना (औसतन 5-7 किग्रा/ माह),
- दांत और मसूड़े का अधिक संवेदनशील होना,
- बच्चे की पहली सक्रिय हलचल महसूस करना (सप्ताह 18 -20 के बीच),
- स्तनों के आकार में बदलाव,
- त्वचा में गहरे धब्बे आना,
- बालों की वृद्धि होना,
- कमर के निचली हिस्से में दर्द होना।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के लक्षण | Symptoms of second trimester of pregnancy in Hindi
- रक्तचाप कम होना,
- साँस फूलना
- शरीर में दर्द,
- भूख बढ़ जाना,
- शरीर में खुजली,
- शरीर में स्ट्रेच मार्क्स आना,
- मूड में बदलाव,
- सीने में जलन,
- अपच और कब्ज होना,
- पीठ दर्द होना
- मसूड़ों से से खून बहना
- नाक से खून आना ,
- बवासीर होना,
- सफेद योनि स्राव (ल्यूकोरिया),
- मूत्र मार्ग में संक्रमण होना
- गर्भाशय का संकुचन होना,
- पैरों में सूजन/ पैर में मरोड़ आना।
और पढ़ें – जानिए प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण क्या हैं, और कब दिखते हैं।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में भ्रूण विकास – Pregnancy Second trimester fetal development in Hindi
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान भ्रूण में परिवर्तन |
प्रेग्नेंसी के चौथे महीने में भ्रूण विकास – Pregnancy fourth month fetal development in Hindi
- बच्चे की हाथ और पैर की उंगलियों बनने लगती हैं,
- उनकी पलकें, भौहें, पलकें, नाखून और बाल आने लगते हैं,
- दांत और हड्डियां और भी ज्यादा सघन हो जाती हैं,
- इस समय तक शिशु का तंत्रिका तंत्र (Nervous system) बन जाता है और अब वह कार्य करना शुरू कर देता है। प्रजनन अंग और जननांग अब पूरी तरह से विकसित हो चुके होते हैं।
और पढ़ें – गर्भावस्था की पुष्टि के लिए रक्त परीक्षण।
प्रेग्नेंसी के पांचवे महीने में भ्रूण विकास – Pregnancy fifth month fetal development in Hindi
- आप अपने बच्चे को महसूस कर सकती हैं,
- मस्तिष्क के विकास की सबसे महत्वपूर्ण अवधि होती है,
- बच्चे के सिर पर बाल आने लगे हैं,
- बच्चे की त्वचा वर्निक्स केसोसा नमक सफेद परत से ढक जाती है जो सफेद चीज के समान दिखाए देता है जो बच्चे को एमनियोटिक द्रव के सीधे संपर्क से बचाती है,
- गर्भावस्था के पांचवें महीने के अंत तक, आपका बच्चा लगभग 10 इंच लंबा होता है और इसका वजन 0.45 kg तक होता है।
प्रेग्नेंसी के छठे महीने में भ्रूण विकास – Pregnancy six month fetal development in Hindi
- इस दौरान शिशु का वजन और लंबाई दोनों बढ़ती हैं,
- शिशु के फेफड़ों अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुए होते हैं,
- त्वचा के नीचे बने रक्त वाहिकाओं की वजह से शिशु की त्वचा गुलाबी होती है,
- इस समय शिशु बहुत सक्रिय होता है और बाहर की आवाजों पर प्रतिक्रिया देता है, जिसमें आपके दिल की धड़कन की आवाज़ भी शामिल है,
- छठें महीने के अंत तक शिशु की उंगलियां और नाखून विकसित होने लगते हैं और संभव है कि शिशु अल्ट्रासाउंड में अंगूठा चूसता दिखाई दे,
- इस महीने के अंत तक शिशु का सिर शरीर के अन्य अंगों मुकाबले अब भी बड़ा होता है,
- अगर शिशु को हिचकी आती है तो आप शिशु के झटके को महसूस कर सकती हैं,
- शिशु का तंत्रिका तंत्र और भी परिपक्व होने लगता है।
- छठे महीने के अंत तक शिशु का वजन 950 ग्राम के करीब और उसकी लंबाई 11 इंच के आसपास हो सकती है।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में ब्लड टेस्ट | Pregnancy Second Trimester Blood Tests in Hindi
- अल्ट्रासाउंड,
- एमनियोसेंटेसिस परीक्षण,
- अल्फा-फेटोप्रोटीन स्क्रीनिंग,
- ग्लूकोज स्क्रीनिंग,
- कॉर्डोसेंटेसिस जांच,
- कोरियोनिक विलस सैंपलिंग,
- ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टैस्ट।
1. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड – Ultrasound during second trimester of pregnancy in Hindi
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड विस्तार से किया जाता है। जो 18-20 सप्ताह के बीच में होता है। जिसमें शिशु की पूरी शरीरिक रचना देखी जाती है।
इस अल्ट्रासाउंड में शिशु के विकसित हो चुकी हाथ-पैर की उंगलियों, आंखें, आदि को देखा जा सकता है। साथ ही भ्रूण को अगर कोई समस्या है, तो उसे भी जाँचा जाता है।
और पढ़ें – जानिए प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड (सोनोग्राफी) कब और क्यों होता है।
2. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में एमनियोसेंटेसिस परीक्षण – Amniocentesis test during second trimester of pregnancy in Hindi
इस परीक्षण में गर्भाशय के एमनियोटिक द्रव का थोड़ा सा भाग लिया जाता है जो आनुवंशिक दोष या तंत्रिका ट्यूब दोष जैसी समस्याओं का पता लगाने में सक्षम होता है।
यह टैस्ट आमतौर पर उन महिलाओं में (15 से 20 सप्ताह के बीच) किया जाता है, जिनमें आनुवंशिक दोष होने की सम्भावना अधिक होती हैं।
और पढ़ें – प्रसव से पहले एमनियोटिक द्रव का रिसाव: लक्षण, कारण और उपचार।
3. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में अल्फा-फेटोप्रोटीन स्क्रीनिंग – Alpha-Fetoprotein screening during second trimester of pregnancy in hindi
यह एक प्रकार का ब्लड टैस्ट होता है। जो गर्भावस्था के दौरान गर्भवती के रक्त में AFP के स्तर को मापता है। AFP सामान्य रूप से भ्रूण के जिगर द्वारा निर्मित एक प्रोटीन है। यह प्रोटीन गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा को पार कर गर्भवती के रक्त में प्रवेश करता है।
AFP ब्लड टैस्ट को मेटेरनल सीरम एएफपी (Maternal serum AFP) भी कहा जाता है। यह टैस्ट डाउन सिंड्रोम या अन्य क्रोमोसोमल असामान्यताएं (Chromosomal abnormalities) का पता लगाने में किया जाता है।
4. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में ग्लूकोज स्क्रीनिंग – Glucose screening during second trimester of pregnancy in Hindi
गर्भावस्था के दौरान गर्भावधि मधुमेह यानि जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) होने की आशंका बनी रहती है। जो की गर्भवती के खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने के कारण होती है।
गर्भवती के खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने पर नवजात शिशु को नर्वस सिस्टम (Nervous system) में खराबी, स्पाइना बिफिडिया (Spina bifida), वातरोग (Arthritis), मूत्राशय (Bladder) या हृदय संबंधी रोग भी हो सकते हैं।
इसलिए गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की जांच के लिए ग्लूकोज स्क्रीनिंग टैस्ट किया जाता है। भले ही महिला में गर्भावस्था के पहले मधुमेह की समस्या रही हो या फिर नहीं रही हो। ग्लूकोज स्क्रीनिंग टैस्ट हर गर्भवती के लिए अनिवार्य है।
5. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में कॉर्डोसेंटेसिस जांच – Cordocentesis Test OR Percutaneous Umbilical Blood Sampling during second trimester of pregnancy in Hindi
यह एक डयग्नोस्टिक टैस्ट है जिसमें भ्रूण की असमान्यताओं का पता लगाने के लिए भ्रूण का ब्लड टैस्ट किया जाता है। जिस में भ्रूण के अम्बिलिकल कॉर्ड (Umbilical cord) से खून लिया जाता है।
यह टैस्ट तभी किया जाता है जब एमनियोसेंटेसिस, कोरियोनिक विलस सैंपलिंग, अल्ट्रासाउंड व अन्य तरीकों से भ्रूण की जांच नहीं हो पाती। हांलाकि कॉर्डोसेंटेसिस में अन्य तरीकों के मुकाबले भ्रूण के नुकसान का जोखिम अधिक होता है।
6. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में कोरियोनिक विलस सैंपलिंग – Chorionic villus sampling during second trimester of pregnancy in Hindi
7. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टैस्ट – Triple marker screen test during second trimester of pregnancy in Hindi
- एएफपी (Alpha-fetoprotein) टेस्ट : यह भ्रूण द्वारा निर्मित एक प्रोटीन। इस प्रोटीन के उच्च स्तर का होना, कुछ संभावित दोषों को दिखता है, जैसे कि तंत्रिका ट्यूब दोष या भ्रूण के पेट को बंद करने में विफलता।
- HCG (Human chorionic gonadotropin) टेस्ट : यह प्लेसेंटा द्वारा निर्मित एक हार्मोन है। जिसके कम स्तर का होना संभावित गर्भपात या अस्थानिक गर्भावस्था जैसी समस्याओं का संकेत हो सकता है।
- एस्ट्रिल (Estriol) टेस्ट : एस्ट्रिल, एस्ट्रोजेन का एक रूप है जो स्वाभाविक रूप से शरीर में उत्पन्न होता है। यह महिलाओं की गर्भनाल (प्लेसेंटा) और भ्रूण दोनों से निकलता है। एस्ट्रोजन हॉर्मोन बच्चे के सुरक्षित विकास के लिए सबसे जरूरी है। ऐसे शिशु जिन में डाउन सिंड्रोम होने की सम्भावना होती है उन महिलाओं में AFP और एस्ट्रिऑल का स्तर रक्त में कम हो सकता है।
- आनुवांशिक समस्याओं का पारिवारिक इतिहास,
- महिला की 35 वर्ष या उससे अधिक,
- मधुमेह और इंसुलिन का उपयोग,
- गर्भावस्था के दौरान वायरल संक्रमण होना।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में क्या खाना चाहिए? – Pregnancy diet in second trimester in Hindi
दूसरी तिमाही के दौरान, गर्भवती को संतुलित आहार खाना जारी रखना चाहिए। निम्नलिखित पोषक तत्व गर्भवती के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं:
1. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में प्रोटीन – Protein during second trimpregnancy in Hindi
2. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में आयरन – Iron during pregnancy in Hindi
3. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में कैल्शियम – Calcium during pregnancy in Hindi
4. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में ओमेगा 3 वसा – Omega-3 fatty acid during pregnancy in Hindi
हमारा शरीर ओमेगा 3 को प्राकृतिक रूप से नहीं बना पाता है इसलिए इसे आहार में शामिल करना बहुत जरूरत होता है।
आहार में मौजूद ओमेगा -3 वसा, मां और बच्चे दोनों के लिए फायदे मंद होता है। यह आवश्यक फैटी एसिड गर्भ में बच्चे के दिमाग के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ओमेगा 3 आंखों, प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central nervous system) को अच्छे से चलने में सहयोग करता हैं।
इसके अलावा ओमेगा -3, वक्त से पहले होने वाली डिलीवरी को रोकने में मदद करता है, प्रीक्लेम्पसिया (उच्च रक्तचाप) के विकास के जोखिम को कम करता है और साथ ही डिलीवरी के बाद होने वाले डिप्रेशन को भी कम करता है।
और पढ़ें – ओमेगा 3 फैटी एसिड के फायदे और नुकसान।
5. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में फोलिक एसिड – Folic acid during pregnancy in hindi
फोलिक एसिड अप्राकृतिक विटामिन-B का एक प्रकार है बल्कि फोलेट विटामिन-B9 का प्राकृतिक रूप है जो हरी पत्तेदार सब्जियों, खट्टे फल, फलियों इत्यादि में पाया जाता है।
गर्भावस्था के दौरान फोलेट आवश्यक तत्व है क्योंकि यह तंत्रिका ट्यूब दोषों को रोकने में मदद करता है, जिसमें स्पाइना बिफिडा शामिल है और यह समय से पहले होने वाले प्रसव के जोखिम को भी कम करता है। गर्भावस्था के दौरान प्रति दिन कम से कम 600 mcg फोलेट की आवश्यकता होती है।
6. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में आयोडीन – Iodine during pregnancy in Hindi
भ्रूण और छोटे बच्चे में स्वस्थ मस्तिष्क के विकास के लिए भी आयोडीन आवश्यक होता है। आयोडीन की कमी से भ्रूण में अविकसित थायरॉयड ग्लैंड बनती है, जो बच्चे में कम IQ, धीमा विकास, बहरापन, जन्म दोष, आदि कर सकता है।
आयोडीन युक्त (Iodine rich) नमक, डेयरी उत्पाद, अंडे अच्छी तरह पके हुए, समुद्री मछलियां और समुद्री भोजन, मांस, समुद्री शैवाल (सीवीड), फोर्टिफाइड ब्रेड, पके हुए कॉड, मैकरोनी इत्यादि आयोडीन के अच्छे श्रोत हैं।
7. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में तरल पदार्थ – Fluids during pregnancy in Hindi
गर्भवती को उन लोगों की तुलना में अधिक पानी की आवश्यकता होती है जो गर्भवती नहीं हैं। पानी प्लेसेंटा (Placenta) और एमनियोटिक थैली (Amniotic sac) बनाने में मदद करता है।
गर्भावस्था के दौरान कम पानी न्यूरल ट्यूब दोष (Neural tube defect) जैसी बीमारी में योगदान कर सकता है। पर्याप्त पानी न पीने से शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) हो सकती है जिससे सिरदर्द, मिचली, मरोड़, हाथ-पैरों में सूजन और चक्कर जैसी परेशानियां सामने आ सकती हैं।
और पढ़ें – सुपरफूड क्या हैं, जानिए इसके स्वास्थ्यवर्धक फायदे।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में क्या नहीं खाना चाहिए? | Pregnancy me kya na khaye
- Unpasteurized milk प्रोडक्ट्स (ना उबाले हुए दूध से बने उत्पाद) को न लें,
- बहुत तेल-घी खाने से बचें,
- कच्चा या अध पका खाना ना खाए,
- कच्चे अंडे और कच्चा मीट ,
- मेयोनीज ना लें,
- कच्ची मछली विशेष रूप से shellfish, oysters, और cider खाने से बचे,
- जंक फूड (pizza and burger) ना खाएं,
- जरुरत से ज्यादा मसालेदार खाना,
- डब्बा बंद जूस से बचें,
- कॉफी, चाय और कोला-पेप्सी,
- कम पके मांस और समुद्री भोजन ना खाएं,
- कच्चे या हल्के से पके हुए अंडे ना खाएं,
- स्मोकिंग और अलकोहल करने से बचें,
- ज्यादा ऑयली फूड से बचें,
- कैफीन पदार्थों का ज्यादा सेवन न करें,
- रेडीमेड पैक्ड सलाद ना खाएं।
Disclaimer:
ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह कहीं से भी योग्य डॉक्टर द्वारा दिए गए मेडिकल सुझाव का विकल्प नहीं है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए साथ ही किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करने या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietitian) की सलाह जरूर लें।
References
- https://www.healthline.com/health/pregnancy/second-trimester
- https://www.pregnancybirthbaby.org.au/second-trimester
- https://www.pampers.com/en-us/pregnancy/pregnancy-calendar/second-trimester
- https://www.hopkinsmedicine.org/health/wellness-and-prevention/the-second-trimester
इस ब्लॉग [WEB POST GURU: THE ULTIMATE GUIDE TO HEALTHY LIVING] में आने और पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।